बसंत पंचमी या मां सरस्वती का दिन, जानिए महत्व
वसन्त पंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष माघ माह की पंचमी को पड़ता है। शरद ऋतु की विदाई और वसन्त ऋतु के आगमन पर वसन्त पंचमी मनाई जाती है। इस दिन विद्या व वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा व आराधना की जाती है। इस दिन सफेद, पीले व वासन्ती रंग के कपड़े पहनकर सरस्वती पूजन करने का विधान है। इसके साथ ही मां सरस्वती को मीठा, खीर व केसरिया चावल का भोग लगाया जाता है। धूप, दीप, फल-फूल इत्यिादि के साथ मां सरस्वती की वन्दना व पूजा की जाती है।
जानिए बसंत पंचमी से जुड़ी कुछ खास बातें..
कथा-
विष्णु की आज्ञा से जब ब्रहमा ने सृष्टि की रचना की तो सबसे पहले मनुष्य को उत्पन्न किया तत्पश्चात अन्य जीवों का प्रादुर्भाव हुआ है। लेकिन सृष्टि की रचना करने के बाद भी ब्रहमा जी पूर्णतयः सन्तुष्ट नहीं हुये और चारों तरफ मौन का सन्नाटा छाया हुआ था। विष्णु जी की पुनः आज्ञा लेकर ब्रहमा ने अपने कमण्डल से जल लेकर पृथ्वी पर छिड़का जिससे पृथ्वी में कंपन उत्पन्न हुआ।
सरस्वती पूजा, जानिए कैसे करें पूजन
कुछ क्षण पश्चात एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक सुन्दर चतुर्भज देवी का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था एंव अन्य दोनों में हाथों में पुस्तक व माला थी। ब्रहमा जी ने सौन्दर्य की देवी से वीणा बजाने का आग्रह किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं की वाणी से एक मधुर ध्वनि प्रस्फुटित हुयी। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गई। पवन चलने से सरसराहट की अवाजा आने लगी। उसी समय ब्रहमा ने उस देवी का नामकरण वाणी की देवी सरस्वती के रूप में कर दिया। तभी से वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाने लगा।
ऋग्वेद
में
मां
सरस्वती
का
वर्णन
करते
हुये
कहा
गया
है-
प्रणो
देवी
सरस्वती
वाजेभिर्वजिनीवती
धीनामणित्रयवतु।
अर्थात ये परम चेतना है। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका है। हममें जो आचार और मेघा है उसका आधार माॅ सरस्वती ही है। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है।
मां सरस्वती की पूजा से बहुत सारी परेशानियों का हल निकल जाता है जिसे जानने के लिए नीचे की स्लाइडों पर क्लिक कीजिये..
बच्चा पढ़ने में कमजोर है
यदि आपका बच्चा पढ़ने में कमजोर है तो वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करें तत्पश्चात उस पूजा में प्रयोग की हल्दी को एक कपड़े में बांध कर बच्चे की भुजा में बांध दे।
मां सरस्वती वाणी की देवी
मां सरस्वती वाणी की देवी है, इसलिए मीडिया, ऐंकर, अधिवक्ता, अध्यापक व संगीत आदि के क्षेत्र से जुड़े लोगों को वसन्त पंचमी के दिन मां सरस्वती पूजा अवश्य करनी चाहिए।
मन शान्त होता है
मां सरस्वती की पूजा करने से मन शान्त होता है व वाणी में गजब का निखार आता है।
मां सरस्वती की फोटो
यदि आप चाहते है कि आपके बच्चे परीक्षा में अच्छे नम्बर लाये तो आप-अपने बच्चे के अध्ययन कक्ष में मां सरस्वती की फोटो अवश्य लगायें।
जिन लोगों की वाणी काफी तीखी है
जिन लोगों की वाणी काफी तीखी है जिसकी वजह से अक्सर उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे लोग मां सरस्वती की पूजा अवश्य करें।
इन मन्त्रों का जाप करने से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करेंगे
शिक्षा, मीडिया, अधिवक्ता, डाक्टर, प्रोफेसर, साहित्यकार, टीवी एंकर, रेडियो एंकर, छात्र आदि सभी वे लोग जिनका प्रोफेसन वाणी, विद्या या संगीत के से जुड़ा है वे लोग सरस्वती जी के इन मन्त्रों का जाप करने से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करेंगे।
1-एकाक्षर
मन्त्र-ऐं,
2-द्वाक्षर
मन्त्र-आं
लृं,
ऐं,
लृ,
3-त्रक्षर
मन्त्र-ऐं,
रूं,
स्वों,
4-चतुक्र्षर
मन्त्र-ऊॅ
ऐं
नमः।
5-नवाक्षर
सरस्वती
मन्त्र-ऊॅ
ऐं
ह्रीं
सरस्वतै
नमः
इन मन्त्रों का जाप करने से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करेंगे
6-दशाक्षर
सरस्वती
मन्त्र-वद
वद
वाग्वादिन्यै
स्वाहा,
ह्रीं
ऊॅ
हंसो
ऊॅ
सरस्वत्यै
नमः
7-एकादशाक्षर
मन्त्र-
ऊॅ
ऐं
ह्रीं
ऊॅ
सरस्वतै
नमः,
ऐं
वाचस्पते
अमृते
प्लुवः
प्लुः।
ऐं
वाचस्पतेअमृते
प्लवः
प्लवः।
8-एकादशाक्षर
चिन्तामणि
सरस्वती
मन्त्र-
ऊॅ
ह्रीं
हस्त्रै
ह्रीं
ऊॅ
सरस्वतै
नमः।
इन मन्त्रों का जाप करने से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करेंगे
9-एकादशाक्षर
पारिजात
सरस्वती
मन्त्र-
ऊॅ
ह्रीं
हंसौ
ह्रीं
ऊॅ
सरस्वतैः
नमः,
ऊॅ
ह्रीं
हस्त्रै
ह्रीं
ऊॅ
सरस्वतै
नमः।
10-द्वादशाक्षर
सरस्वती
मन्त्र-ह्रीं
वद
वद
वाग्-वादिनि
स्वाही
ह्रीं।
11-अन्तरिक्ष
सरस्वती
मन्त्र-
ऊॅ
ऐं
अन्तरिक्ष-सरस्वती
स्वाहा।
12-षोडशाक्षर
सरस्वती
मन्त्र-ऐं
नमः
भगवति
वद
वद
वाग्देवि
स्वाहा।