क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

जानिए क्यों आयी नेपाल में इतनी भयानक तबाही?

By पं. अनुज के शुक्ल
Google Oneindia News

भू और कम्पन इन दो शब्दो से बना है भूकम्प। भू का अर्थ होता है पृथ्वी और कम्पन का मतलब हिलना यानि भूकम्प का शाब्दिक अर्थ हुआ पृथ्वी का हिलना। वृहत्संहिता के अनुसार भूकम्प चार मण्डलों में आते है। अग्नि मण्डल, इन्द्र मण्डल, वरूण मण्डल और वायु मण्डल। पूरे ब्रह्रमांड को 28 भागों में विभाजित किया है।

इन 28 भागों को आकृति के आधार पर इनके नाम रखे गये है। जिन्हे नक्षत्र कहा जाता है। एक मण्डल में 7 नक्षत्रों को रखा गया है, जिनके आधार पर यह बताया गया है कि किस नक्षत्र में भूकम्प के आने के बाद आगे 7 दिन तक उसका क्या प्रभाव रहेगा।

25 अप्रैल दिन शनिवार को दोपहर के समय नेपाल में भूकम्प के द्वारा भयानक तबाही आयी। उस दिन अपरान्ह 1:40 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र था। उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, मृगशिरा, अश्विनी और पुनर्वसु ये सात नक्षत्र वायव्य मण्डल के है।

यदि इनमें से किसी भी नक्षत्र में भूकम्प आता है तो इसके सात दिन आगे कथित लक्षण बताये गये है। आकाश में बदली छायी रहती है, वर्षा के कारण नुकसान होता है, पृथ्वी से धूल उड़ती हुयी और वृक्षों को तोड़ती हुयी हवा चलती है और सूर्य की किरणें मन्द हो जाती है।

वायव्य मण्डल में भूकम्प आने से धान्य, जल वनौषिधयों का नाश होता है। बनियाॅ वर्ग को शोथ, दमा, उन्माद, ज्वर और खांसी से उत्पन्न पीड़ा होती है। वैश्या, स्त्री, शस्त्रजीवी, वैद्य, कवि, गान विद्या जानने वाले, व्यापारी, शिल्पी तथा सौराष्ट्र, कुरू, मगध, दशार्ण और मत्स्य देशवासी मनुष्यों को पीड़ा होती है।

Nepal Earthquakes and Astrology Prediction

यदि भूकम्प आने के पश्चात तीसरे, चैथे, सातवें, पन्द्रहवें, तीसवें या पैंतालीसवें दिन पुनः भूकम्प आये तो उस देश के प्रधान राजा का नाश होता है। ऐसा ज्योतिष के महानतम् ग्रन्थ वृहत्संहिता के भूकम्प लक्षणाध्याय के 08, 09, 10, 11 और 32वें श्लोक में वर्णित है।

मैत्रे कुलूततड्डणखसकाशमीराः समिन्त्रचक्रचशः।
उपतापं यान्ति च घण्टिका भिभेदश्च मित्राणाम्।।

यदि शनि अनुराधा नक्षत्र में स्थित हो तो कुलूत, तगंण, खस (नेपाल) और कशमीर इन देशों में स्थित मनुष्य, मन्त्री, चक्रधर (कुम्हार, तेली आदि) और घण्टा बजाने वाले एंव शिल्पियों को पीड़ा सहनी पड़ती है।

शनि की साढ़े साती ने नेपाल को किया बर्बाद-

17 अप्रैल को शनि अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश कर चुका है, जो 05 जून तक इसी अवस्था में भ्रमण करेगा। अनुराधा नक्षत्र में ( न, नी, नू, ने) ये अक्षर आते है। वर्तमान में शनि अपने प्रचण्ड विरोधी मंगल की राशि वृश्चिक में गोचर कर रहा है।

वृश्चिक राशि पर शनि की साढ़े साती ह्रदय पर चल रही है। नाम के अनुसार नेपाल की राशि भी वृश्चिक हुयी। वृश्चिक राशि के ह्रदय पर शनि की साढ़े साती चल रही है। नेपाल का ह्रदय काठमाण्डू को कहा जाता है। इसलिए सबसे ज्यादा क्षति नेपाल के ह्रदय काठमाण्डू को ही हुयी है।

