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किसकी होगी सपा मुलायम की या अखिलेश की, क्या कहते हैं सितारे?

समाजवादी रूपी पेड़ आज वटवृक्ष बन चुका है लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि वर्चस्व की लड़ाई में मुलायम के वटवृक्ष {सपा} को अपने ही काटने पर तुले है।

By पं. अनुज के शुक्ल
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लखनऊ। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के अन्दर चल रहा अर्न्तकलह का द्वन्द अब सड़क पर उतर आया है। मुलायम के खून पसीने से सींचा गया समाजवादी रूपी पेड़ आज वटवृक्ष बन चुका है, जिसकी छांव में पूरा मुलायम कुनबा ऐशो-आराम कर रहा था। पर वक्त ने ऐसी करवट ली कि वर्चस्व की लड़ाई में मुलायम के वटवृक्ष {सपा} को अपने ही काटने पर तुले है।

मुलायम बनाम अखिलेश युद्द का कारण है साधना-डिंपल का झगड़ा!मुलायम बनाम अखिलेश युद्द का कारण है साधना-डिंपल का झगड़ा!

आईये ज्योतिषीय विशलेषण के आधार पर जानते है.. क्या समाजवादी पार्टी दो भागों में होकर अगल-अलग सिम्बल पर लड़ेगी चुनाव ? क्या पुत्र के द्वारा पिता के खिलाफ किया गया तख्ता पलट जनता को रास आयेगा ? क्या मुलायम सिंह समाजवादी यादव कुनबे को फिर से एक कर पायेंगे ?

15 मार्च 2012 को संभाली कमान

15 मार्च 2012 को संभाली कमान

अखिलेश यादव ने 15 मार्च 2012 को प्रातः 11:34 मिनट पर यूपी की कमान अपने हाथों में ली थी। वह एक ऐतिहासिक समय था। वर्तमान में आपकी कुण्डली में केतु महादशा में बुध का अन्तर एंव राहु का प्रत्यन्तर चल रहा है। बुध नीच का होकर दशम भाव में सूर्य के साथ बैठा है। बुध युवा है और सूर्य पिता। कुण्डली में राहु भी नीच का होकर छठें भाव में स्थित है। राहु षडयन्त्र रचता है एंव छठा भाव विरोधियों का संकेतक है। इसलिए षडयन्त्र रचकर अखिलेश ने अपने पिता से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद हथिया लिया।

मुलायम को सब है पता

मुलायम को सब है पता

मुलायम की कुण्डली में वर्तमान में मंगल की महादशा में मंगल का ही अन्तर चल रहा है। मंगल पंचमेश व दशमेश होकर अष्टम भाव में बैठा है। पंचम भाव दिमाग का प्रतिनिधित्व करता है एंव अष्टम भाव गुप्त षडयन्त्रों व रहस्यों का संकेतक भाव है। दशम भाव राज्य का संकेतक है। मंगल सेनापति की भूमिका निभाता है। ग्रहों की चाल से प्रतीत हो रहा है कि मुलायम ने ही अपने बौद्धिक बल से सपा में चल रहे घमासान की रणनीति तैयार की है। वक्त आने पर मुलायम फिर से पूरे समाजवादी कुनबे को एक छत के नीचे ले आयेंगे।

