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कैसे करनी चाहिए सावन में शिवलिंग की पूजा?

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शिव को देवों का देव महादेव कहा जाता है। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से है। वेदों में इन्हें रूद्र नाम से पुकारा गया है। यह चेतना के अर्न्तयामी है और इनकी अर्द्धागिंनी मॉ पार्वती है। शिव के मस्तक में चन्द्रमा तथा जटाओं में मॉ गंगा का वास है। जन कल्याण के लिए शंकर ने विष का पान किया था जिससे उनका कण्ठ नीला पड़ गया था। इसलिए शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है।

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How to worship Lord Shiva in Sawan?

भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भोले बाबा सौम्य आकृति व रूद्र रूप देानों के लिए विख्यात है। शिव चित्रों में योगी के रूप में नजर आते है। इसलिए शिव जी की पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूप में की जाती है।

आइये जानते है कि शिव जी की पूजा कब और कैसे करनी चाहिए?

सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा की जाती है लिंग सृष्टि का आधार है और शिव विश्व कल्याण के देवता है। वैसे तो शिव जी की पूजा में कोई विशेष नियम की बाध्यता नहीं है। क्योंकि शिव बहुत ही भोले है वो सिर्फ भाव के भूखे है।

  • शास्त्रों में शिवलिंग पूजा के कुछ नियम-विधान बताये गये है।
  • जिस जगह पर शिवलिंग स्वथापित हो, उससे पूर्व दिशा की ओर मुख करके नहीं बैठना चाहिए।
  • शिवलिंग से उत्तर दिशा में भी न बैठें। क्योंकि इस दिशा में भगवान शंकर का बॉया अंग होता है एंव शक्तिरूपा देवी उमा का स्थान होता है।
  • पूजा के दौरान शिवलिंग से पश्चिम दिशा में बैठना भी उचित नहीं रहता है। क्योंकि इस दिशा में भोले बाबा की पीठ होती है। जिस कारण पीछे से देवपूजा करने से शुभ फल नहीं मिलता है।
  • शिवलिंग से दक्षिण दिशा में ही बैठकर पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
  • उज्जैन के दक्षिणामुखी महाकाल और अन्य दक्षिणामुखी शिलिंग पूजा का बहुत अधिक धार्मिक महत्च है।
  • शिवलिंग पूजा में दक्षिण दिशा में बैठकर करके साथ में भक्त को भस्म का त्रिपुण्ड लगाना चाहिए, रूद्राक्ष की माला पहननी चाहिए और बिना कटे-फटे हुये बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए।
  • शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। आधी परिक्रमा करना ही शुभ होता है।

निम्न प्रकार से अभिषेक का फल

  • दूध से शिव जी का अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक अवसाद व अनचाहे दुःख व कष्टों आदि का निवारण होता है।
  • वंश वृद्धि के लिए घी की धारा डालते हुये शिव सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
  • इत्र की धारा डालते हुये शिव का अभिषेक करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • जलधारा डालते हुये शिव जी का अभिषेक करने से मानसिक शान्ति मिलती है।
  • शहद की धारा डालते हुये अभिषेक करने से रोग मुक्ति मिलती है। परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता है।
  • गन्ने के रस की धारा डालते हुये अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है।
  • शिव जी को गंगा की धारा बहुत प्रिय है। गंगा जल से अभिषेक करने पर चारो पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है। अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है। ऐसा करने से मॉ लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
  • सरसों के तेल की धारा डालते हुये अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता, रूके हुये काम बनने लगते है व मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

शिव पूजा व पुष्प

  • विल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है।
  • कमल पुष्प चढ़ाने से शान्ति व धन की प्राप्ति होती है।
  • कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है।
  • दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।
  • धतूरा अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति व पुत्र का सुख मिलता है।
  • कनेर का पुष्प चढ़ाने से परिवार में कलह व रोग से निवृत्ति मिलती हैं।
  • शमी पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता, शत्रुओं का शमन व भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।
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English summary
It is believed that the month of Sawana is very dear to Lord Shiva. People observe fast on every monday of shravan month and worship Lord Shiva with enthusiasm and faith.
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