क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

क्या होता है साढ़े तीन मुहूर्त और क्या है इसका महत्व?

By पं. अनुज के शुक्ल
Google Oneindia News

लखनऊ।सर्व कार्य सिद्धि के होरा मुहूर्त पूर्ण फलदायक और अचूक होते हैं। सूर्य का होरा राज्य सेवा के लिए उत्तम है, चन्द्र की होरा सर्व कार्य सिद्धि के लिए उत्तम है, मंगल की होरा युद्ध, साहसी कार्य, भूमि-प्रापर्टी का क्रय-विक्रय, कलह, मुकदमा व वाद-विवाद के लिए अच्छी होती है, बुध ग्रह की होरा शिक्षा व ज्ञान से सम्बन्धित कोई भी कार्य करने के लिए उत्तम होती है, गुरू की होरा मॉगलिक कार्य जैसे-विवाह, मुण्डन व यज्ञ आदि के लिए शुभ होती है। शुक्र की होरा प्रवास के लिए उत्तम है और शनि की होरा तकनीकी कार्य एंव द्रव्य संग्रह के लिए श्रेष्ठ है।

बला की खूबसूरत होती हैं चित्रा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियांबला की खूबसूरत होती हैं चित्रा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियां

बुध ग्रह की होरा शिक्षा व ज्ञान से सम्बन्धित कोई भी कार्य करने के लिए उत्तम होती है, गुरू की होरा मॉगलिक कार्य जैसे-विवाह, मुण्डन व यज्ञ आदि के लिए शुभ होती है। शुक्र की होरा प्रवास के लिए उत्तम है और शनि की होरा तकनीकी कार्य एंव द्रव्य संग्रह के लिए श्रेष्ठ है।

 अहोरात्र में 24 होरा

अहोरात्र में 24 होरा

एक अहोरात्र में 24 होरा होती है, अर्थात प्रत्येक होरा एक घण्टे की हुई। जिस दिन जो वार होता है, उस वार के सूर्योदय के समय से 1 घण्टे तक उसी दिन की होरा होती है तत्पश्चात 1 घण्टे का दूसरा होरा उस वार के छठें वार का होता है। इसी प्रकार से दूसरे होरे के वार से छठे वार का होरा तीसरे घण्टे तक रहता है। जैसे-सोमवार के दिन सूर्योदय काल में पहली एक घण्टे की होरा सोमवार की होगी और फिर सोमवार से छठा दिन शनिवार हुआ इसलिए दूसरी होरा शनिवार की हुई इसी प्रकार से तीसरी होरा शनिवार से छठें वार की होगी। यही क्रम पूरे 24 घण्टे चलता है।

विशेष

विशेष

प्रत्येक जातक को अपनी राशि के स्वामी ग्रह के शत्रु ग्रहों की होरा को यात्रा, विवाह, युद्ध आदि में त्याग करना चाहिए। जैसे-मान लीजिए धनंजय कुमार जातक की नाम राशि के स्वामी गुरू है और गुरू के शत्रु ग्रह बुध एंव शुक्र है। अतः धनंजय कुमार को बुध और शुक्र की होरा में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए अन्यथा कार्य में निश्चित रूप से बाधायें आयेंगी। धनंजय कुमार के मित्र ग्रह चन्द्र है, इसलिए आप कोई शुभ कार्य चन्द्र या गुरू की होरा में प्रारम्भ करें सफलता अवश्य मिलेगी।

पंचांग शुद्धि, चन्द्र शुद्धि, तारा शुद्धि

पंचांग शुद्धि, चन्द्र शुद्धि, तारा शुद्धि

मुहूर्त निकालने के लिए पंचांग शुद्धि, चन्द्र शुद्धि, तारा शुद्धि एंव लग्न शुद्धि की आवश्यकता होती है। किन्तु वर्ष में साढ़े तीन मुहूर्त ऐसे होते है, जिसमें किसी भी प्रकार की शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती है, फिर भी जातक को चाहिए कि वह अपनी चन्द्र राशि एंव लग्न को दृष्टिगत रखकर अधोलिखित साढ़े तीन मुहूर्त में शुभ कार्य सम्पादित कर लेना चाहिए।

साढ़े तीन मुहूर्त निम्न प्रकार से हैं...

साढ़े तीन मुहूर्त निम्न प्रकार से हैं...

साढ़े तीन मुहूर्त में प्रथम तीन मुहूर्त पूरे के पूरे शुद्ध है तथा चौथा मुहूर्त को आधा मानकर कुल साढ़े तीन मुहूर्त माना गया है। एक वर्ष में पड़ने वाले साढ़े तीन मुहूर्त निम्न प्रकार से है-

  • चैत्र शुक्ल प्रतिपदा {विक्रम संवत् आरम्भ}
  • वैशाख शुक्ल तृतीया {अक्षय तृतीया}
  • आश्विन शुक्ल दशमी {दशहरा}
  • कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा {अन्नकूट, गोवर्धन पूजा} ये आधा मुहूर्त है।
  • विशेष महत्व

    विशेष महत्व

    इस प्रकार उक्त मुहूर्तो का वर्ष में विशेष महत्व होने के कारण इन मुहूर्तो में शुभ कार्य सम्पादित करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं पड़ती है। अतः उपरोक्त बताये साढ़े तीन मुहूर्त में जातक को मात्र चन्द्र राशि एंव लग्न देखकर शुभ कार्य सम्पन्न किये जा सकते है।

Comments
English summary
In a calendar year three and half days are considered highly auspicious as per traditional Vedic astrology followed in North and western parts of India.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X