अखिलेश यादव बने रहेंगे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

अखिलेश यादव बने रहेंगे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

28 जनवरी से बुध में गुरू का प्रत्यन्तर शुरू हो जायेगा। गुरू सप्तमेश व दशमेश होकर लाभ भाव में बैठा है। सप्तम भाव परिवर्तन का कारक है एंव दशम भाव राज्य का संकेतक है। बृहस्पति गुरू की भूमिका निभाता है। अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे एंव मुलायम को मार्गदर्शक की भूमिका निभानी पड़ेगी। बुध में शनि का प्रत्यन्तर शुरू होने पर कुछ स्थितियॉ अनुकूल नजर आयेंगी। ग्रहों की दशाओं से निष्कर्ष यह निकलता है कि समाजवादी पार्टी के दो भाग होने की उम्मीद नजर आ रही है, जिसमें एक का नेतृत्व अखिलेश यादव करेंगे और दूसरे का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव करेंगे। अखिलेश अपनी विकासवादी व स्वच्छ छवि बनायें रखने के लिए दागी प्रत्याशियों को बाहर का रास्ता दिखायेंगे और साफ-सुथरी छवि वाले नौजवानों प्रत्याशियों को विशेष तवज्जों देंगे।

क्या होगा शिवपाल का भविष्य

क्या होगा शिवपाल का भविष्य

वर्तमान में शिवपाल की कुण्डली में शनि की महादशा में चन्द्र का अंतर व गुरू का प्रत्यन्तर चल रहा है। शनि अष्टमेश होकर पंचम भाव में बैठा है। चन्द्रमा दूसरे भाव का मालिक होकर चौथे भाव में बैठा है, जिसकी सप्तम दृष्टि दशम भाव में बैठै सत्ता व पिता के कारक सूर्य पर पड़ रही है। दूसरा भाव परिवार का कारक होता है व बृहस्पति गुरू होता है। चन्द्रमा भावनाओं से जुड़ा होता है। जिस कारण शिवपाल अपने पिता समान भाई की भावनाओं में बहकर निर्णय ले रहें है। शनि बृद्ध होता है और चन्द्रमा मन का कारक। इन दोनों ग्रहों का तालमेल अच्छा नहीं होता है। अतः इस घमासान दंगल में शिवपाल एक मोहरे की तरह इस्तेमाल हो रहे है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान शिवपाल का होगा और शिवपाल का राजनैतिक भविष्य हासिये पर जा सकता है।

चुनाव चिन्ह का निर्णय शनिदेव करेगें

चुनाव चिन्ह का निर्णय शनिदेव करेगें

चुनाव आयोग में अखिलेश व मुलायम दोनों साईकिल के सिम्बल की दावेदारी ठोकेगे। इस दावेदारी में अखिलेश का पलड़ा भारी रहेगा। साईकिल का प्रतीक शनि है। शनि 26 जनवरी से राशि परिवर्तन कर रहा है। वृश्चिक राशि से निकलकर शनि गुरू की राशि धनु में प्रवेश करेगा। धनु राशि का चिन्ह धनुष के आकार का होता है और यह एक द्विस्वभाव राशि भी है। इसलिए ऐसा प्रतीत हो रहा है चुनाव चिन्ह तो नहीं बदलेगा किन्तु एक ही लक्ष्य पर दो निशाने साधे जा सकते है।
इस बार यूपी विधान सभा चुनाव में पिता व पुत्र दोनों अपनी-अपनी सेना लेकर चुनावी रणक्षेत्र में आमने-सामने होगें किन्तु चुनाव के बाद फिर से एक हो जायेंगे। अखिलेश कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ सकते है। अखिलेश की साफ-सुथरी छवि का लाभ मिल सकता है लेकिन अपने बलबूते पर सत्ता हासिल करना टेढ़ी खीर है।

जनमानस जागरूक और सर्तक

जनमानस जागरूक और सर्तक

यह सारा स्वांग राजनैतिक विरासत को बड़ी चालाकी से अखिलेश के हाथों में सौंपने तथा यूपी की जनता को गुमराह करके अपने पाले में लाने के लिए रचा गया है। लेकिन अब जनमानस जागरूक और सर्तक है, इसलिए उसे बेवकूफ बनाकर उसका मत हासिल करना आसान नहीं है।

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English summary
Mulayam Singh Yadav has taken a chartered flight from Delhi to Lucknow this morning after he spoke on the phone to his son, Akhilesh Yadav, in the middle of a seething battle over who should control their Samajwadi Party, sources said.
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