वो मस्त-मौला है या तुनकमिजाज, जानिए उसकी राशि से कैसा है वो?
नई दिल्ली। प्रत्येक व्यक्ति अपने गुणधर्म, रूप-रंग, स्वभाव से तो स्वयं तो परिचित होता है, लेकिन उसकी रूचि दूसरों में भी होती है कि आखिर सामने वाले व्यक्ति का व्यवहार और स्वभाव कैसा है। और उससे आपका तालमेल बनेगा या नहीं। इस सहज जिज्ञासा को शांत करती है राशियां।
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प्रत्येक राशि का अपना एक स्वभाव, गुण-धर्म, दिशा, तत्व, संज्ञा होती है, जिससे जुड़े जातक में भी वही सब गुण देखे जा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश में स्थिति भचक्र के 360 अंश या 108 भाग होते हैं और यह भचक्र 12 राशियों में बंटा हुआ है। अतः 30 अंश या 9 भाग की एक राशि होती है।
आइये जानते हैं किस राशि का क्या है गुण और स्वभाव
मेष
यह पुरुष जाति, चरसंज्ञक, अग्नितत्व और पूर्व दिशा की मालिक होती है। मस्तक का बोध कराने वाली, उग्र प्रकृति, लाल-पीले वर्ण वाली, कांतिहीन, क्षत्रियवर्ण, सभी समान अंग वाली और अल्पसंतति राशि है। यह पित्त प्रकृतिकारक है। इसका स्वभाव साहसी, अभिमानी और मित्रों का साथ देने वाला है।
वृषभ
यह स्त्री राशि है। स्थिरसंज्ञक, भूमितत्व, शीतल स्वभाव, कांतिरहित, दक्षिण दिशा की स्वामिनी, वात प्रकृति, रात्रिबली, चार चरणवाली, श्वेत वर्ण, मध्यम संतति, शुभकारक, वैश्यवर्ण और शिथिल शरीर वाली राशि है। यह अर्द्धजल राशि कहलाती है। इसका प्राकृतिक स्वभाव स्वार्थी, समझकऱ काम करने वाली है। इस राशि से कंठ, मुख, कपोलों का विचार किया जाता है।
मिथुन
पश्चिम दिशा की स्वामिनी, वायुतत्व, तोते के समान हरित वर्ण वाली, पुरुष राशि, द्विस्वभाव, उष्ण, शूद्रवर्ण, दिनबली, मध्यम संतति और शिथिल शरीर है। इसका प्राकृतिक स्वभाव विद्या अध्ययनी और शिल्पी है। इससे हाथ, कंधों और बाहुओं का विचार किया जाता है।
कर्क
चर, स्त्री जाति, सौम्य और कफ प्रकृति, जलचरी, रात्रिबली, उत्तर दिशा की स्वामिनी है। रक्त-धवल मिश्रित वर्ण, बहुसंतति है। इसका प्राकृतिक स्वभाव सांसारिक उन्नति में प्रयत्नशील, लज्जा, कार्य में स्थिरता है। इससे पेट, वक्षस्थल और गुर्दे का विचार किया जाता है।
सिंह
पुरुष जाति, स्थिरसंज्ञक, अग्नितत्व, दिनबली, पित्त प्रकृति, पीतवर्ण, उष्ण स्वभाव, पूर्व दिशा की स्वामिनी, पुष्ट शरीर, क्षत्रिय वर्ण, अल्पसंतति, भ्रमणप्रिय और निर्जल राशि है। इसका प्राकृतिक स्वरूप मेषराशि जैसा है लेकिन इसमें स्वतंत्र प्रेम और उदारता का गुण भी है। इससे हृदय का विचार किया जाता है।
कन्या
पिंगल वर्ण, स्त्री जाति, द्विस्वभाव, दक्षिण दिशा की स्वामिनी, रात्रिबली, वायु और शीत प्रकृति, पृथ्वीतत्व और अल्प संतानी है। इसका प्राकृतिक स्वभाव मिथुन जैसा है, पर विशेषता इतनी है कि अपनी उन्नति और मान पर पूर्ण ध्यान रखने की कोशिश करती है। इससे पेट का विचार किया जाता है।
तुला
पुरुष जाति, चरसंज्ञक, वायुतत्व, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, अल्पसंतान वाली, श्यामवर्ण, शूद्रसंज्ञक, दिनबली, क्रूर स्वभाव और पाद जल राशि है। इसका प्राकृतिक स्वभाव विचारशील, ज्ञानप्रिय और राजनीतिज्ञ है। इससे नाभि के नीचे के अंगों का विचार किया जाता है।
वृश्चिक
स्थिर संज्ञक, शुभ्रवर्ण, स्त्री जाति, जलतत्व, उत्तर दिशा की स्वामिनी, रात्रिबली, कफ प्रकृति, बहुसंतति, ब्राह्मण वर्ण और अर्द्धजलराशि है। इसका प्राकृतिक स्वभाव दंभी, हठी, दृढ़ प्रतिज्ञ, स्पष्टवादी और निर्मल है। इससे शरीर के कद एवं जननेंद्रिय का विचार किया जाता है।
धनु
पुरुष जाति, कांचन वर्ण, द्विस्वभाव, क्रूरसंज्ञक, पित्त प्रकृति, दिनबली, पूर्व दिशा की स्वामिनी, दृढ़ शरीर, अग्नितत्व, क्षत्रिय वर्ण, अल्प संतति एवं अर्द्धजलराशि है। इसका स्वभाव अधिकारप्रिय, करुणामय और मर्यादा का इच्छुक है। इससे पैरों की संधि तथा जंघाओं का विचार किया जाता है।
मकर
चरसंज्ञक, स्त्रीजाति, पृथ्वीतत्व, वात प्रकृति, पिंगल वर्ण, रात्रिबली, वैश्यवर्ण, शिथिल शरीर और दक्षिण दिशा की स्वामिनी है। इसका प्राकृतिक स्वभाव उच्च दशाभिलाषी है। इससे घुटनों का विचार किया जाता है।
कुंभ
पुरुष जाति, स्थिरसंज्ञक, वायुतत्व, विचित्र वर्ण, अर्द्धजल, त्रिदोष प्रकृति, दिनबली, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, उष्ण स्वभाव, शूद्र वर्ण, क्रूर एवं मध्यम संतति है। इसका स्वभाव विचारशील, शांतचित्त, धर्मवीर और नवीन बातों का आविष्कारक है। इससे पेट के भीतरी भागों का विचार किया जाता है।
मीन
द्विस्वभाव, स्त्री जाति, कफ प्रकृति, जल तत्व, रात्रिबली, विप्रवर्ण, उत्तर दिशा की स्वामिनी और पिंगल रंग है। इसका प्राकृतिक स्वभाव उत्तम, दयालु और दानशील है। यह संपूर्ण जलराशि है। इससे पैरों का विचार किया जाता है।