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पूर्व दिशा: बदल सकती है आपकी दशा जानिए कैसे?

किसी ऑफिस में वास्तुदोष हो तो वहां कभी तरक्की नहीं होती और यदि घर में वास्तुदोष हो तो उसमें रहने वालों के बीच अनबन बनी रहती है।

By पं.गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। संपूर्ण वास्तुशास्त्र दिशाओं पर आधारित है। दिशाओं के शुभ-अशुभ परिणामों को ध्यान में रखकर बनाया गया भवन उसमें निवास करने वालों को सुख, संपदा, सफलता प्रदान करता है, लेकिन भवन निर्माण में दिशाओं को महत्व न देते हुए अव्यवस्थित निर्माण किया गया है तो उस घर में रहने वाले दुखी, रोगी और सदा धन की कमी से जूझने वाले होते हैं।

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वास्तुशास्त्र में दस दिशाएं

वास्तुशास्त्र में दस दिशाएं

वास्तुशास्त्र में दस दिशाएं मानी गई हैं। ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर, आकाश और पृथ्वी। किसी भी भवन के निर्माण में इन दसों दिशाओं का गहराई से ध्यान रखा जाता है। तो आइये हम सबसे पहले पूर्व दिशा के बारे में जानते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा के स्वामी ब्रह्मा और इंद्र होते हैं। इस दिशा में दोष रहने पर क्या दुष्परिणाम होते हैं और दोषरहित रहने पर क्या परिणाम आते हैं इन्हें जानना बहुत जरूरी है।

अच्छे परिणाम

अच्छे परिणाम

  • घर के पूर्वी हिस्से में अधिक खाली जगह हो तो धन एवं वंश की वृद्धि होती है।
  • भूखंड पर बने भवन, कमरों, बरामदों में भी पूर्वी हिस्सा नीचा हो तो उस घर में रहने वाले लोग प्रत्येक क्षेत्र में तरक्की करते हैं और स्वस्थ रहते हैं।
  • पूर्व दिशा में निर्मित मुख्य द्वार तथा अन्य द्वार भी केवल पूर्वमुखी हो तो शुभ परिणाम सामने आते हैं।
  • घर की पूर्व दिशा में दीवार जितनी कम ऊंची होगी उतनी ही मकान मालिक को यश-प्रतिष्ठा, सम्मान प्राप्त होगा। ऐसे मकान में रहने वाले लोगों को आयु और आरोग्य दोनों की प्राप्ति होती है।
  •  पुत्र-पौत्रो की वृद्धि

    पुत्र-पौत्रो की वृद्धि

    • पूर्व दिशा के घर के मध्य भाग की अपेक्षा नीचे चबूतरे बनाए जाएं तो शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
    • पूर्व दिशा में बरामदा झुका हुआ बनाया जाए तो घर के पुरुष सुखी एंव धनी होते हैं।
    • पूर्वी दिशा की चारदीवारी पश्चिमी चारदीवारी की अपेक्षा कम ऊंची हो तो पुत्र-पौत्रो की वृद्धि होती है।
    • पूर्वी दिशा में कुआं या पानी की टंकी हो तो यह शुभ फलदायी है।
    • खराब परिणाम

      खराब परिणाम

      • अन्य दिशाओं की अपेक्षा भवन का पूर्वी भाग ऊंचा हो तो गृह स्वामी दुखी और धन की तंगी से जूझता है। ऐसे घर में संतानें रोगी और मंदबुद्धि होती हैं।
      • पूर्वी दिशा में खाली जगह रखे बिना चारदीवारी से सटाकर कमरे बनाएं जाएं तो संतान संतान की कमी होती है।
      • पूर्वी दिशा में नियमित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेयमुखी हों तो दरिद्रता, अदालती मामले, चोरों का भय एवं अग्नि का भय बना रहता है।
      • भूखंड के पूर्व दिशा में ऊंचे चबूतरे हो तो अकारण अशांति, आर्थिक संकट बना रहता है। गृह स्वामी कर्ज में डूबा रहता है।
      • पूर्वी भाग में कचरा, पत्थरों के टीले, मिट्टी के ढेर आदि हों तो धन और संतान की हानि होती है।
      • मकान किराए पर दे रहे हैं तो...

        मकान किराए पर दे रहे हैं तो...

        • मकान किराए पर दे रहे हैं तो मकान मालिक हमेशा ऊपर की ओर रहे और किराएदार को नीचे के हिस्से में रखें। यदि किराएदार मकान खाली करके चला जाए तो मकान तुरंत दूसरे किराएदार को दे दें। यदि किराएदार न मिले तो स्वयं मकान मालिक उसका उपयोग करे।
        • पूर्वमुखी घरों के लिए चारदीवारी ऊंची नहीं होनी चाहिए। इससे आर्थिक सफलता में रूकावट आती है।
        • पूर्व में बनी चारदीवारी पश्चिम की चारदीवारी से ऊंची हो तो संतान को कष्ट होता है।

Comments
English summary
Designing home office is an interesting idea and but could be an expensive undertaking. Its design should be according to Vastu in order to get affordable.
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