रिपोर्ट में हुआ खुलासा: 4 साल में पैदा हुईं सिर्फ 70 लाख नौकरियां
नई दिल्ली। भारत में मजदूरों का बाजार एक ढांचागत बदलाव के तहत गुजर रहा है। हालात ये है कि 2010-11 और 2014-15 के बीच गैर-कृषि क्षेत्र में चौंकाने वाली 3 करोड़ 30 लाख नौकरियां पैदा हुईं लेकिन जमीन पर सिर्फ 70 लाख ही बचीं।
मैकिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने एक अध्ययन में पाया है कि प्रत्येक वर्ष औसतन आठ लाख नौकरियों का पैदा की गई थीं।
लेकिन, इसी अवधि में कृषि रोजगार में 2 करोड़ 60 लाख से गिरने के साथ, पूरे चार साल की अवधि में रोजगार के लिए शुद्ध जोड़ मात्र 70 लाख था। इस अवधि में समग्र रोजगार 4 करोड़ 56 लाख से से बढ़कर 4 करोड़ 63 लाख हो गया। समग्र स्तर पर, गैर-कृषि की नौकरियों में वृद्धि हर साल श्रम शक्ति में प्रवेश करने वाले लाखों लोगों को खपाने के लिए पर्याप्त नहीं है।
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रिपोर्ट में कहा गया है, 'किसी भी दर पर, मजदूरों से गैर-कृषि की नौकरियों की आवाजाही तेजी से काम कर रहे लोगों की संख्या में वृद्धि के लिए पर्याप्त नहीं है।'
धीमा हो गया था आर्थिक विकास
रिपोर्ट में रोजगार का अनुमान राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा किए गए रोजगार और बेरोजगारी सर्वेक्षण के साथ-साथ श्रम ब्यूरो के वार्षिक सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है। वित्त वर्ष 11 और 12 के बीच नौकरी की वृद्धि केवल 11 मिलियन तक ही सीमित थी क्योंकि उस वक्त आर्थिक विकास धीमा हो गया था।
लेकिन, अगले दो वर्षों में 22 मिलियन नौकरियों की वृद्धि के साथ विकास में वृद्धि हुई। इन नौकरियों का थोक व्यापार और आतिथ्य, निर्माण और परिवहन जैसे क्षेत्रों में बनाया गया था, जबकि खनन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में गिरावट आई है।