जानिए शादी से पहले कुंडली मिलाना क्यों जरूरी है?
आज के आधुनिक युग में भी लव मैरिज की अपेक्षा अरेन्ज मैरिज अधिक होती है। अरेन्ज मैरिज में एक परिवार के लोग दूसरे परिवार के खानदान, खानपान, कल्चर, स्टेटस और कुण्डली मिलान के आधार पर वैवाहिक सम्बन्ध बनाते है। इसमें कुण्डली मिलान सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि ज्योतिष विज्ञान के अनुसार यदि लड़के और लड़की के गुण-दोषों का मिलान ठीक नहीं बैठ रहा है तो इनका वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं व्यतीत होगा।
क्या आपनें कभी सोचा है कि शादी में क्यों जरूरी होता है कुण्डली मिलान। चलिए हम आपको बताते है कि विवाह में कुण्डली मिलाना क्यों अपरिहार्य है ?
विवाह के योग्य वर एवं वधू का भली-भाँति विचार कर इन दोनों का मेलापक मिलाना चाहिए, दो युगलों की कुण्डली की ग्रह स्थिति और जन्म नक्षत्र के आधार पर उनकी प्रकृति अभिरूचि में साम्यता तथा पूरकत्व का विचार मेलापक कहा जाता है, अतः यह कह सकते हैं कि मेलापक ज्योतिष शास्त्र की वह रीति है, जिसके द्वारा किसी अपरिचित युगल की प्रकृति एवं अभिरूचि की समानता तथा जीवन की विविध पहलुओं में उनकी परस्पर पूरकता का विचार किया जाता है।
वर्णो
वश्यं
तथा
तारा
योनिश्च
ग्रह
मैत्रकम्।
गणमैत्रं
भकूटं
च
नाड़ी
चैते
गुणाधिका।।
नक्षत्र मेलापक में प्रमुख रूप से निम्न आठ बातों का विचार किया जाता है..
वर्ण के अंक 01
वर्ण के अंक 01 होते है और यदि दोनों के वर्ण में समानता है तो वर-बधु की कार्यक्षमता अच्छी रहेगी जिससे विवाह के बाद दोनों का विकास होगा। वर्ण के अंक शून्य होने पर कार्यक्षमता अच्छी नहीं होती है।
संतान अच्छी
2- वश्य के अंक 02 होते है। वर-वधु की कुण्डली में वश्य के अच्छे अंक होने से दोनों से उत्पन्न होने वाली सन्तान सुन्दर, सुशील, अज्ञयाकारी और भाग्यशाली होगी। यदि वश्य के अंक शून्य है तो सन्तान होने में बाधायें आयेंगी या फिर दुष्ट प्रकुति की सन्तान उत्पन्न होगी।
3-तारा के अंक 04 होते है। लड़के-लड़की की कुण्डली में तारा के अंक अच्छे होने से विवाह के पश्चात दोनों के भाग्य में वृद्धि होगी। यदि तारा के अंक शून्य होगें तो शादी के बाद दोनों का भाग्य साथ न देगा जिस वजह से प्रगति में बाधायें आयेंगी।
मानसिक और सेक्स क्षमता
4-योनि के अंक 05 होते है। वर-वधु की कुण्डली में योनि के अंक बेहतर मिलने पर दोनों की मानसिक और सेक्स क्षमता अच्छी रहती है। यदि योनि के अंक शून्य है तो विवाह बाद दोनों की मानसिक स्तर न मिलने पर आये दिन तनाव होगा। सेक्स में असंतुष्टि के कारण भी झगड़ा होगा।
5-ग्रहमैत्री के 05 अंक होते है। लड़के-लड़की की कुण्डली में ग्रहमैत्री के अंक अच्छे मिलने से दोनों में सामंजस्य बेहतर रहता है एंव पारिवारिक उन्नति होती है। ग्रहमैत्री के अंक शून्य होने पर पारिवारिक प्रगति बाधित होती है एंव विरोधाभास बना रहता है।
सम्पत्ति में वृद्धि
6-गण के अंक 06 होते है। पुरूष-स्त्री की कुण्डली में जब गण के अंक बेहतर होते है तो दोनों का स्वभाव आपस में मेल खाता है तथा सम्पत्ति में वृद्धि होती है। गण के अंक शून्य होने पर बनी हुयी सम्पत्ति का भी नाश होने की आशंका रहती है।
7-भकूट के अंक 07 होते है। दोनों की कुण्डली में भकूट के अंक अच्छे मिलने पर आपस में अच्छा प्रेम बना रहता है और मेहनत के दम पर दिनों-दिन परिवार की प्रगति होती रहती है। भकूट के अंक शून्य होने पर वर-वधू एक-दूसरे को फूटी आॅखो नहीं देखना चाहते है। बस मजबूरी में रिश्ता निभाते रहते है।
अंक 08
नाड़ी के अंक 08 होते है। लड़के-लड़की की कुण्डली में नाड़ी के अंक बेहतर होने पर दोनां का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि दोनों की नाड़ी एक है तो अंक शून्य होंगे। नाड़ी एक होने से ब्लड ग्रुप भी एक ही होने की सम्भावना रहती है। जिस वजह से सन्तान से सम्बन्धि दिक्कतें आती है एंव दोनों का स्वास्थ्य में आये दिन खराब रहता है।