अगर ये काम करेंगे तो रूठ जाएगा भाग्य
आप दूसरों के साथ बुरा करेंगे तो संबंधित ग्रह का अशुभ प्रभाव तुरंत आपको मिलेगा और आपके साथ भी कुछ बुरा घटित होगा।
नई दिल्ली। जीवन में सफल होना प्रत्येक व्यक्ति चाहता है, लेकिन वह अक्सर कई ऐसी गलतियां कर बैठता है, जिससे उसका भाग्य रूठ जाता है और वह जीवनभर समझ नहीं पाता कि जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी आखिर उसे अपेक्षा के अनुरूप परिणाम क्यों नहीं मिल पा रहा है। दरअसल व्यक्ति के जीवन में होने वाली शुभ-अशुभ, अच्छी-बुरी घटनाओं का जिम्मेदार वह स्वयं होता है और जो भी उसके जीवन में घटनाएं घटित होती हैं वह कहीं न कहीं उसके द्वारा दूसरों के साथ किए जा रहे व्यवहार, आदान-प्रदान और संबंधों से भी जुड़ी रहती है। और इन घटनाओं का प्रभाव हमारी जन्म कुंडली में बैठे ग्रहों पर पड़ता है। उन्हीं के अनुसार ग्रहों का स्वभाव बदलता है और वह उसी के अनुरूप हमें फल प्रदान करते हैं।
यदि आप दूसरों के साथ बुरा करेंगे तो संबंधित ग्रह का अशुभ प्रभाव तुरंत आपको मिलेगा और आपके साथ भी कुछ बुरा घटित होगा। इसी प्रकार यदि आप परोपकार के कार्य करेंगे, दूसरों का सम्मान करेंगे, उन्हें दुख नहीं पहुंचाएंगे तो शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होगी और आपको उनका शुभ प्रभाव प्राप्त होने लगेगा।
ज्योतिष शास्त्र की एक शाखा लाल किताब भी है, जिसमें मनुष्य के जीवन से जुड़े कई रहस्यों और ग्रहों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। लाल किताब में यह भी बताया गया है कि मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार कौन-सा ग्रह शुभ-अशुभ प्रभाव देगा। आइये जानते हैं वे कौन-सी परिस्थितियां हैं जब आपकी कुंडली में बैठे ग्रह आपके व्यवहार के अनुरूप फल प्रदान करते हैं: प्रत्येक मनुष्य की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ ग्रह आपके कर्मों के आधार पर फल देते हैं।
सूर्य
किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुंचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है। कुंडली में सूर्य चाहे जितनी मजबूत स्थिति में हो लेकिन यदि उपरोक्त में से केाई कार्य किया तो वह अपना शुभ प्रभाव नहीं दे पाता। सूर्य की प्रतिकूलता के कारण व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा में कमी आती है और वह लाख मेहनत के बाद भी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता। नौकरी में तरक्की बाधित हो जाती है और उसे पिता की संपत्ति से बेदखल होना पड़ता है।
चंद्र
सम्मानजनक
स्त्रियों
को
कष्ट
देने
जैसे,
माता,
नानी,
दादी,
सास
एवं
इनके
पद
के
समान
वाली
स्त्रियों
को
कष्ट
देने
एवं
किसी
से
द्वेषपूर्वक
ली
गई
वस्तु
के
कारण
चंद्रमा
अशुभ
फल
देता
है।
चंद्रमा
अशुभ
हो
तो
व्यक्ति
मानसिक
रूप
से
परेशान
रहता
है।
उसके
कार्यों
में
रुकावट
आने
लगती
है
और
तरक्की
रूक
जाती
है।
जल
घात
की
आशंका
बढ़
जाती
है।
यहां
तक
कि
व्यक्ति
मानसिक
रोगी
भी
हो
सकता
है।
मंगल
भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है। मंगल की प्रतिकूलता के कारण व्यक्ति जीवन में कभी स्वयं की भूमि, भवन, संपत्ति नहीं बना पाता। जो संपत्ति संचय की होती है वह भी धीरे-धीरे हाथ से छूटने लगती है। ऐसे व्यक्ति को कोर्ट-कचहरी पुलिस के मामलों में भी उलझना पड़ सकता है।
