पंझा गांव के लोगों से सीखे देश!
चुनाव
आयोग
को
हुआ
शक
चुनाव
आयोग
को
इस
गाँव
के
लोगों
द्वारा
मतदान
करने
के
प्रति
ऐसी
गहन
जागरुकता
अविश्वसनीय
लगी।
आज
वोट
की
महत्ता
को
समझाने
और
मतदान
करने
के
लिए
जिस
तरह
से
विविध
राजनीतिक
दलों,
मीडिया
एवं
नामी-गिरामी
हस्तियों
द्वारा
जबर्दस्त
अभियान
चलाया
जा
रहा
है,
वह
काबिले
तारीफ़
है,
पर
लगता
है
इसका
प्रभाव
मतदाताओं
के
मन-मस्तिष्क
पर
कोई
खास
नहीं
पड़
रहा
है।
शायद
इसी
वजह
से
पहले
चरण
में
मतदान
का
प्रतिशत
पूरे
देश
में
औसत
ही
रहा
है।
इस
15
वें
लोकसभा
में
भी
वोटरों
की
उदासीनता,
खास
करके
युवा
मतदाताओं
की,
लोकतंत्र
के
लिए
जरुर
चिंता
का
विषय
है।
इस
तरह
के
नकारात्मक
माहौल
में
यदि
एक
गाँव
में,
जहाँ
के
ज्यादातर
लोग
निरक्षर
हैं,
वहाँ
92-25
प्रतिशत
मतदान
होता
है,
तो
चुनाव
आयोग
का
शक
स्वाभाविक
ही
है।
दोबारा
हुआ
मतदान
इसी
कारण
से
25
अप्रैल
को
पुन:
इस
गाँव
में
मतदान
करवाये
गये।
दोबारा
मतदान
का
कारण
बूथ
कैप्चरिंग
को
बताया
गया।
केंद्रीय
प्रेक्षक
टीएस
अप्पाराव
ने
अपने
रिर्पोट
में
जबरिया
वोटिंग
को
रिकॉर्ड
प्रतिशत
के
साथ
हुए
मतदान
का
कारण
माना।
इसी
क्रम
में
पीठासीन
अधिकारी
विनोद
श्रीवास्तव
के
द्वारा
एक
भाजपा
अभिकर्त्ता
के
ख़िलाफ़
बूथ
कैप्चंरंग
के
आरोप
लगाये
गये।
मगर
लगता
है
कि
विविध
राजनीतिक
दलों
,
मीडिया
एवं
नामी-गिरामी
हस्तियों
द्वारा
चलाये
गये
जबर्दस्त
अभियान
का
प्रभाव
पढ़े-लिखे
शहर
वालों
पर
तो
नहीं
पड़ा
है,
परन्तु
विदिशा
संसदीय
क्षेत्र
के
छोटे
से
गाँव
पांझ
के
रहवासियों
पर
जरुर
पड़ा
है।
एक बार फिर जीत गांव वालों की
सच कहा जाये तो गाँववासी दोबारा हुए मतदान में भी एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए कृत संकल्पित थे और उन्होंने इसे कर भी दिखाया। दोबारा हुए मतदान में कुल 258 मतदाताओं में से 241 मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेकर यह साबित कर दिया कि पहले हुए मतदान में किसी ने कोई बूथ कैप्चंरंग नहीं की थी। दोबारा हुए मतदान में भी ग्रामीणों में गज़ब का उत्साह था। शत-प्रतिशत मतदान को मूर्त्त रुप देने के लिए घर से बाहर गये मतदाताओं को भी मतदान करने के लिए गाँव बुलाया गया। इतना ही नहीं मरीजों ने भी मतदान किया। सच कहा जाय तो इस गाँव वालों के लिए लोकतंत्र का यह महापर्व सचमुच का महापर्व था।
पुर्नमतदान के दिन प्रशासन ने सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया था। 25 अप्रैल को पांझ गाँव में सुबह 7 बजे से ही जिला निर्वाचन अधिकारी और डीएम योगेंद्र शर्मा, केंद्रीय प्रेक्षक टीएस अप्पाराव इत्यादि वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति थे। हालांकि ये अधिकारीगण तकरीबन 2-3 घंटो के बाद वापस चले गये थे, किन्तु इन्होंने दोबारा दोपहर 3 बजे गाँव आकर पूरी स्थिति का अवलोकन किया। इनके अलावा सहायक रिटर्निंग अधिकारी एचपी वर्मा, तहसीलदार रवींद्र चौकसे , सिविल लाईन के आरक्षी निरीक्षक एन पी द्विवेदी और उप आरक्षी अधीक्षक आर के समाधिया दिन भर मतदान केन्द्र में ही डटे रहे।
पर जबरिया वोटिंग न पूर्व के मतदान में हुआ था और न ही पुर्नमतदान में हुआ। अंत में जागरुकता और सच्चाई की जीत हुई। गाँव में खूब जश्न मना। गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया। ग्रामीण इस बात से भी नाराज़ हैं कि पुर्नमतदान की सूचना ग्रामीणों को समय से नहीं दी गई।
गांव
वाले
चाहते
हैं
माफी
मांगी
जाए
अब
इस
गाँव
के
निवासी
चाहते
हैं
कि
चुनाव
आयोग
गाँव
वालों
से
माफ़ी
मांगे।
इसके
के
लिए
ग्रामीणों
ने
पंचनामा
भी
तैयार
किया
है
तथा
एक
ज्ञापन
के
साथ
इसे
राष्ट्रपति,
सर्वोच्च
न्यायलय
के
मुख्य
न्यायधीष
एवं
मुख्य
चुनाव
आयुक्त
को
पंजीकृत
डाक
से
प्रेषित
किया
है।
हो सकता है कि इस गाँव के सारे मतदाता एक ही पार्टी के समर्थक हों और उसे जिताने के लिए कृत संकल्पित हों, फिर भी ऐसे जुनून को लोकतंत्र के लिए घातक तो कदापि नहीं कहा जा सकता। जो भी हो पांझ गाँव के लोगों, जिनमें से अधिकांश अनपढ़ हैं ने पढ़े-लिखे लोगों को एक पाठ जरुर पढ़ाया है। दूसरे शब्दों में उन्होंने सभी के लिए एक मिसाल कायम किया है।