Pitru paksha 2018: पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें?
लखनऊ।16 दिन चलने वाले पितृ पक्ष में तर्पण करने से पितरों के श्राप से बचा जा सकता है। पितृपक्ष में सूर्य दक्षिणायन होता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य इस दौरान श्राद्ध तृप्त पितरों की आत्माओं को मुक्ति का मार्ग देता है। कहा जाता है कि इसीलिए पितर अपने दिवंगत होने की तिथि के दिन, पुत्र-पौत्रों से उम्मीद रखते हैं कि कोई श्रद्धापूर्वक उनके उद्धार के लिए पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करे लेकिन ऐसा करते हुए बहुत सी बातों का ख्याल रखना भी जरूरी है।
श्राद्ध पक्ष में पितरों के श्राद्ध के समय कुछ विशेष वस्तुओं और सामग्री का उपयोग और निषेध बताया गया है।
श्राद्ध में सात पदार्थ बहुत जरूरी है
- श्राद्ध में सात पदार्थ- गंगाजल, दूध, शहद, तरस का कपड़ा, दौहित्र, कुश और तिल महत्वपूर्ण हैं।
- तुलसी से पितृगण प्रलयकाल तक प्रसन्न और संतुष्ट रहते हैं। मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णुलोक को चले जाते हैं।
- श्राद्ध सोने, चांदी कांसे, तांबे के पात्र से या पत्तल के प्रयोग से करना चाहिए।
- श्राद्ध में लोहे का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन निषेध है।
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तर्पण विधि
पीतल की थाली में विशुद्ध जल भरकर, उसमें थोड़े काले तिल व दूध डालकर अपने समक्ष रख लें एंव उसके आगे दूसरा खाली पात्र रख लें। तर्पण करते समय दोनों हाथ के अंगूठे और तर्जनी के मध्य कुश लेकर अंजली बना लें अर्थात दोनों हाथों को परस्पर मिलाकर उस मृत प्राणी का नाम लेकर तृप्यन्ताम कहते हुये अंजली में भरा हुये जल को दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें। एक-2 व्यक्ति के लिए कम से कम तीन-तीन अंजली तर्पण करना उत्तम रहता है।
जल के थोड़े भाग को आंखों में लगाएं
'ऊॅत्रिपुरायै च विद्महे भैरव्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात्''।
इस मन्त्र की 2 माला जाप करने के पश्चात पूजन स्थान पर रखें हुये जल के थोड़े भाग को ऑखों में लगायें, थोड़ा जल घर में छिड़क दें और बचे हुये जल को पीपल के पेड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मक उर्जा निकल जायेगी और घर की लगभग हर प्रकार की समस्या से आप मुक्त हो जायेंगे।
पितृपक्ष में पितृदोष निवारण हेतु उपाय
अपने कुल देवता का विधिवत पूजन व अर्चन करें। नाग योनि में पड़े पितरों को मुक्ति देने के लिए पितृपक्ष में ही चांदी के बने नाग-नागिन के जोड़े का दान करना चाहिए। इस समय पीपल व बरगद की नियमित पूजा करने से पितृदोष का शमन होता है। सूर्योदय के समय कुश के आसन पर खड़े होकर गायत्री मन्त्र का जाप करते हुये सूर्य का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष की शान्ति होती है।5-दत्तात्रेय देवता के चित्र या मूर्ति की प्रतिदिन पूजा करें। इन 15 दिनों में यदि नित्य सूर्य को जल देकर आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करने से भी पितृदोष में न्यूनता आती है।
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