शनि अमावस्या पर साढ़ेसाती के प्रभाव कम करने के उपाय
एक माह में दो पक्ष होते है, एक कृष्ण पक्ष दूसरा शुक्ल पक्ष। कृष्ण पक्ष में अंधेरी राते होती है और शुक्ल पक्ष में उजाली राते होती है। शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। उसी प्रकार से कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या का भी विशेष महात्म्य होता है। कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या मनाई जाती है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमवस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
18 अप्रैल दिन शनिवार को शनि अमावस्या पड़ रही है। इस विशेष मुहूर्त में हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहें है, जिन्हे अपनाकर आप शनि की अशुभ दृष्टि से बचकर सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
पूजन विधि- शनि देव की मूर्ति तिल के तेल से का विधिवत अभिषेक व पूजन करके निम्न मन्त्र ''ऊॅ शं शनैश्चराय नमः'' का कम से कम 108 बार जाप करें। मन्त्र का जाप करते वक्त शनि देव के सिर पर तेल अर्पित करते रहना चाहिए। तत्पश्चात तेल के दीपक से शनि देव जी आरती करके अपने सुख व समृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए।
जिन लोगों पर शनि की साढ़े-साती या ढैय्या चल रही है, उनके लिए विशेष उपाय-
- अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बियों को काले वस्त्र में बाॅधकर अपनी तिजोरी में रख लें। ऐसे करने धन हानि में कमी आयेगी।
- शनि अमावस्या की रात्रि को शनि चालीसा का पाठ करें।
- इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ा कर तेल का दीपक जलायें।
- तिल व उड़द से बने पकवानों को गरीबों को खिलाने से शनि देव की शुभ कृपा बनी रहती है।
- अपने हाथ की नाप का 19 हाथ लम्बा काला धागा तेल में भिगोकर पहने से लाभ मिलता है।
- इस दिन सुरमा, काले तिल, नागर मोथा व सौंफ को जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।
- काले उड़द की खिचड़ी में काला नमक मिलाकर स्वंय सेंवन करें एंव गरीबों को खिलायें।
- शनि अमावस्या के दिन सुन्दर काण्ड एंव हनुमानष्टक का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते है।
- शनि की शान्ति के लिए काले तिल, काला कम्बल, काला छाता, काला जूता आदि वस्तुओं का दान करने से शनि का पड़ने वाला अशुभ प्रभाव कम होता है।
नोट- उपरोक्त उपायों को यदि पूरी श्रद्धा व विश्वास के साथ किया जाये तो शनि के दुष्प्रभाव से बचकर आप सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं।