क्या आपकी कुंडली में है संपत्ति के योग?
चतुर्थेश भी शुभ स्थान में हो तो कामना के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। मकान, भूमि, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है।
नई दिल्ली। मेरा मकान बनेगा या नहीं? मैं जमीन खरीद पाउंगा या नहीं? मकान या जमीन मिलेगा तो कब तक मिलेगा? या जिंदगी भर किराए के मकान में गुजारा करना पड़ेगा। अमूमन प्रत्येक व्यक्ति के मन में ये सवाल उठते हैं और उनका उत्तर तलाशने के लिए वह अपनी जन्म कुंडली दिखाता है। कई लोगों की किस्मत में एक से अधिक मकान, जमीन होते हैं, लेकिन कई लोग एक मकान भी नहीं बना पाते। इसका उत्तर जन्म कुंडली से मिल सकता है। Good Friday 2017: जानिए क्या है 'गुड फ्राइडे' और इसका महत्व
जन्मांग चक्र में चतुर्थ भाव सुख स्थान से वाहन और भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी योगों के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ राशि में शुभ ग्रह अपने स्वामी की राशि में स्वामी की दृष्टि में हो। चतुर्थेश भी शुभ स्थान में हो तो कामना के अनुरूप फल की प्राप्ति होती है। मकान, भूमि, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है। अतः कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश का शुभ ग्रहों से प्रभावित होना आवश्यक है।
आइये जानते हैं कुछ सामान्य नियम जिनसे संपत्ति का विचार किया जा सकता है:
1. चतुर्थेश केंद्र में गुरु के साथ हो तो जमीन, मकान के शुभ योग बनते हैं। व्यक्ति एक से अधिक अचल संपत्तियों का मालिक बनता है।
2.
कुंडली
में
चतुर्थेश
एवं
मंगल
उच्च,
स्वगृही,
मूल
त्रिकोणस्थ
में
शुभ
स्थिति
में
हो
तो
मनचाही
संपत्ति
प्राप्त
होती
है।
3.
चतुर्थ
भाव
का
स्वामी
दशम
भाव
में
और
दशम
भाव
का
स्वामी
चतुर्थ
भाव
में
तथा
मंगल
बलवान
हो
तो
भू-संपत्ति
का
योग
बनता
है।
सूर्य चतुर्थ भाव
4. मजबूत सूर्य चतुर्थ भाव में उच्च राशि का होकर बैठा हो तो व्यक्ति 22 से 24 वर्ष की आयु के मध्य मकान या खेती की जमीन का स्वामी बनता है। यदि सूर्य मेष राशि में हो तो 44 से 48 वर्ष की आयु में व्यक्ति अपना मकान बनाता है।
5.
चतुर्थेश
या
मंगल
नीच
राशि,
पाप
युक्त
हो
तो
व्यक्ति
अपनी
संपत्ति
का
स्वयं
ही
नष्ट
कर
देता
है।
6.
चतुर्थेश
एवं
नवमेश
लाभ
भाव
में
हो
और
शुभ
ग्रहों
की
दृष्टि
में
हो
तो
मकान,
जमीन
का
स्वामी
बनता
है।
ये उपाय भी कर सकते हैं
चूंकि भूमि, भवन, संपत्ति का कारक ग्रह मंगल होता है इसलिए कुंडली में मंगल की शुभ स्थिति होना आवश्यक है। यदि मंगल अशुभ है तो व्यक्ति लाख प्रयासों के बावजूद अपना मकान नहीं बना पाता। मंगल की शुभता के लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी मंगल को प्रसन्न कर सकते हैं।
1.
मंगलवार
के
दिन
अष्टधातु
में
बने
मंगल
यंत्र
की
अपने
पूजा
स्थान
में
स्थापना
करना
चाहिए।
इसकी
नियमित
पूजा
करना
चाहिए।
मंगलवार
को
लाल
चंदन,
लाल
पुष्प
से
यंत्र
की
पूजा
करें
और
स्वयं
केसर
का
तिलक
लगाएं।
2.
मंगलवार
को
शिवलिंग
पर
मसूर
की
दाल
अर्पित
करें।
शनिवार
को
किसी
भूखे
को
यथाशक्ति
इमरती
खिलाएं।
3.
मूंगे
के
गणपति
गले
में
पहने
जा
सकते
हैं।
या
पूजा
स्थान
में
मूंगे
के
गणपति
की
स्थापना
करें।
4.
नवग्रह
स्तोत्र
का
नियमित
पाठ
करें।
5.
मंगलवार
को
मंगलस्तोत्र
का
पाठ
करें।
वाहन सुख का विचार भी चतुर्थ भाव से
1.
चतुर्थ
भाव
से
ही
वाहन
सुख
का
भी
विचार
किया
जाता
है।
आप
कितने
और
किस
प्रकार
के
वाहनों
के
स्वामी
बनेंगे,
यह
चतुर्थ
भाव
के
ग्रह
योग
देखकर
पता
लगाया
जा
सकता
है।
2.लग्नेश,
चतुर्थेश
तथा
नवमेश
के
परस्पर
केंद्र
में
रहने
से
वाहन
सुख
की
प्राप्ति
होती
है।
3.लग्नेश
तथा
चतुर्थेश
एक
साथ
लग्न,
चतुर्थ
या
नवम
भाव
में
हो
तो
इन्हीं
ग्रहों
की
दशा
या
अंतर्दशा
में
वाहन
सुख
मिलता
है।
पंचमेश चतुर्थ भाव में हो
4.चतुर्थेश
पंचम
भाव
में
तथा
पंचमेश
चतुर्थ
भाव
में
हो
तो
वाहन
मिलता
है।
5.शुक्र
से
सप्तम
भाव
में
चंद्रमा
होने
पर
भी
उत्तम
वाहन
सुख
मिलता
है।
एक
से
अधिक
वाहनों
का
स्वामी
बनता
है।
6.चतुर्थेश,
शनि,
गुरु
व
शुक्र
के
साथ
नवम
भाव
में
हो
तथा
नवमेश
केंद्र
या
त्रिकोण
में
हो
तो
अनेक
वाहनों
का
सुख
मिलता
है।