एनसीपी के डीपी त्रिपाठी से एक बातचीत
आपका
कांग्रेस
से
झगड़ा
क्यों
है?
कोई
झगड़ा
नहीं....
तो
उड़ीसा
में
तीसरे
मोर्चे
वालों
के
साथ
क्यों
दोस्ती
बढ़
रही
है?
हम
अकेली
पार्टी
हैं
जिसने
कहा
था
कि
यूपीए
की
पार्टियों
को
राष्ट्रीय
स्तर
पर
गठबंधन
करके
चुनाव
लड़ना
चाहिए।
अगर
ऐसा
होता
तो
डॉ.
मनमोहन
सिंह
आज
यूपीए
की
ओर
से
प्रधानमंत्री
पद
के
उम्मीदवार
होते
लेकिन
कांग्रेस
ने
कहा
कि
राज्य
स्तर
पर
चुनावी
समझौता
हो
और
सभी
घटक
दल
समझौता
करने
के
लिए
स्वतंत्र
हो
गए।
लक्ष्य
सबका
एक
है
बीजेपी
और
एनडीए
को
हराना
है।
जिन
राज्यों
में
बीजेपी
और
कांग्रेस
के
बीच
सीधा
मुकाबला
है,
वहां
हमारा
उम्मीदवार
नहीं
है।
उड़ीसा
में
नवीन
पटनायक
की
दोस्ती
का
क्या
सबब
है?
नवीन
पटनायक
को
बीजेपी
से
अलग
करने
में
शरद
पवार
और
मैंने
सबसे
ज्यादा
भूमिका
निभाई
एबी
बर्धन
ने
भी
योगदान
किया।
अब
हम
सब
मिलकर
बीजेपी
के
खिलाफ
उड़ीसा
में
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
और
असम
में
आपके
पी.ए.
संगमा
आडवाणी
के
साथ
क्यों
हैं?
बिलकुल
नहीं।
हमारा
कोई
भी
सदस्य
सांप्रदायिक
पार्टियों
के
साथ
नहीं
है।
चुनाव
के
बाद
की
क्या
तसवीर
उभरी
रही
है?
यूपीए
के
दलों
के
आपस
में
ही
भिड़
जाने
से
यूपीए
का
नुकसान
हुआ
है।
हमारी
कोशिश
है
कि
यह
नुकसान
कम
हो।
प्रधानमंत्री
पद
के
उम्मीदवार
के
रूप
में
आप
मनमोहन
सिंह
को
स्वीकार
करते
हैं
कि
नहीं?
मनमोहन
सिंह
कांग्रेस
की
तरफ
से
उम्मीदवार
हैं।
इस
विषय
पर
अभी
यूपीए
की
बैठक
हुई
नहीं,
इसलिए
हम
अभी
उन्हें
उम्मीदवार
नहीं
बना
सकते।
एक
बात
और
गठबंधन
राजनीति
दादागीरी
से
नहीं
चलता,
सब
को
साथ
लेकर
चलना
पड़ता
है।
शरद
पवार
के
प्रधानमंत्री
बनने
की
संभावना
पर
तो
आपको
शिवसेना
का
समर्थन
भी
मिलेगा?
हम
शिव
सेना
के
खिलाफ
हैं।
उनसे
हमारा
कोई
लेना-देना
नहीं
है।
अल्पसंख्यकों
के
हित
में
क्या
किया
आपने?
सच्चर
कमेटी
की
रिपोर्ट
को
लागू
करवाया
जा
रहा
है।
हमारी
कोशिश
के
बावजूद
दंगा
विरोधी
एक्ट
नहीं
पास
हुआ।
शरद
पवार
पहले
लीडर
हैं
जिन्होंने
मांग
की
कि
हिंदू
आतंकवादियों
पर
आतंक
के
कानून
के
तहत
मुकदमा
चलाया
जाय।
हमारी
कोशिश
से
ही
गुजरात
की
मंत्री
माया
कोडनानी
पर
मुकदमा
चल
रहा
है।
आगे
की
क्या
योजना
है?
हमारी
कोशिश
है
कि
सेकुलर
पार्टियों
के
लोग
बड़ी
संख्या
में
आगे
आएं
और
अगली
केंद्र
सरकार
से
बीजेपी
जैसी
सांप्रदायिक
पार्टियों
को
दूर
रखा
जाय।
लेखक शेष नारायण सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं।