दिवाली में लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा किसलिए होती है?
दिवाली में घर-घर मॉ लक्ष्मी का विधिवत पूजन किया जाता है। लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी का भी पूजन होता है। जबिक लक्ष्मी भगवान विष्णु की प्रिया है। आखिर ऐसा क्या कारण है, जो विष्णु की जगह गणेश की पूजा लक्ष्मी के साथ करने की प्रथा प्रचलित है।
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चलिए हम आपको बताते है दीवाली पर लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा क्यों की जाती है
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लक्ष्मी जी धन की देवी है और उनकी सवारी उल्लू है। उल्लू साधारणतयः मूर्खों की श्रेणी में आता है क्योंकि वह जिस मुख से भोजन से करता है उसी से पाखाना करता है और खास बात है कि उल्लू को दिन में नहीं रात्रि में दिखाई देता है। यानि वो रात्रि चर प्राणी है। इसलिए लक्ष्मी जी रात्रि में विचरण करती है।
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लक्ष्मी की अधिकता होने पर अक्सर लोग विवेक खो देते है और धन का दुरूप्रयोग करने लगते है। धन का सद्पयोग हो, विकास हो, परोपकार हो इसके लिए सद्बुद्धि का होना आवश्यक है। गणेश जी बुद्धि के देवता है, जिनकी दो पत्नियॉ रिद्धि व सिद्धि और दो पुत्र है शुभ-लाभ। लक्ष्मी जी धन का प्रतिनिधित्व करती है एंव गणेश जी बुद्धि व विवेक के प्रतीक है। बिना विवेक के लक्ष्मी का शुभ-लाभ नहीं हो सकता। इसी कारणवश दीपावली में लक्ष्मी जी के साथ गणपति की अराधना का विधान है।
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दीपावली की शुभ रात्रि में धन वृद्धि की कामना के साथ-साथ विवेक की आराधना भी करनी चाहिए। क्योंकि अगर धन आया और विवेक न आया तो लक्ष्मी जी का सद्पयोग नहीं दुरूप्रयोग ही होगा।