जन्माष्टमी 2017: क्यों रखते हैं कान्हा के लिए उपवास?
लखनऊ। भाद्रपद कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते है। इसी तिथि को श्रीकृष्ण जन्म मथुरा नगरी में असुराज कंस के कारागार में हुआ था। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को दिन सोमवार व दिनांक 14 अगस्त को मनाया जायेगा। ऐसा पुराणों में वर्णित है कि जो भी व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत करके पूजन-पाठ करता है, वह विष्णुलोक को प्राप्त करता है।
जन्माष्टमी 2017: पूजा करने का सही मुहूर्त एवं समय
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017
आज के दिन मिष्ठान-व्यजंनों का भोग लगाकर लोंगो में वितरण करें तथा स्वंय भी सेंवन करें। तभी हम प्रसन्नता के भाव प्रकट कर पायेंगे।भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रात्रि 12 बजे मथुरा नगरी के कारागार में वासुदेव जी की पत्नी देवकी के गर्भ से 16 कलाओं से सम्पन्न भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था।
इस व्रत में सप्तमी सहित अष्टमी का ग्रहण निषिद्धि है
पूर्वविद्धाष्टमी
या
तु
उदये
नवमीदिने।
मुहूर्तमपि
संयुक्ता
सम्पूर्णा
साष्टमी
भवेत।।
कलाकाष्ठामुहूर्तापि
पदा
कृष्णाष्टमी
तिथि।
नवम्यां
सैव
ग्राहण
स्यात
सप्तमीसंयुता
नहि।।
साधारणतया
आजकल
लोग,
इस
व्रत
में
दो
मत
है।
सप्तमी सहित अष्टमी
- र्स्मात लोग अर्धरात्रि का स्पर्श होने पर या रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी सहित अष्टमी में भी उपवास करते है।
- किन्तु वैष्णव लोग सप्तमी का लेशमात्र भी स्पर्श होने पर दूसरे दिन ही उपवास करते है।
- व्रत का विधान- प्रातःकाल उठकर स्नानादि नित्यकर्म से निवृत होकर व्रत का निम्न संकल्प करें।
- इसके पश्चात केले के खम्भे, आम अथवा अशोक के पत्तों आदि से घर का द्वार सजायें तथा दरवाजे के मुख्य द्वार पर मंगल कलश भी स्थापित करें।
- रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति का विधिपूर्वक पंचामृत से स्नान कराकर, षोडशपचार से विष्णु भगवान करते समय इस मन्त्र का जाप करें। ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
- जन्मोत्सव के पश्चात कर्पूरादि प्रज्जवलित कर भगवान की आरती करें व प्रसाद का वितरण करें।
मंत्र
ऊं
विष्णु,
अदेत्यादि
क्रोधी
नामक
संवत्सरे
सूर्य
दक्षिणायने
वर्षतौ
भाद्रपदमासे
कृष्ण
पक्षे
श्री
कृष्णजन्माष्टम्या
तिथौ
आमुकवासरे
आमुकनामांह
मम
चतुवर्गसिद्धिद्वारा
श्री
कृष्णदेवप्रीतये
जन्माष्टमी
व्रतांगत्वेन
श्री
कृष्णदेवस्य
यथमिलितोपचारैः
पूजन
करिस्ये।
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः