क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

स्‍वच्‍छता की मिसाल बने हरियाणा के गांव

By Ajay Mohan
Google Oneindia News

Village
सडक पर चलते हमे ऐसे बहुत पढ़े लिखे मिल जाएगे, जो सड़क को ना सिर्फ कूडादान समझते हैं, बल्कि उसे चलता फिरता शौचालय भी समझते हैं. अपना घर साफ रहना चाहिए बाकी से क्या मतलब. बस यही सोच खराब कर रही है. हम सारी जिम्मेदारी सरकार पर डाल कर निश्चिंत होकर बैठ जाते हैं. दिन रात उसे ही कोसते हैं, खुद कुछ नही करना चाहते.

सरकार भी कहां तक देखेगी. वो तो स्कीम लागू कर देती है. अब उसका अनुकरण तो जनता को ही करना है. खैर, यहां बात कर रही हूँ सड़क को शौचालय समझने की. एक समय जरूर ऐसा था, जब मैला ढोया जाता था. फिर समय बदला और बहुत तेजी से बदला. हालकि कुछ राज्यों में आज भी ढोया जाता होगा, पर हरियाणा के सिरसा के सभी 333 गांवों में ऐसा कहीं नहीं है. स्वच्छ्ता के मामले में यहां के गांव अपने आप में एक मिसाल हैं। यहां के लोगों में जागरूकता मानो कूट-कूट कर भरी हुई है.

पढ़ें- कृपया कॉलर ट्यून बदल दें

वर्ष 2007-08 में देश के अन्य राज्यों की तरह सिरसा में भी सम्पूर्ण स्वच्छ्ता अभियान चला. उस समय जिला के अतिरिक्त उपायुक्त ने गांव के सरपंचो, पंचो, आगंवाडी वर्कर, स्कूली अध्यापकों व अय लोगों को बुला कर एक बैठक की. उसमे पहले लोगों के मन को टटोला गया. उनसे जानने की कोशिश की गई कि गांव के खेतों में कितने लोग शौच के लिए जाते हैं. जवाब मिला कि ज्यादातर सभी जाते हैं. फिर से पूछ्ने पर उन्होंने बताया कि अच्छा तो नही लगता पर चारा भी तो कोई नहीं है. बरसो-बरस से चली आ रही आदत को बदलना नामुमकिन है.

कोई क्यों बदलेगा अपनी आदत. बस तब उनकी सारी बाते जान कर उन लोगों को बाहर शौच जाने से होने वाली बीमारिया बताई गई. महिलाओं को शर्म का अहसास करवाया गया, कि जब वो खुले मे शौच जाती हैं तो ना जाने कितने लोगो की गंदी निगाहों का सामना करना पडता होगा. उस मीटिंग मे आए लोगों को सारी बाते सुन कर दिल से बहुत मह्सूस हुआ कि, वाकई में वो कितनी गंदगी में रह रहे हैं, जो शौच खेतों में जाकर करते हैं. वहाँ से मक्खिँया वापिस घरों मे आकर दुबारा गंदगी फैलाती हैं. इन सभी बाते को सुनकर लोगों को इतनी घिन्न आई कि उन लोगों ने यह फैसला कर लिया कि अब ना तो वो बाहर जाएगे बलिक और लोगों को भी समझाएगे कि घरो में ही शौचघर बनवा कर उसमे ही जाना चाहिए.

सभी गावँवासी ततकालीन अतिरिक्त उपायुक्त श्री युधबीर सिह ख्यालिया की बातों से इस कदर प्रभावित हुए कि एक होड़ सी लग गई कि हर गांव में यही आवाज सुनाई दी कि हम आपे गांव को खुले से मुक्त बना कर ही दम लेगें. सभी 333 गांवों में तो मानो एक लहर सी चल पड़ी. जय स्वच्छता के नारो से सारा सिरसा गूंज उठा. सारा गांव मानो एक परिवार बन गया. इसी बीच जय स्वच्छ्ता समीति का गठन किया गया. और उन्‍हें गांव-गांव भेजा गया. लोगो में जागरूक्ता पैदा की गई. गांव के बच्चों और महिलाओं को इस अभियान से जोड कर निगरानी कमेटी का सदस्य बना लिया गया. सुबह शाम वो लोग खुद निगरानी कर के बाहर शौच जाने वाले लोगों को हाथ जोड़कर प्यार से समझाने लगे.

पढ़ें- खुद निर्णय लेना सीखें महिलाएं

यह काम भी आसान नहीं था. जिद्दी लोग भी मिले जिन्होंने कहा कि वो तो बाहर ही शौच के लिए ही जाएगे घर मे नहीं जाएंगे. पर जब सभी गावं के लोगों ने उन्हें वास्ता दिया और जय स्व्च्छ्ता टीम ने समझाया तो बदलाव आना शुरू हो गया. चाहे कितना भी गरीब घर क्यों ना हो. सभी ने शौचालय बनाने शुरु कर दिए. धीरे-धीरे चारों तरफ वातावरण साफ होता चला गया. सिर्फ तीन महीने में गांव को लोगों ने वो कर दिखाया जो सम्भव ही नहीं था. 333 गांव खुले शौच से मुक्त हो गए. इस अभियान में बच्चे, महिलांए और सभी लोगो ने योगदान दिया तभी यह सफल हो पाया.

आज गाँव के लोग मानते हैं कि जहाँ पहले नाक पर कपड़ा रख कर गुजरना पड़ता था. आज वहीं सुबह ताजी हवा में सैर के लिए लोग देखे जा सकते हैं. इस अभियान मे हरियाणा का सिरसा पूरे भारत मे प्रथम रहा. कुल 333 मे से 260 को निर्मल ग्राम पुरुस्कार मिले. सन 2009 में इसका नाम लिम्का बुक आफ रिकार्ड मे लिखा गया. महामहिम राष्ट्र्पति महोदया ने हिसार मे इनाम बाँढे. स्व्च्छ्ता की लहर का एक उदाहरण तब देखने को मिला जब 26 जनवरी 2010 मे सिरसा के ही गाँव कालुआना को स्वच्छ्ता के मामले मे प्रदेश भर मे प्रथम घोषित किया गया है जिसने सरकार से 20 लाख का पुरुस्कार पाया है यानि सफाई की यह अलख लगातार जल रही है और अपनी रोशनी से औरो को प्रेरणा दे रही हैं. इतनी जागरुकता. विश्वास करना मुश्किल है.

पर आज सिरसा के सभी गाँव के लोगों में पूरी जागरूकता है. वो जान चुके हैं कि स्व्च्छ्ता कितनी जरुरी है. गाव की बहन बेटिया खुश हैं कि अब लोगो की गंदी नजरो से दो चार नही होना पड़ता. बच्चे खुश है कि अब बीमारिँया ही खत्म हो गई हैं. अब वो और भी स्व्च्छता का ध्यान रखने लगे हैं. जैसा कि गली मे फालतू पानी ना बहे. पीने के पानी का साफ हो, सोख्ता गड्डे बनवाना, हाथ साफ रखना और हाथ धो कर पानी पीना आदि.

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X