दूसरे भाव का सूर्य होने पर माणिक्य पहनने के लाभ
दूसरे भाव में सूर्य होने के कारण व्यक्ति धन को लेकर परेशान रहता है। धन आता है पर टिकता नहीं इसलिए ज्यादातर कोष खाली ही रहता है।
लखनऊ। कुण्डली के दूसरे भाव में सूर्य की स्थिति शासकीय सेवाओं में नौकरी पाने के लिए अच्छी मानी जाती है। इस स्थान का सूर्य मेडिकल क्षेत्र में भी सफलता दिलाता है। दूसरे भाव में सूर्य होने के कारण व्यक्ति धन को लेकर परेशान रहता है। धन आता है पर टिकता नहीं इसलिए ज्यादातर कोष खाली ही रहता है।
आइये जानते है कि सूर्य के दूसरे भाव में होने पर किसको माणिक्य पहनना चाहिए और किसको नहीं ?
- मेष लग्न: इस लग्न में सूर्य पंचमेश बनता है और दूसरे भाव में सूर्य की शत्रु राशि वृष है। इसलिए माणिक्य पहनने से सन्तान पक्ष के कारण धन का व्यय होगा और आपका बौद्धिक विकास होगा। छात्रों की शिक्षा में प्रगति होगी।
- वृष लग्न: सूर्य चतुर्थेश होकर मित्र राशि मिथुन में बैठा है। ऐसा सूर्य शुभ फलदायक रहेगा। माणिक्य पहनने से परिवार के प्रति लगाव बढ़ेगा, वाणी में ओज आयेगा एंव आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
- मिथुन लग्न: सूर्य तृतीयेश होकर अपनी मित्र राशि कर्क के साथ दूसरे भाव में स्थित है। तृतीय भाव पराक्रम व साहस का होता है। जब तृतीयेश दूसरे भाव में बैठता है तो व्यक्ति अपने परिश्रम से धन का अर्जन करता है। अतः माणिक्य पहनना लाभप्रद होगा।
सूर्य की यह स्थिति लाभप्रद होती है
- कर्क लग्न- इस कुण्डली में सूर्य दूसरे भाव का मालिक होकर दूसरे स्थान में ही बैठा है। सूर्य की यह स्थिति लाभप्रद होती है। माणिक्य धारण करने से धन की स्थिति में मजबूती आती है एंव जो लोग राजनीति में है, उन्हें सरकार में उच्च पद प्राप्त हो सकते है।
- सिंह लग्न-इस कुण्डली में सूर्य लग्नेश बनकर दूसरे भाव में अपनी मित्र राशि कन्या में स्थित है। अतः माणिक्य पहनने से परिवार में सुख-समृद्धि आयेगी, ससुराल पक्ष से मधुर सम्बन्ध बनेंगे और आर्थिक स्थिति में मजबूती आयेगी।
- कन्या लग्न-सूर्य व्ययेश होकर दूसरे भाव में बैठा है। 12वॉ भाव शयया सुख व खर्चे से सम्बन्धित होता है। अतः माणिक्य पहनने से खर्चो में वृद्धि होगी और आमदनी में कमी आयेगी, नींद में कमी आयेगी, ऑख के रोग हो सकते है, इसलिए माणिक्य नहीं पहनना चाहिए।
- तुला लग्न-सूर्य लाभेश होकर धन स्थान में बैठा है। 11वॉ भाव लाभ व मित्रता से सम्बन्धित होता है। अतः माणिक्य पहनने से हर प्रकार के लाभ संभव है।
- वृश्चिक लग्न-इस कुण्डली में सूर्य दशमेश होकर दूसरे खाने में बैठा है। दशम भाव राजनीति, पद-प्रतिष्ठा, वैभव, जीविका आदि से सम्बन्धित होता है। माणिक्य धारण करने से नये लोगों की जीविका प्रारम्भ होगी एंव कुछ लोगों का प्रमोशन, पद, प्रतिष्ठा आदि प्राप्त होगा।
लाभ व मित्रता से सम्बन्धित
सूर्य की शत्रु राशि
धनु लग्न-सूर्य भाग्येश होकर दूसरे भाव में स्थित है। किन्तु इस कुण्डली में सूर्य मकर राशि में स्थित है जो सूर्य की शत्रु राशि है। माणिक्य पहनने से भाग्यपक्ष में वृद्धि होगी, यात्रा के अवसर मिलेंगे, धर्म-कर्म में रूच�%
सप्तम दृष्टि लग्न पर पड़ रही है
कुम्भ लग्न- इस कुण्डली में सूर्य सप्तमेश होकर दूसरे भाव में बैठा है। सप्तमेश सूर्य की सप्तम दृष्टि लग्न पर पड़ रही है। माणिक्य धारण करने से मानसिक तनाव बढ़ सकता है, पत्नी के स्वास्थ्य में गिरावट आयेगी, कुछ लोगों का स्थानान्तरण हो सकता है।
रोशनी कम होना
मीन लग्न- सूर्य षष्ठेश होकर दूसरे घर में अपनी उच्च राशि के साथ बैठा है। अतः माणिक्य पहनने से राजकीया कार्यो में सफलता मिलेगी, किन्तु ऑखों से सम्बन्धित रोग जैसे-रोशनी कम होना, चोट लगना, आपरेश होना आदि हो सकता है। इसलिए माणिक्य किसी के मार्गदर्शन में ही पहने।
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