Jupiter Effect 2020: मिथुन वालों की चांदी ही चांदी
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति का स्थान बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ज्ञान, विवेक, संयम, उत्तम शिक्षण, सदाचार, सात्विक प्रवृत्ति, विवाह योग, कॅरियर, अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति को ही माना गया है। जिस जातक की जन्मकुंडली में बृहस्पति शुभ होता है, उस पर दूसरे बुरे ग्रहों का भी अधिक बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन जिनकी कुंडली में बृहस्पति नेष्टकारी होता है उनके लिए समय कठिन होता है। वर्ष 2020 में बृहस्पति का गोचर धनु और मकर राशि में होता रहेगा। इसलिए राशियों पर इसका प्रभाव अलग-अलग प्रकार से होता रहेगा। बृहस्पति का अपनी राशि धनु में गोचर का अलग परिणाम होगा और शनि की राशि मकर में गोचर का अलग परिणाम होगा।
बृहस्पति
के
धनु
राशि
में
गोचर
का
राशियों
पर
प्रभाव
बृहस्पति
5
नवंबर
2019
से
30
मार्च
2020
तक
और
30
जून
2020
से
20
नवंबर
2020
तक
धनु
राशि
में
गोचर
करेगा।
इस
गोचर
काल
में
सभी
राशियों
पर
यह
रहेगा
प्रभाव:
मिथुन: व्यवसाय में सफलता, दांपत्य सुख, धन लाभ, प्रवास, भागीदारी में सफलता।
बृहस्पति
के
मकर
राशि
में
गोचर
का
राशियों
पर
प्रभाव
बृहस्पति
30
मार्च
2020
से
30
जून
2020
तक
और
20
नवंबर
2020
से
5
अप्रैल
2021
तक
मकर
राशि
में
गोचर
करेगा।
बृहस्पति
का
गोचर
30
मार्च
2020
सोमवार
को
सुबह
6
बजे
धनु
से
मकर
राशि
में
प्रवेश
30
जून
2020
मंगलवार
को
रात्रि
3.07
बजे
मकर
से
धनु
राशि
में
प्रवेश
20
नवंबर
2020
शुक्रवार
को
दोप.
2.55
बजे
धनु
से
मकर
राशि
में
प्रवेश
बृहस्पति
मार्गी-वक्री
वक्री:
14
मई
2020
गुरुवार
को
रात्रि
8.01
बजे
से
मार्गी:
13
सितंबर
2020
रविवार
को
सुबह
6.11
बजे
वक्री
अवधि:
कुल
122
दिन
बृहस्पति
अस्त-उदय
उदय:
10
जनवरी
2020
शुक्रवार
को
सुबह
6.27
बजे
बृहस्पति की कृपा के लिए क्या करें
- जिन राशि के जातकों के लिए गुरु नेष्टकारी हो वे गुरु की शांति के लिए बृहस्पति स्तोत्र, बृहस्पति कवच का पाठ करें।
- गुरु मंत्र ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः या ऊं गुं गुरवे नमः के 19 हजार जाप स्वयं करें या पंडित से करवाएं।
- गुरुवार का व्रत करें, पीले धान्य का भोजन करें एवं पीले वस्त्र गुरुवार को धारण करें।
- श्रीहरि का नियमित पूजन करें। पीपल, केले के वृक्ष का पूजन करें।
- गुरु यंत्र को घर में स्थापित करके पूजन करें। गुरु के बीज मंत्रों से हवन करें।
- तर्जनी अंगुली में पुखराज रत्न या उपरत्न सुनहला- लाजवर्त मणि धारण करें।
- पीले वस्त्र, पीले धान जैसे चने की दाल, पीतल, कांसा पात्र, हल्दी, सुवर्ण, पीेले फल, धार्मिक ग्रंथ रामायण, गीता आदि दान करें।