पश्चिमी एशिया पर फिर जंग के बादल
दरअसल अपने गठन के बाद से ही इस्राइल ने फिलिस्तीन पैर अपने अधिकार को ले कर युद्ध का रास्ता अपनाया पर उस समय यासिर अराफात के नेतृत्व में फिलिस्तीन ने दुनिया भर में अपने प्रति संवेदना बना ली थी और अरब राष्ट्रों के साथ इस्राइल के युद्ध में भारत ने फिलिस्तीन का ही साथ दिया था ..पर १९९० के बाद भारत की इस्राइल निति में भी परिवर्तन आया तो उसने इस्राइल का साथ देना शुरू कर दिया। सोवियत रूस के विघटन के बाद तो अमेरिकी सरपरस्ती में इस्राइल ने फिलिस्तीनी इलाकों पर नियंत्रण का अभियान पुरे जोर शोर से शुरू कर दिया नतीजतन फिलिस्तीन के चरमपंथी गुटों से उसकी लगातार मुठभेड़ होने लगी। इस बीच फिलिस्तीन भी अराफात के मौत के बाद दो गुटों में बाँट गया और हमास और फतह के बीच मतभेद जगजाहिर होने लगे...
आपसी संघर्ष के बाद दोनों गुटों में समझौता हुआ और साझा सरकार का गठन हुआ पर ये रिश्ता नही चल पाया और हमास ने विद्रोह कर के गाजा शहर और उसके साथ के इलाकों पर कब्जा कर लिया फतह की सेनाएं मैदान छोड़ कर भाग खड़ी हुईं। तब से आज ताकिस्राइल और हमास के बीच लडाई जारी है।
हमलो की ताज़ा दास्ताँ 27 दिसम्बर को शुरू हुई जब हमास के खिलाफ गाजा सिटी में इजरायल के हमले और भीषण हो गए जबकि इजरायल सरकार ने लोगों के मारे जाने पर हमले रोकने के अपीलों को टाल दिया। इस बीच फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी संघर्ष विराम की नई अपील का नेतृत्व कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इजरायली हमलों में कम से कम 555 फलस्तीनी मारे गए हैं। इजरायली मंत्रियों ने जोर दिया है कि चरमपंथियों के राकेट हमलों को रोकने के लिए उनके हमले जारी रहेंगे।
स्थानीय निवासियों ने कहा कि हेलीकाप्टरों से भीषण हमले किए गए। साथ ही इजरायली टैंक गोले बरसाते हुए पूर्वी गाजा सिटी के सेजैया जिले में प्रवेश कर गए। इजरायली लड़ाकू विमानों ने सिटी सेंटर स्थित परित्यक्त हमास सुरक्षा परिसर को हमले में नष्ट कर दिया है। हमास ने दावा किया की सैजेया जिले में उसने सात टैंकों पर मिसाइल हमले किए हैं और 10 इजरायली सैनिकों को मार गिराया है।
अरबी समाचार चैनल अल-अरबिया और अल-जजीरा ने बताया कि हमलो में कई इजरायली सैनिक मारे गए हैं और लगभग 30 घायल हुए हैं। इजरायली सेना ने भीषण संषर्ष की पुष्टि की है लेकिन हताहतों की संख्या के संबंध में कोई बयान नहीं जारी किया है। चिकित्सकों का कहना है कि 13 बच्चों सहित 60 शवों को दो जनवरी को अस्पताल लाया गया। आपातकालीन सेवाओं का कहना है कि 27 दिसंबर से जारी हवाई हमलों में कम से कम एक सौ बच्चे मारे गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रास ने कहा कि 27 सौ से भी अधिक घायल हुए हैं और लोग मर रहे हैं, क्योंकि एंबुलेंस सेवाएं उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इजरायल ने अपना सैन्य अभियान आपरेशन कास्ट लीड और तेज कर दिया है। इस बीच इजरायली विदेश मंत्री जिपी लिवनी ने यूरोप की ओर से तुरंत संघर्ष विराम की मांग को खारिज कर दिया।
