महंगे रत्न नहीं, पेड़-पौधों की जड़े करेंगी चमत्कार
ज्योतिष विज्ञान में महंगे रत्नों, उपरत्नों के विकल्प के रूप में पेड़-पौधों की जड़ें पहनी जाती हैं।
नई दिल्ली। हम अक्सर लोगों के हाथ में विभिन्न रंग-बिरंगे पत्थर जड़ी अंगुठियां देखते हैं। दरअसल ये रत्न होते हैं जो वे अपने जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति के लिए और भाग्य चमकाने के लिए किसी ज्योतिषी की सलाह से पहनते हैं। नौ ग्रहों के नौ रत्न होते हैं जिन्हें मुख्य रत्न कहा जाता है। मुख्य रत्नों के अलावा इन सभी के उपरत्न होते हैं। जो व्यक्ति महंगे रत्न नहीं पहने सकते, वे उपरत्न पहनते हैं। लेकिन यदि आप कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहते तो कुछ पेड़-पौधों की जड़ भी होती हैं जिन्हें अपने पास रखने से रत्नों जैसा ही प्रभाव मिलता है।
ज्योतिष विज्ञान में महंगे रत्नों, उपरत्नों के विकल्प के रूप में पेड़-पौधों की जड़ें पहनी जाती हैं। इससे बुरे ग्रहों का प्रभाव नष्ट होता है और संबंधित ग्रह अनुकूल होता है।
आइये
जानते
हैं
कौन-से
पेड़-पौधे
की
जड़
किस
ग्रह
को
प्रसन्न
करने
के
काम
आती
है
और
उसका
उपयोग
कैसे
करें।
सूर्य
बेलमूल
की
जड़
में
सूर्य
का
वास
माना
गया
है।
मान-सम्मान,
यश,
कीर्ति,
तरक्की
की
चाह
रखने
वालों
को
रविवार
के
दिन
पिंक
कपड़े
में
इसकी
जड़
को
बांधकर
दाहिनी
भुजा
में
बांधना
चाहिए।
सूर्य
के
बुरे
प्रभाव
नष्ट
होकर
शुभ
प्रभाव
में
वृद्धि
होती
है।
अपच,
चक्कर
आना,
हार्ट
और
रीढ़
से
संबंधित
रोगों
में
इससे
आराम
मिलता
है।
मंत्र
-
ॐ
ह्रां
ह्रीं
ह्रौं
सः
सूर्याय
नमः
चंद्र
चंद्रमा
से
संबंधित
बुरे
प्रभाव
कम
करने
के
लिए
खिरनी
की
जड़
का
प्रयोग
किया
जाता
है।
सोमवार
के
दिन
सफेद
कपड़े
में
हाथ
में
बांधने
पर
इसके
शुभ
प्रभाव
मिलना
प्रारंभ
हो
जाते
हैं।
चंद्रमा
के
बुरे
प्रभाव
के
फलस्वरूप
व्यक्ति
कफ
और
लिवर
संबंधी
बीमारियों
से
हमेशा
घिरा
रहता
है।
मानसिक
रूप
से
विचलित
रहता
है।
मंत्र
-
‘ॐ
श्रां
श्रीं
श्रौं
सः
चन्द्रमसे
नमः
मंगल
अनंतमूल की जड़ में मंगल ग्रह का वास होता है। यह जड़ मंगल के बुरे प्रभाव को कम करके, उससे संबंधित जो परेशानियां आ रही होती हैं उन्हें दूर करती है। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर सीधे हाथ में बांधा जाता है। इसे पहनने का सबसे अच्छा दिन मंगलवार है। इससे त्वचा, लिवर, पाइल्स और कब्ज की समस्या दूर होती है।
मंत्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुध
विधारा
मूल
की
जड़
का
उपयोग
बुध
के
बुरे
प्रभाव
कम
करने
के
लिए
किया
जाता
है।
बुध
के
बुरे
प्रभाव
से
व्यक्ति
की
बौद्धिक
क्षमता
प्रभावित
होती
है
और
उसकी
निर्णय
लेने
की
क्षमता
कम
होती
है।
विधारा
मूल
की
जड़
को
बुधवार
के
दिन
हरे
रंग
के
कपड़े
में
बांधकर
सीधे
हाथ
में
उपर
की
ओर
बांधा
जाता
है।
इस
जड़
को
बांधने
वालों
को
दुर्गा
की
आराधना
करना
चाहिए।
इसके
प्रभाव
से
नर्वस
डिस्ऑर्डर,
ब्लड
प्रेशर,
अल्सर
और
एसिडिटी
में
आराम
मिलता
है।
मंत्र
-
ॐ
ब्रां
ब्रीं
ब्रौं
सः
बुधाय
नमः
गुरु
यदि
किसी
के
विवाह
में
बाधा
आ
रही
हो।
कार्य-व्यवसाय,
