क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जीवन को खुशहाल बनाता है सूर्य को अर्घ्य देना

शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की प्रत्येक रचना पांच मुख्य तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु से मिलकर हुई है।

By पं. गजेंद्र शर्मा
Google Oneindia News

नई दिल्ली।भारतीय जीवनचर्या में सूर्य को अर्घ्य देना या जल चढ़ाना एक प्रचलित धार्मिक रीति है। हमारे यहां सभी धार्मिक व्यक्ति स्नान के बाद सूर्य को एक कलश या लोटा भर जल अर्पित कर अपने दिन की शुरुआत करते हैं।

सिर्फ सूर्य को प्रसन्न कीजिए, मिलेगी तरक्की ही तरक्कीसिर्फ सूर्य को प्रसन्न कीजिए, मिलेगी तरक्की ही तरक्की

हालांकि आधुनिक पीढ़ी इसे एक पुराना धार्मिक संस्कार मान सिरे से नकारती है। लेकिन क्या वाकई सूर्य को अर्घ्य देना मात्र एक धार्मिक रीति है? या इससे कुछ और भी लाभ मिलते हैं?

तो आइये, सबसे पहले बात करते हैं सूर्य की

तो आइये, सबसे पहले बात करते हैं सूर्य की

हम सभी जानते हैं कि सूर्य सारे ब्रह्मांड की उर्जा का स्रोत है। सृष्टि के कण-कण को शक्ति सूर्य से ही मिलती है। प्रकृति हो या मनुष्य या चर-अचर जगत की कोई भी वस्तु, सभी सूर्य की किरणों के स्पर्श मात्र से नया जीवन पाते हैं। इसकी वजह क्या है? वजह है संपूर्ण सृष्टि के केंद्र वो पांच तत्व, जिनसे संपूर्ण प्रकृति, प्रत्येक प्राणी, चर-अचर जगत का निर्माण हुआ है। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की प्रत्येक रचना पांच मुख्य तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु से मिलकर हुई है। ये पांचों प्रकृति के आधार तत्व हैं और इन सभी का केंद्र है सूर्य। ब्रह्मांड निर्माण के इन पांचों तत्वों को उर्जा सूर्य से मिलती है।

ऋग्वेद में है सूर्य अर्घ्य का महत्व

ऋग्वेद में है सूर्य अर्घ्य का महत्व

भारतीय दर्शन के मूल आधार चारों वेदों में से पहले और प्रमुख ऋग्वेद में इसका समुचित और विस्तृत विवरण मिलता है। ऋग्वेद में कहा गया है कि सूर्य प्रकृति के प्रत्येक कण को जागृत करता है। सूर्य के कारण ही सृष्टि का प्रत्येक कण काम करता है और सक्रिय रहता है। सृष्टि के समस्त जीवित तत्व अपनी उर्जा के लिए सूर्य पर ही निर्भर करते हैं। सूर्य जीव मात्र की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दुर्बलताओं को समाप्त कर प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है। सूर्य की किरणों में समाहित सात रंग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण और असरकारी हैं। यदि कोई व्यक्ति सुबह स्नान करने के बाद एक कलश जल सूर्य को अर्पित करता है, तो उस जल की धार से छनकर आती सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर पड़कर सारे रोगों को दूर करती हैं और व्यक्ति को बुद्धिमान बनाती हैं।

वैज्ञानिकों ने भी माना अर्घ्य का महत्व

वैज्ञानिकों ने भी माना अर्घ्य का महत्व

धर्म से इतर वैज्ञानिक प्रमाणों पर विश्वास करने वाली आधुनिक पीढ़ी के लिए सूर्य को अर्घ्य देने के पक्ष में पर्याप्त वैज्ञानिक आधार हैं। कई वैज्ञानिकों ने अनुसंधान और शोध के बाद प्रमाणित किया है कि वेदों में बताया गया हर कार्य विज्ञान सम्मत है। सूर्य को अर्घ्य देने की रीति के बारे में विस्तृत प्रमाण देते हुए विज्ञान ने भी साबित किया है कि जब हम सूर्योदय के समय दोनों हाथों को उपर उठाकर सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तब तीखे किनारी वाले कलश से पानी की पतली सी धार गिरती है। इस धार से सूर्य और जल चढ़ा रहे व्यक्ति के बीच पानी की एक पतली दीवार बन जाती है। यूं तो सूर्य के प्रचंड प्रकाश की तरफ खाली आंखों से देख पाना संभव नहीं है, पर पानी की धुंधली दीवार से छनकर जब सूर्य की किरणेंणें हमारी आंखों पर पड़ती हैं, तो वह नेत्र ज्योति को परिष्कृत करती हैं। इससे आंखों की ना सिर्फ रोशनी बढ़ती है, बल्कि कई तरह के रोगों से बचाव भी होता है। पानी की धार से छनकर आती सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर सकारात्मक उर्जा का छिड़काव करती हैं। इससे व्यक्ति के आंतरिक और आत्मिक बल में वृद्धि होती है।

यह है ज्योतिषीय महत्व

यह है ज्योतिषीय महत्व

सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व केवल वेदों और विज्ञान में ही नहीं बताया गया है, बल्कि ज्योतिष ग्रंथों में भी सूर्य को अर्घ्य देने के अनेक लाभ बताए गए हैं। जन्मांगचक्र में सूर्य की कमजोर स्थिति हो और सूर्य को बली बनाना हो तो सूर्य को प्रतिदिन लाल पुष्प, कच्चा दूध, बताशा डालकर अर्घ्य दिया जाता है। नौकरी या बिजनेस में लाभ नहीं मिल रहा हो या अटका हुआ पैसा निकालना हो तो सूर्य को जल चढ़ाना लाभकारी होता है।

धर्म हो या विज्ञान

धर्म हो या विज्ञान

बहरहाल, धर्म हो या विज्ञान, दोनों का उद्देश्य मानव मात्र की भलाई और उसकी क्षमताओं में वृद्धि करना है। दोनों ही अपने स्वभाव और मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के विकास में सहायक होते हैं। यही वजह है कि कभी धर्म विज्ञान का, तो कभी विज्ञान धर्म का परीक्षण करता रहता है। इसी क्रम में सूर्य को अर्घ्य देने जैसी रीतियां प्रमाणित होती हैं, जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी होती हैं। वैसे भी सूर्य को जल चढ़ाना ना तो अधिक समय और ना ही अतिप्रयास मांगता है। एक छोटे से प्रयास को आदत बनाकर हम अपना संपूर्ण कल्याण बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं।

Comments
English summary
Sun is treated as a ferocious and cruel planet. It's nature is hot and it is the controller of sharpness of mind, beauty and energy of body.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X