इजरायल और हमास के बीच चल रहा संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 15 दिनों से चल रही कार्रवाई में लगभग 500 से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। पूरी दुनिया की नजरें अब इस मामले में अमेरिका के अगले कदम पर लगी हैं। मुख्य रुप से यह देखा जा रहा है कि निर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस मुद्दे पर क्या भूमिका होगी। हालांकि ओबामा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने तक इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करने की घोषणा की है।।यदि चुनाव प्रचार के दौरान के दिए गए उनके भाषण को याद किया जाए तो उन्होंने कहा था कि हमास के रॉकेट हमलों के जवाब में इजरायल को जरुरी कार्रवाई करने का पूरा हक है।
इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष पिछले कई दशकों से अमेरिका की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा रहा है। चाहे जिमी कार्टर द्वारा करवाया गया इजरायल इजिप्ट समझौता हो या फिर बिल क्लिंटन के न्यौते पर एहुद बराक और यासर अराफात के बीच हुआ कैंप डेविड समझौता। अमेरिका का यही प्रयास रहा है कि इजरायल और फिलिस्तीन दोनों अच्छे पड़ोसी की तरह रहें। लेकिन साथ ही साथ अमेरिका हमास जैसे कट्टरवादी संगठनों के खिलाफ भी है जो इजरायल पर हमले कर शांति प्रक्रिया में बाधा डालना चाहते हैं।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इसराइल से अपील की है कि हमास को निशाना बनाने के क्रम में आम नागरिकों को नुक़सान पहुँचाने से बचे। ब्रिटेन और फ्रांस ने भी इसराइल से संयम बरतने की अपील की है, यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों से अनुरोध किया है कि वे हमले बंद कर दें।
इसराइली हमले के बाद हमास ने बदले की कार्रवाई की घोषणा की है, उसने इसराइली हमले के फ़ौरन बाद गज़ा पट्टी से कई रॉकेट दागे हैं, इन हमलों में इसराइली शहर नेटिवेट में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। हमास के विद्रोही रॉकेट छोड़ते हूए हमास के प्रवक्ता फौजी बरहूम ने कहाः हमास ख़ून के आख़िरी क़तरे तक लड़ाई लड़ेगा। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि इसराइल गज़ा में ज़मीनी सैनिक कार्रवाई भी कर सकता है, इस बीच कई नेताओं ने मध्य-पूर्व की स्थिति पर चिंता प्रकट की है।
हमले के बीच निर्दोषों के मदद की कोशिशें जारी हैं। गाजा पट्टी की मस्जिदों ने लोगों से अपील की कि वे जल्द से जल्द रक्तदान करें ताकि घायलों को बचाया जा सके, मिस्र ने गाज़ा से लगी अपनी सीमा खोल दी और रफ़ा के निकट घायल हुए लोगों को मेडिकल सुविधाएँ उपलब्ध करवाईं। हमलो में सबसे ज्यादा नुक़सान गज़ा शहर में पुलिस परिसर में हुआ, पूरी तरह से तबाह हो गए पुलिस परिसर में गज़ा पुलिस के प्रमुख तौफ़ीक़ जब्बार भी मारे गए हैं। गज़ा से सामने आने वाली तस्वीरें काफ़ी भयावह हैं, चारों तरफ़ अफ़रा-तफ़री, तबाही और भय का वातावरण दिखाई दे रहा है।
हमास के हमलों की क़ीमत इसराइल पूरी ग़ज़ा पट्टी को अपना निशाना बनाकर चुकता कर रहा है। समुद्री, हवाई और ज़मीनी रास्ते से हमले हो रहे हैं। दुनिया के कई देश इन हमलों का विरोध कर रहे हैं, हमास के हमलों की भी निंदा हो रही है पर अंतरराष्ट्रीय दबाव में न तो इसराइल रुका है और न ही हमास ने अपने हमले बंद किए हैं।
आगे पढ़ें...घटना की शुरुआत 27 दिसंबर, 2008 को हुई जब इसराइल ने हमास को इसराइल पर हुए मिसाइल हमलों के लिए दोषी ठहराते हुए कहा कि अब सब्र का बांध टूट रहा है।
(उत्कर्ष सिन्हा किसानों तथा ग्रामीण विकास से जुड़े मुद्दों को अपने देश के राजनीतिक और बाकी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक मंचों पर उठाते रहे हैं और दक्षिणी और पश्चिमी एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हैं)