नौकरी
में
मनचाही
तरक्की
नहीं
मिल
पा
रही
हो
तो
यह
सब
गुरु
के
दुष्प्रभाव
के
कारण
होता
है।
यदि
ऐसा
है
तो
व्यक्ति
को
हल्दी
की
गांठ
बांधना
चाहिए।
गुरुवार
के
दिन
पीले
कपड़े
में
हल्दी
की
गांठ
बांधकर
पास
रखने
से
कार्यों
में
सफलता
मिलने
लगती
है।
इसके
प्रभाव
से
लिवर,
चिकन
पॉक्स,
एलर्जी
और
पेट
संबंधी
रोगों
में
आराम
मिलता
है।
मंत्र
-
ॐ
ग्रां
ग्रीं
ग्रौं
सः
गुरवे
नमः
शुक्र
शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम करने के लिए अरंडमूल की जड़ का उपयोग किया जाता है। विलासितापूर्ण जीवन की चाह रखने वालों को इसकी जड़ का उपयोग करना चाहिए। शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े में इसकी जड़ को बांधकर दाहिनी भुजा पर बांधे। इसके प्रभाव से खांसी, अस्थमा, गले और फेफड़ों से संबंधित रोगों में आराम मिलता है।
मंत्र - ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शनि
यदि
किसी
के
जीवन
में
लगातार
दुर्घटनाएं,
धन
हानि
और
बीमारी
बनी
रहती
है
तो
ऐसा
व्यक्ति
शनि
के
बुरे
प्रभाव
से
गुजर
रहा
होता
है।
इस
बुरे
प्रभाव
को
कम
करने
के
लिए
धतूरे
की
जड़
बांधी
जाती
है।
इसे
पहनने
से
सकारात्मक
उर्जा
का
प्रवाह
बनता
है
और
व्यक्ति
के
जीवन
में
आ
रही
बाधाएं
दूर
होती
हैं।
इस
की
जड़
को
शनिवार
के
दिन
काले
कपड़े
में
बांधकर
दाहिनी
भुजा
में
बांधना
चाहिए।
मस्तिष्क
संबंधी
रोगों
में
इस
जड़
से
बहुत
फायदा
मिलता
है।
मंत्र
-
ॐ
प्रां
प्रीं
प्रौं
सः
शनैश्चराय
नमः
राहु
राहु ग्रह के बुरे प्रभाव कम करने के लिए सफेद चंदन का टुकड़ा या इस पेड़ की जड़ का उपयोग किया जाता है। शनिवार या सोमवार को सफेद या भूरे रंग के कपड़े में इसे बांधकर पास रखा जाता है। महिलाओं को गर्भाशय से संबंधित रोग, त्वचा की समस्या, गैस प्रॉब्लम, दस्त और बुखार में इस जड़ का चमत्कारी प्रभाव देखा गया है। बार-बार दुर्घटनाएं होती हैं तो भी इस जड़ का प्रयोग करना चाहिए।
मंत्र - ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
केतु
अश्वगंधा
की
जड़
का
प्रतिनिधि
ग्रह
केतु
है।
केतु
के
शुभ
प्रभाव
में
वृद्धि
करने
और
बुरे
प्रभाव
कम
करने
में
अश्वगंधा
चमत्कार
की
तरह
काम
करता
है।
अश्वगंधा
की
जड़
को
नीले
रंग
के
कपड़े
में
बांधकर
शनिवार
को
सीधे
हाथ
में
बांध��
जाता
है।
इसके
प्रभाव
से
स्मॉलपॉक्स,
यूरीन
इंफेक्शन
और
त्वचा
संबंधी
रोगों
में
आराम
मिलता
है।
जीवन
में
चल
रही
मानसिक
परेशानियां
भी
इससे
कम
होती
हैं।
मंत्र
-
ॐ
स्त्रां
स्त्रीं
स्त्रौं
सः
केतवे
नमः
ध्यान रखने योग्य बातें
1. प्रत्येक पेड़ या पौधे की जड़ को शुभ मुहूर्त जैसे रवि पुष्य, गुरु पुष्य या अन्य शुभ मुहूर्त से एक दिन पहले रात को निमंत्रण दिया जाता है। उसके बाद अगले दिन शुभ मुहूर्त या शुभ चौघडि़या देखकर घर लाना चाहिए।
2.
जड़
को
कच्चे
दूध
और
गंगाजल
से
धोकर
पूजा
स्थान
में
रखना
चाहिए।
इसके
बाद
उससे
संबंधित
ग्रह
के
मंत्र
की
एक
माला
जाप
करें।
3.
सुगंधित
घूप
लगाने
के
बाद
अपनी
मनोकामना
पूरी
करने
का
संकल्प
लें
और
उसे
बांध
लें।
4.
जड़
को
कपड़े
की
बजाय
चांदी
के
ताबीज
में
भरकर
भी
पहना
जा
सकता
है।