Must Read: पंचम भाव से जानें अपने बच्चे का भविष्य
बुध व्यापार का प्रतिनिधि ग्रह है। साझेदारी में व्यापार करना हो तो सप्तम भाव से तथा स्वतंत्र व्यापार करना हो तो दशम भाव से विचार किया जाता है।
नई दिल्ली। अपने बच्चे का भविष्य बनाने के लिए अभिभावक जी-जान लगा देते हैं। वे स्वयं खूब मेहनत करते हैं ताकि उनके बच्चे अच्छे पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें। बच्चा जैसे-जैसे आगे बढ़ते हुए 10वीं कक्षा तक पहुंचता है अभिभावक उसे काउंसलर के पास ले जाते हैं ताकि उसकी आगे विषय चयन को लेकर रूचि जान सकें, लेकिन कई बार अनेक जगह पूछताछ के बाद भी बच्चे का मन भी कुछ और कहता है।
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ऐसे में ज्योतिषीय सलाह भी मार्गदर्शन करने में काफी मददगार हो सकती है। जन्म कुंडली के आधार पर यह जाना जा सकता है कि बच्चा किस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा। वह नौकरी करेगा या कोई बिजनेस। हाल ही में कई परीक्षाओं के परिणाम जारी हुए हैं। ऐसे में अभिभावकों और बच्चों के लिए करियर संबंधी यह ज्योतिषीय जानकारी बेहद मायने रखती है। जन्मकुंडली से बच्चे की शिक्षा और रोजगार के संबंध में सटीक जानकारी हासिल की जा सकती है।
आइये सबसे पहले देखते हैं शिक्षा के बारे में क्या कहती है कुंडली
जन्मकुंडली के पंचम भाव से शिक्षा का विचार किया जाता है। पंचम भाव एवं पंचमेश की स्थिति जितनी अच्छी होगी, बच्चे की शिक्षा भी अच्छी होगी। पंचम भाव में शुभ ग्रह हो, पंचम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, पंचमेश शुभ भाव में बैठा हो, पंचम भाव का कारक ग्रह भी पंचम भाव या किसी भी केंद्र या त्रिकोण में हों तो बच्चे की शिक्षा भी उतनी ही उच्च दर्जे की होती है। इसके विपरीत यदि पंचम भाव में पाप ग्रह मौजूद हों, पंचम भाव पाप ग्रहों से घिरा हो, पंचमेश पाप प्रभाव में या छठे, आठवें, 12वें भाव में हो तो विद्या में बाधा आती है।
ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार किसी भी भाव का स्वामी यदि व्यय भाव में बैठ जाए तो उस भाव के गुणों की हानि होती है। इसी के अनुसार यदि पंचम भाव का स्वामी व्यय भाव यानी 12वें भाव में बैठ जाए तो शिक्षा में कमी रहती है। हालांकि शिक्षा का विचार करते समय गुरु की स्थिति भी देख लेना चाहिए। यदि पंचम भाव में गुरु उच्च का होकर वक्री हो गया हो तो उसका उच्चत्व समाप्त हो जाता है और वह साधारण हो जाता है।
अब देखते हैं बिजनेस और सर्विस के योग
- बच्चे ने जैसे-तैसे शिक्षा तो ग्रहण कर ली लेकिन वह व्यापार करेगा या नौकरी, यह दूसरी चिंता होती है। कुंडली में दशम भाव से व्यापार और नौकरी का विचार किया जाता है।
- दशम भाव में जो ग्रह मौजूद हो उनके स्वभाव के अनुसार व्यापार करने से लाभ होता है। यदि कोई ग्रह नहीं है तो दशमेश के अनुसार व्यापार का चयन किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि दशम भाव में मंगल है तो व्यक्ति साहसिक कार्य करेगा। जैसे सेना, पुलिस में जाएगा या व्यापार करेगा तो भूमि, संपत्ति, कृषि कार्यों में लाभ प्राप्त करेगा। यदि दशमेश बुध हो तो व्यक्ति व्यापार में लाभ उठाता है, लेकिन गोचर में बुध किस घर में बैठा हुआ है वह देखना भी जरूरी है।
- बुध व्यापार का प्रतिनिधि ग्रह है। साझेदारी में व्यापार करना हो तो सप्तम भाव से तथा स्वतंत्र व्यापार करना हो तो दशम भाव से विचार किया जाता है। बुध, संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्यापार से लाभ होता है। द्वितीय भाव तथा द्वितीयेश की स्थिति अच्छी होना और भी अच्छा होता है बुध का दशम भाव से संबंध व्यापार के क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
- नौकरी संबंधी जानकारी सूर्य और मंगल की स्थिति देखकर पता की जाती है। दशम भाव में उच्च का मंगल हो तो अच्छा जॉब मिलता है। मंगल बली होकर किसी भी केंद्र या त्रिकोण में हो, अष्टम भाव को छोड़कर मंगल किसी भी भाव में उच्च का हो तो श्रेष्ठ जॉब मिलता है।
- दशम भाव में सूर्य या गुरु उच्च राशि, स्वराशि या मित्र क्षेत्रीय हो तो जातक नौकरी में उच्च पद तक पहुंचता है।