शारदीय नवरात्र 2016: जानिए घट-स्थापना की पूजा और मुहूर्त का समय
हिन्दू त्यौहारों का महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र 01 अक्टूबर से प्रारम्भ होकर 10 अक्टूबर तक रहेंगे। इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्र नौ दिन की बजाय 10 दिन रहेंगे। नवरात्र के नौ दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है।
नवरात्रि 2016: जानिए मां दुर्गा के नौ रूपों के बारे में...
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नवरात्र के नौ दिन प्रातः और संध्या के समय मॉ दुर्गा का पूजन व आरती करनी चाहिए। जो जातक पूरे नौ दिन व्रत नहीं रह सकते है, वह अष्टमी या नवमी के दिन उपवास रखकर हवन व कन्या पूजन कर मॉ भगवती को प्रसन्न करना चाहिए।
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कलश स्थापना मुहूर्त
नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए विशेष शुभ है। नवरात्र व्रत की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना से की जाती है।
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कलश स्थापना विधि
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं।
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पूजन सामग्री-
1-जौ
बोने
के
लिए
मिट्टी
का
पात्र।
2-जौ
बोने
के
लिए
शुद्ध
साफ
की
हुई
मिटटी।
3-पात्र
में
बोने
के
लिए
जौ।
4-कलश
में
भरने
के
लिए
शुद्ध
जल,
गंगाजल
5-मोली।
6-इत्र।
7-साबुत
सुपारी।
8-दूर्वा।
9-कलश
में
रखने
के
लिए
कुछ
सिक्के।
10-पंचरत्न।
11-अशोक
या
आम
के
5
पत्ते।
12-कलश
ढकने
के
लिए
मिटट्
का
दीया।
13-ढक्कन
में
रखने
के
लिए
बिना
टूटे
चावल।
14-पानी
वाला
नारियल।
15-नारियल
पर
लपेटने
के
लिए
लाल
कपडा।
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आगे की बात तस्वीरों में...
जौ बोना चाहिए
कलश
के
चारों
ओर
गीली
मिट्टी
लगाकर
उसमें
जौ
बोना
चाहिए।
जौ
चारों
तरफ
बिछाएं
ताकि
जौ
कलश
के
नीचे
न
दबे।
इसके
ऊपर
फिर
मिट्टी
की
एक
परत
बिछाएं।
अब
कलश
के
कंठ
पर
मोली
बाँध
दें
तत्पश्चात
कलश
में
शुद्ध
जल,
गंगाजल
कंठ
तक
भर
दें।
कलश
में
साबुत
सुपारी,
दूर्वा,
फूल
डालें।
कलश
में
थोडा
सा
इत्र
दाल
दें।
कलश
में
पंचरत्न
डालें।
कलश
में
कुछ
सिक्के
डाल
दें।
कलश
में
अशोक
या
आम
के
पांच
पत्ते
रख
दें।
अब
कलश
का
मुख
मिट्टी/स्टील
की
कटोरी
से
बंद
कर
दें
और
उस
कटोरी
में
चावल
भर
दें।
नारियल का मुख किस तरफ रखना चाहिए?
नारियल पर लाल कपडा लपेट कर मोली लपेट दें। अब नारियल को कलश पर रख दें। नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे।
कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें
अब कलश को उठाकर जौ के पात्र में बीचो बीच रख दें। अब कलश में सभी देवी देवताओं का आवाहन करें। सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इस में पधारें। अब दीपक जलाकर कलश का पूजन करें। धूपबत्ती कलश को दिखाएं। कलश को माला अर्पित करें। कलश को फल मिठाई अर्पित करें। कलश को इत्र समर्पित करें।
माँ दुर्गा की चौकी स्थापित करने की विधि
नवरात्री के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी की स्थापना करनी चाहिए। इसको गंगाजल से पवित्र करके इसके ऊपर सुन्दर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। इसको कलश के दायीं और रखना चाहिए। उसके बाद माँ भगवती की धातु की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मूर्ति के अभाव में नवार्णमन्त्र युक्त यन्त्र को स्थापित करें। माँ दुर्गा को लाल चुनरी उड़ानी चाहिए। माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि माँ दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिये। उसके बाद सबसे पहले माँ को दीपक दिखाइए। उसके बाद धूप, फूलमाला, इत्र समर्पित करें। फल, मिठाई अर्पित करें।
नवरात्र 2016 की तिथियां
-पहला
दिन-01
अक्टूबर,
2016
रू
इस
दिन
घटस्थापना
शुभ
मुहूर्त
सुबह
06
बजकर
20
मिनट
से
लेकर
07
बजकर
30
मिनट
तक
का
है।
प्रथम
नवरात्र
को
देवी
शैलपुत्री
रूप
का
पूजन
किया
जाता
है।
-दूसरा
दिन-02
अक्टूबर
2016
इस
वर्ष
प्रतिपदा
तिथि
दो
दिन
होने
की
वजह
से
आज
भी
देवी
शैलपुत्री
की
पूजा
की
जाएगी।
-तीसरा
दिन-03
अक्टूबर
2016
नवरात्र
की
द्वितीया
तिथि
को
देवी
ब्रह्मचारिणी
की
पूजा
की
जाती
है।
-चौथा
दिन-04
अक्टूबर
2016
तृतीया
तिथि
को
देवी
दुर्गा
के
चन्द्रघंटा
रूप
की
आराधना
की
जाती
है।
-पांचवा
दिन-05
अक्टूबर
2016
नवरात्र
पर्व
की
चतुर्थी
तिथि
को
मां
भगवती
के
देवी
कूष्मांडा
स्वरूप
की
उपासना
की
जाती
है।
नवरात्र 2016 की तिथियां
-छठा
दिन-06
अक्टूबर
2016
पंचमी
तिथि
को
भगवान
कार्तिकेय
की
माता
स्कंदमाता
की
पूजा
की
जाती
है।
-सातवॉ
दिन-07
अक्टूबर
2016
नारदपुराण
के
अनुसार
आश्विन
शुक्ल
षष्ठी
को
मां
कात्यायनी
की
पूजा
करनी
चाहिए।
-आठवॉ
दिन-08
अक्टूबर
2016
नवरात्र
पर्व
की
सप्तमी
तिथि
को
मां
कालरात्रि
की
पूजा
का
विधान
है।
नवरात्र 2016 की तिथियां
-नौंवा
दिन-09
अक्टूबर
2016
अष्टमी
तिथि
को
मां
महागौरी
की
पूजा
की
जाती
है।
इस
दिन
कई
लोग
कन्या
पूजन
भी
करते
हैं।
-दशवॉ
दिन-10
अक्टूबर
2016
नवरात्र
पर्व
की
नवमी
तिथि
को
देवी
सिद्धदात्री
स्वरूप
का
पूजन
किया
जाता
है।
सिद्धिदात्री
की
पूजा
से
नवरात्र
में
नवदुर्गा
पूजा
का
अनुष्ठान
पूर्ण
हो
जाता
है।
11
अक्टूबर
2016
बंगाल,
कोलकाता
आदि
जगहों
पर
जहां
काली
पूजा
या
दुर्गा
पूजा
की
जाती
है
वहां
दसवें
दिन
दुर्गा
जी
की
मूर्ति
का
विसर्जन
किया
जाता
है।