चमत्कारिक असर दिखा सकते हैं पन्ने के उपरत्न...
पन्ना की कीमत अधिक होने के कारण सभी लोग इसे धारण नहीं कर सकते, इसलिए इसके उपरत्न धारण किए जा सकते हैं।
नई दिल्ली। ज्ञान, बुद्धि, विवेक, शिक्षा, सात्विकता, अध्यात्म और व्यापार व्यवसाय का कारक ग्रह बुध होता है। राशि चक्र की दो राशियों मिथुन और कन्या का स्वामी बुध है। कुंडली में यदि बुध शुभ प्रभाव नहीं दे रहा हो। बुध की महादशा चल रही हो। बुध लग्न हो तो इसका रत्न पन्ना धारण करने की सलाह दी जाती है।
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लेकिन पन्ना की कीमत अधिक होने के कारण सभी लोग इसे धारण नहीं कर सकते, इसलिए इसके उपरत्न धारण किए जा सकते हैं। रत्न विज्ञान में नौ प्रमुख ग्रहों के रत्नों के उपरत्न बताए गए हैं। इनके अनुसार जबरजद यानी पेरिडॉट, बैरूज, पन्नी और मरगज ये चार प्रमुख उपरत्न हैं। इन्हें धारण करने से भी पन्ना पहनने के समान ही प्रभाव उत्पन्न होता है, लेकिन ये सभी उपरत्न धीमे प्रभाव दिखाते हैं।
जबरजद या पेरिडॉट
यह चमकदार, पीली आभा वाला हरे रंग का, चिकना, वजन में हल्का होता है। यह पारदर्शी होता है। असली जबरजद को रेशमी वस्त्र से रगड़ने पर इसकी चमक कम हो जाती है। स्त्रियों को प्रसव पीड़ा के समय जबरजद धारण करवाने से शीघ्र बिना कष्ट के प्रसव हो जाता है। जब मीन राशि पर चंद्रमा हो तब पेरिडॉट पर घोड़े की सुंदर आकृति खुदवाकर उसे पेंडेंट, अंगूठी आदि में जड़वाकर पहनने से मानसिक रोग, पागलपन, आदि शांत हो जाते हैं। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। मानसिक तनाव तुरंत दूर करता है। पेरिडॉट पथरी नाशक होता है, इसलिए वैद्य की सलाह से इसकी पिष्ठी, भस्म खाने से पथरी का नाश होता है।
बैरूज या एक्वामरीन
बैरूज को हनिन्नीलमणी भी कहते हैं। यह हरे समुद्र के रंग की आभावाला, बीच-बीच में नीली-पीली झाई वाला पन्ने का उपरत्न है। देखने में यह पन्ने से साफ रंग वाला, चिकना और कोमल होता है। बैरूज अपारदर्शी होता है। पन्ने के विकल्प के रूप में इसे धारण किया जा सकता है, लेकिन गुण कम होने के कारण इसे बड़े आकार में या अनेक मोतियों की माला के रूप में धारण करने की सलाह दी जाती है। औषधीय गुण कम होने के कारण दवाओं में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मानसिक शांति प्रदान करने में एक्वामरीन अत्यंत काम आता है।
पन्नी
इसे असली पन्ने का अपशिष्ट कहा जा सकता है और यह पन्ने की खान में ही पाया जाता है, लेकिन निम्न कोटि का होता है। हरे रंग का खुरदुरा और कम चमकवाला होता है। सूर्य की रोशनी में देखने पर इसमें बिंदु तथा जाल नजर आता है। वजन में भी यह भारी होता है। पन्नी को धारण करने से पित्त की पीड़ा दूर होती है। ज्ञानी वैद्य नीम के पत्तों के साथ पन्नी का पिसा चूर्ण ठंडे पानी से सेवन करने की सलाह देते हैं, इससे बढ़ा हुआ पित्त शांत होता है। पशुओं के गले में इसे पहनाने से उन्हें अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है।
मरगज
यह भी हरे रंग का होता है। संस्कृत में इसे हरिद रत्न, वृक्किज, हरितमणि और अंग्रेजी में जेड या नेफ्राइट कहते हैं। मरगज इसका फारसी नाम है। यह अपारदर्शी, चिकना, कोमल, भारी होता है। मरगज में पन्ने की अपेक्षा अत्यंत कम गुण होते हैं इसलिए इसे बड़े आकार में धारण करने की सलाह दी जाती है।
मुहांसे दूर होते हैं
मरगज में पन्ने की अपेक्षा अत्यंत कम गुण होते हैं इसलिए इसे बड़े आकार में धारण करने की सलाह दी जाती है। मरगज धारण करने से व्यक्ति के शरीर में ताजगी, स्फूर्ति बनी रहती है। मानसिक रोगों, सिरदर्द में आराम मिलता है। वैद्य इसकी भस्म से अनेक रोगों की दवा बनाते हैं। इसकी भस्म को जल में मिलाकर स्नान करने से त्वचा का रूखापन दूर होता है। मुहांसे दूर होते हैं।
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