क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जानिए तिथियों का महत्व क्यों लोग रहते हैं इसके लिए परेशान?

भारतीय ज्योतिष के अनुसार एक मास में 30 तिथियॉ होती है। 15 तिथियॉ शुक्ल पक्ष में और 15 तिथियॉ कृष्ण पक्ष में होती है।

By पं. अनुज के शुक्ल
Google Oneindia News

लखनऊ। हिन्दू धर्म के त्यौहार तिथि के अनुसार मनाये जाते है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार एक मास में 30 तिथियॉ होती है। 15 तिथियॉ शुक्ल पक्ष में और 15 तिथियॉ कृष्ण पक्ष में होती है। एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के काल को अहोरात्र कहा गया है, उसी को एक तिथि माना गया है। ग्रन्थ सूर्य सिद्धान्त के अनुसार पंचागों की तिथियॉ दिन में किसी समय आरम्भ हो सकती है और इनकी अवधि 19 से 26 घण्टे तक हो सकती है।

जानिए तिथियों का महत्व क्यों लोग रहते हैं इसके लिए परेशान?

तिथि निकालने के लिए स्पष्ट चन्द्र में से स्पष्ट सूर्य घटाकर 12 से भाग देने पर तिथि ज्ञात होती है। मुहूर्त चिन्तामणि के अनुसार पॉच प्रकार की तिथियॉ होती है। नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा।

नन्दा तिथियॉ-प्रतिपदा, षष्ठी व एकादशी।
भद्रा तिथियॉ-द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी।
जया तिथियॉ-तृतीया, अष्टमी व त्रयोदशी।
रिक्ता तिथियॉ-चतुर्थी, नवमी व चतुदर्शी।
पूर्णा तिथियॉ-पंचमी, दशमी, पौर्णमासी और अमावस्या।

प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक अशुभ

प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक अशुभ

शुक्ल पक्ष में ये तिथियॉ प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक अशुभ मानी जाती है। इसलिए कि अमावस्या के दिन चन्द्रमा {अस्त} लुप्त होकर शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन शाम के समय थोड़ा सा सूर्यास्त के बाद दिखाई देते हुये शुक्ल पक्ष की पंचमी तक चन्द्रमा की कलायें क्षीण रहने से शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी व पंचमी तिथियॉ अशुभ कही गई है।

अशुभ न होकर मध्यम फल देने वाली

अशुभ न होकर मध्यम फल देने वाली

पुनः शुक्ल पक्ष की षष्ठी से दशमी तक ज्यों-ज्यों चन्द्रमा की कलायें बढ़ती है त्यों-त्यों षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, व दशमी तिथियॉ अशुभ न होकर मध्यम फल देने वाली कही गई है।

ये पॉचों तिथियॉ शुभ फल देने वाली

ये पॉचों तिथियॉ शुभ फल देने वाली

शुक्ल पक्ष की एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुदर्शी व पौर्णमासी ये पॉच तिथियॉ उत्तम फल देने वाली होती है।इसी प्रकार से कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पंचमी तक चन्द्रमा की कलायें उत्तम होने के कारण ये पॉचों तिथियॉ शुभ फल देने वाली होती है। फिर कृष्ण पक्ष में चन्द्रमा षष्ठी तिथि से क्षीण होने लगता है इसलिए षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी व दशमी तिथि मध्यम फलदायक होती है। कृष्ण पक्ष में एकादशी से लेकर अमावस्या तक पॉच तिथियॉ चन्द्रमा की किरणों से पूर्ण रूप से क्षीण हो जाने से अशुभ फलदायक होती है। अर्थात सामान्यतः शुक्ल पक्ष की पंचमी से कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तक 15 तिथियॉ शुभ होता है तथा कृष्ण पक्ष पंचमी से लेकर शुक्ल चतुदर्शी तक की 15 तिथियॉ मध्यम फल देने वाली होती है।

किस तिथि को क्या करना वर्जित है

किस तिथि को क्या करना वर्जित है

स्त्री-पुरूष दोनों के लिए नियम है कि षष्ठी तिथि के दिन तेल न लगायें, अष्टमी को मॉस का सेंवन न करें, चतुदर्शी के क्षौर कर्म {हजामत, बाल कटवाना व दाढ़ी बनाना} नहीं करना चाहिए। द्वितीया, दशमी व त्रयोदशी के दिन उबटन लगाना वर्जित है। एकादशी को चावल नहीं खाना चाहिए और अमावस्या को मैथुन {स्त्री संगम} कदापि नहीं करना चाहिए। कहीं-कहीं पर व्यतिपात, संक्रान्ति, एकादशी में, पर्व दिनों में, भद्रा और वैधृति योग में भी तेल लगाना वर्जित बताया गया है। प्रतिपदा तिथि में विवाह, यात्रा, उपनयन, चौल कर्म, वास्तु कर्म व गृह प्रवेश आदि मॉगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।

किस तिथि में कौन सा काम करना शुभ होता है

किस तिथि में कौन सा काम करना शुभ होता है

1-द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी व त्रयोदशी तिथि में यात्रा, विवाह, संगीत, विद्या व शिल्प आदि कार्य करना लाभप्रद रहता है।
2-चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथि में विद्युत कर्म, बन्धन, शस्त्र विषय, अग्नि आदि से सम्बन्धित कार्य करने चाहिए।
3-षष्ठी तिथि में यात्रा, दन्त कर्म व लकड़ी खरीदने-बेचने का कार्य करना शुभ रहता है।
4-अष्टमी तिथि में युद्ध, राजप्रमोद, लेखन, स्त्रियों को आभूषण आदि पहने वाले कार्य करने चाहिए।
5-एकादशी तिथि में व्रत उपवास, अनेक धर्मकृत्य, देवोत्सव, उद्यापन व धार्मिक कथा आदि कर्म करना श्रेष्ठप्रद रहता है।
6-यात्रा को छोड़कर अन्य सभी धार्मिक द्वादशी तिथि में करना हितकर रहता है।
7-विवाह, शिल्प, मंगल संग्राम, वास्तुकर्म, यज्ञ क्रिया, देव प्राण-प्रतिष्ठा आदि मॉगलिक कर्म पौर्णमासी तिथि में करना शुभप्रद रहता है।
8-अमावस्या तिथि में सदा पितृकर्म करना चाहिए। अमावस्या के दिन शुभ कर्म नहीं करना चाहिए।

ये भी आजमाएं

  • अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। किसी तालाब या नदी किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है।
  • इस दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे। यही पुण्य कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे।
  • यदि आपकी नौकरी नहीं लग पा रही है तो अमावस्या के दिन एक नीबू को गंगाजल से धोकर सुबह अपने घर के मंदिर में रख दें। फिर रात के समय इसे 7 बार अपने ऊपर से घड़ी की सुई की दिशा में घुमाकर इसके चार बराबर भाग कर लें और किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दे। वापस घर आ जाएं और मुड़कर पीछे न देखें।
  • अमावस्या को सायंकाल घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक लगाने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।

Comments
English summary
An activity is said to be auspicious when it is performed to provide best results. Behind every activity, the expectations are always for good results.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X