ऐसे भूखण्डों में भवन निर्माण कराके निवास बिल्कुल न करें
वास्तु शास्त्र में भूमि की शुभता और अशुभता के बारे में विस्तृत चर्चा की गई है। शुभ भूमि पर भवन निर्माण करके निवास करने से लाभ ही लाभ मिलता है और अशुभ भूमि पर मकान निर्मित करके वास करने से दुःख ही दुःख भोगना पड़ता है। भूखण्ड में कोणों का बहुत अधिक महत्व होता है।
अनेक कोणों वाले भूखण्ड अशुभ माने जाते है। इन भवनों में निवास करने वाले लोग कलह व रोग से पीडि़त रहते है। मैंने अपने पिछले लेख में शुभ भूखण्डों के बारे में चर्चा की थी। अब मैं आपको अशुभ भूखण्डों के बारे में जानकारी दे रहा हूं, आप सभी कोशिश करें कि इस प्रकार के भूखण्डों में भवन निर्माण करके निवास कदापि न करें।
त्रिकोणाकार भूखण्ड-
जो भूखण्ड त्रिकोण की आकृति की तरह हो उसे त्रिकोणाकार भूखण्ड कहते है। यह भूखण्ड रहने योग्य नहीं होता है, इसे त्याज्य करना ही उचित है। इसमें रहने वाले लोग भयग्रस्त और अनके प्रकार की समस्याओं से घिरे रहते है।
किस प्रकार के भूखण्ड पर निवास करना चाहिए?
चक्राकार भूखण्ड-
जो भवन अष्टकोणात्मक या पहिए की तरह हो तो उस भूखण्ड को चक्राकार कहते है। यह भूखण्ड अशुभ माना जाता है। ऐसी जमीन पर भवन बनाकर निवास करने वाले लोग निर्धनता और बीमारियों के प्रकोप से ग्रसित रहते है।
शकटाकार भूखण्ड-
जो भूखण्ड बैलगाड़ी के आकार हो उसे शकटाकार भूखण्ड कहते है। इस मकान में रहने से व्यर्थ की भागदौड़, व्याधि, अग्निभय और आर्थिक संकट बना रहता है। ऐसे भूखण्ड में निवास करना उचित नहीं होता है।
धनुषाकार भूखण्ड-
जो भवन धनुष के आकार में बना हो उसे धनुषाकार भूखण्ड कहते है। इस भवन में रहने से शत्रुओं का भय बना रहता है एंव परिवार में अनहोनी हुआ करती है।
तबलाकार भूखण्ड-
जो भवन तबले के आकार में होता है, उसे तबलाकार भूखण्ड कहते है। इस भूखण्ड में निवास करने से आप हमेशा आर्थिक तंगी में फॅसे रहेंगे। जैसे तबला उपर से खाली रहता है, ऐसे ही इसमें रहने वाले लोगों के जीवन में खालीपन बना रहेगा।
चिमटाकार भूखण्ड-
चिमटे के आकार में बने भवन को चिमटाकार भूखण्ड कहते है। यह भवन अशुभ एंव त्याजने योग्य होता है। इस भूखण्ड में रहने से घर में कलह बनी रहती है।
विषमबाहु भूखण्ड-
जिस भूखण्ड की सभी भुजायें अलग-अलग नाप की हो तो उसे विषमबाहु भूखण्ड कहते है। इस भवन में निवास करने से दुःख, अशान्ति व आर्थिक समस्याये बनी रहती है।
अर्द्ध वृत्ताकार भूखण्ड-
जो भूखण्ड आधे वृत्त के समान दिखता हो उसे अर्द्धवृत्ताकार भूखण्ड कहते है। यह भूखण्ड भी अशुभ होता है, इसे त्याजना ही उचित होता है। इस जमीन पर भवन निमार्ण करने से भवन का मुखिया कभी सुखी नहीं रहता है।