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जानिए कैसा होना चाहिए होटल-रेस्तरां का वास्तु जिससे हो फायदा ही फायदा..
पं. अनुज के शुक्ल
ज्योतिष
लखनऊ निवासी पं. अनुज के शु्क्ल को वास्तु और कुंडली का अच्छा ज्ञान हैं और इनके मुताबिक हर समस्या का समाधान ज्योतिष विद्या में हैं।
अन्य व्यापारिक भवनों की भांति रेस्तरां, जलपान गृह, भोजनालय या होटल की स्थापाना के लिए सभी प्रकार के वास्तु नियमों को व्यवहार में लाना चाहिए। इस प्रकार के व्यापारिक भवनों में दो महत्वपूर्ण स्थान होते है। एक भोजन बनाने का स्थल और दूसरे उन्हें ठहराने या खिलाने का स्थान।
अपने क्रोध को शांत करना है तो अपनाइये ये ईजी वास्तु टिप्स
आईये जानते है कि रेस्तरॉ या होटल में कैसे वास्तु का प्रयोग करना चाहिए..
- भोजन पकाने के लिए पाकशाला या रसोई पूर्व-दक्षिण अर्थात आग्नेय कोण में होनी चाहिए।
- जलपान गृह या होटल हेतु बालकनी सदैव उत्तर या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।
- खाद्य पदार्थ के भण्डारण या स्टोर हेतु सदैव दक्षिण और पश्चिम या द0-प0 अर्थात नैत्रृत्य कोण दिशा का उपयोग करना चाहिए।
- शौचालय व स्नानागृह को उत्तर-पश्चिम में बनायें।
- एयर कंडीशनर पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।
- विद्युत, जनरेटर, ट्रांसफार्मर को आग्नेय दिशा में रखना चाहिए।
- वाश-बेसिन पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। मुख्यद्वार पूर्व, उत्त्र या उत्तर पूर्व में होना चाहिए।
- दक्षिण दिशा में मुख्यद्वार कदापि नहीं होना चाहिए।
- कैश बाक्स सदैव उत्तर दिशा में ही रखें।
- स्विमिंग पुल तालाब आदि पूर्व या उत्ता में ही होना चाहिए। दुछत्ती होटल में बनाननी पड़े तो पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे ही बनायें।
- होटल का उत्तर-पूर्व दिशा का क्षेत्र खाली रखने का प्रयास करना चाहिए या फिर वहॉ पर आगन्तुक या स्वागत कक्ष बनायें। होटल के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कमरों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इस ओर बालकनी बना सकते है।
- बड़े होटल मेें पार्टी कक्ष या सम्मेलन कक्ष बनाना हो तो उत्तर-पश्चिम दिशा सर्वश्रेष्ठ रहेगी। होटल का उत्तर-पूर्व क्षेत्र बालकनी के रूप में प्रयुक्त करें और पश्चिम-दक्षिणी दिशा का भाग आवास हेतु कमरे बना सकते है, जिसमें आगन्तुक रह सकते है।
- मुख्य भवन के चारों ओर खाली स्थान रखना चाहिए। उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पश्चिम-दक्षिण क्षेत्र की अपेक्षा अधिक स्थान खुला रखना चाहिए।
English summary
The fame the popularity of these Hotels and Restaurant depend upon the arrangement and facilities provided by them for the customers. It is possible only when they are built in accordance with the rules of Vastu.
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