बुध
अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ किसी किन्नर को सताने से भी बुध नाराज हो जाता है और अशुभ फल देने लगता है। बुध की अशुभता के कारण व्यक्ति का बौद्धिक विकास रूक जाता है। खासकर जो व्यक्ति पढ़ने-लिखने की फील्ड से जुड़े हैं उन्हें लगातार असफलता हाथ लगने लगती है। भाग्य साथ नहीं देता और व्यक्ति दर-दर भटकने को मजबूर हो जाता है।
गुरु
अपने
पिता,
दादा,
नाना
को
कष्ट
देने
अथवा
इनके
समान
सम्मानित
व्यक्ति
को
कष्ट
देने
एवं
साधु
संतों
को
कष्ट
देने
से
गुरु
अशुभ
फल
देने
लगता
है।
जीवन
में
मान-सम्मान,
पद-प्रतिष्ठा
का
कारण
ग्रह
बृहस्पति
के
रूठ
जाने
से
जीवन
अंधकारमय
होने
लगता
है।
व्यक्ति
को
गंभीर
बीमारियां
घेरने
लगती
है
और
उसका
जीवन
पल-प्रतिपल
कष्टकारी
होने
लगता
है।
धन
हानि
होने
लगती
है
और
उसका
अधिकांश
पैसा
रोग
में
लगने
लगता
है।
शुक्र
अपने
जीवनसाथी
को
कष्ट
देने,
किसी
भी
प्रकार
के
गंदे
वस्त्र
पहनने,
घर
में
गंदे
एवं
फटे
पुराने
वस्त्र
रखने
से
शुक्र
अशुभ
फल
देता
है।
चूंकि
शुक्र
भोग-विलास
का
कारक
ग्रह
है
अतः
शुक्र
के
अशुभ
फलों
के
परिणामस्वरूप
व्यक्ति
गरीबी
का
सामना
करता
है।
जीवन
के
समस्त
भोग-विलास
के
साधन
उससे
दूर
होने
लगते
हैं।
लक्ष्मी
रूठ
जाती
है।
वैवाहिक
जीवन
में
स्थिति
विवाह
विच्छेद
तक
पहुंच
जाती
है।
शुक्र
की
अशुभता
के
कारण
व्यक्ति
अपने
से
निम्न
कुल
की
स्त्रियों
के
साथ
संबंध
बनाता
है।
शनि
ताऊ
एवं
चाचा
से
झगड़ा
करने
एवं
किसी
भी
मेहनतकश
व्यक्ति
को
कष्ट
देने,
अपशब्द
कहने
एवं
इसी
के
साथ
शराब,
मांस
खाने-पीने
से
शनि
देव
अशुभ
फल
देते
हैं।
कुछ
लोग
मकान
एवं
दुकान
किराये
से
लेने
के
बाद
खाली
नहीं
करते
अथवा
उसके
बदले
पैसा
मांगते
हैं
तो
शनि
अशुभ
फल
देने
लगता
है।
शनि
के
अशुभ
फल
के
कारण
व्यक्ति
रोगों
से
घिर
जाता
है।
उसकी
संपत्ति
छिन
जाती
है
और
वह
वाहनों
के
कारण
लगातार
दुर्घटनाग्रस्त
होने
लगता
है।
शनि
का
दंड
उस
व्यक्ति
को
मिलता
है
और
संपूर्ण
जीवन
दुखी
हो
जाता
है।
राहु
राहु
सर्प
का
ही
रूप
है
अतः
सपेरे
का
दिल
दुखाने
से,
बड़े
भाई
को
कष्ट
देने
से
अथवा
बड़े
भाई
का
अपमान
करने
से,
ननिहाल
पक्ष
वालों
का
अपमान
करने
से
राहु
अशुभ
फल
देता
है।
किसी
मूक
प्राणी,
जानवर,
पंछियों
की
हत्या
करने,
उन्हें
पीटने,
मारने
से
राहु
का
अशुभ
परिणाम
प्राप्त
होता
है।
इससे
व्यक्ति
पर
कोई
कलंक
लगता
है
उसे
कारावास
की
सजा
तक
भोगना
पड़ती
है।
ऐसा
व्यक्ति
जीवन
में
कभी
स्थायी
नहीं
हो
पाता
और
उसे
यहां-वहां
भटकना
पड़ता
है।
केतु
भतीजे
एवं
भांजे
का
दिल
दुखाने
एवं
उनका
हक
छीनने
पर
केतु
अशुभ
फल
देना
है।
कुत्ते
को
मारने
एवं
किसी
के
द्वारा
मरवाने
पर,
किसी
भी
मंदिर
को
तोड़ने
अथवा
ध्वजा
नष्ट
करने
पर,
इसी
के
साथ
ज्यादा
कंजूसी
करने
पर
केतु
अशुभ
फल
देता
है।
किसी
से
धोखा
करने
व
झूठी
गवाही
देने
पर
भी
राहु-केतु
अशुभ
फल
देते
हैं।
ऐसा
करने
पर
वह
व्यक्ति
देव
पूजा
का
अधिकारी
नहीं
रह
जाता।
उससे
समस्त
देवी-देवता
रूठ
जाते
हैं
और
फिर
संपूर्ण
जीवन
कष्टमय
हो
जाता
है।
अतः
मनुषय
को
अपना
जीवन
व्यवस्थित
तरीके
से
जीना
चाहिए।
किसी
को
कष्ट
या
छल-कपट
द्वारा
अपनी
रोजी
नहीं
चलानी
चाहिए।
किसी
भी
प्राणी
को
अपने
अधीन
नहीं
समझना
चाहिए
जिससे
ग्रहों
के
अशुभ
कष्ट
सहना
पड़े।