सन् 2015 के शुरूआत में ही 15 दिन के अन्दर दो ग्रहण का पड़ना प्रकृति में बड़ा परिवर्तन का संकेत था। 20 मार्च को सूर्य ग्रहण और 04 अप्रैल दिन शनिवार को चन्द्र ग्रहण पड़ा था। ज्योतिष में सूर्य व चन्द्र ग्रहण को विशेष महत्व दिया जाता है। 15 दिन के अन्दर दो ग्रहण पड़ने के कारण समुद्र व पृथ्वी में अनेक परिवर्तन आते है।

भूकम्प आने में शनि और मंगल की विशेष भूमिका-

सवंत् 2072 का राजा शनि, सेनापति मंगल और मेघेश चन्द्र है। भूकम्प आने में शनि और मंगल का विशेष रोल रहता है। शनि वायु तत्व का कारक ग्रह है और मंगल अग्नि तत्व का कारक है। इन दोनों ग्रहों के केन्द्र में आने से ही भूकम्प की भयावह घटना घटित होती है।

वर्तमान में मंगल अपनी मेष राशि में और शनि मंगल की वृश्चिक राशि में भ्रमण कर रहा है। 17 अप्रैल को शनि के अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करने के बाद 9 दिन के अन्दर ही 25 अप्रैल को दिन शनिवार को नेपाल में भीषण भूकम्प आया।

इससे पहले 80 वर्ष पूर्व 1934 में नेपाल में भयानक जलजला आया था। 2015 और 1934 के अंको को जोड़ने पर अंक 08 आयेगा। अंक 8 शनि का प्रतिनिधित्व करता है। इन सभी संयोगो को मिलाने पर निष्कर्ष निकलता है कि नेपाल में आयी तबाही में शनि की विशेष भूमिका है।

Nepal Earthquakes and Astrology Prediction

14 मार्च को शनि वक्री हुये है, जो 3 अगस्त को मार्गी होंगे। जब कोई पापी ग्रह वक्री होकर गोचर करता है तो उसकी अशुभता में वृद्धि होती है। और वह अपने विकराल रूप में आकार तबाही मचाता है। शनि के वक्री होने से वृश्चिक राशि पर विशेष अशुभ प्रभाव पड़ेगा। भगवान शिव द्वारा शनिदेव को मृत्युलोक के प्राणियों का दण्डाधिकारी नियुक्त किया गया है।

इसीलिए काठमाण्डू में सबकुछ तबाह हो गया है लेकिन शिव जी के आवास पर आॅच तक नहीं आयी। कोई भी आपदा यदि शनिवार के दिन आती है तो भीषण तबाही लेकर आती थी और उसका असर भी काफी दिनों तक रहता है, क्योंकि शनि पापी ग्रह है एंव एक राशि में ढाई वर्ष रहता है।

शनि का कहर अभी जारी रहेगा-

शनि अभी 03 अगस्त तक वक्री रहकर दुनिया के कुछ हिस्सों में जैसे अमेरिका, चीन, नीदरलैंड, नाइजीरिया, आस्ट्रेलिया, इटली, इग्ंलैण्ड, रूस, पाकिस्तान आदि देशो में शनि के कहर से कोई आपदा आने की आशंका नजर आ रही है।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मेघालय, असम, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश एंव भारत के पश्चिम दिशा में पड़ने वाले राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और अण्डमान निकोबार आदि में भूकम्प, बाढ़, तूफान या अन्य प्रकार की कोई प्राकृतिक आपदा कहर बरपा सकती है।

वैसे तो वक्री शनि का 03 अगस्त तक अशुभ प्रभाव रहेगा किन्तु 05 जून तक शनि अपना सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव डालेगा क्योंकि 05 जून तक शनि अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण में गोचर करेगा। यह समय अतयन्त कष्टकारी साबित हो सकता है।

नोट-संवत् 2072 के अपने लेख में मैंने पहले से आगाह किया था कि मेघेश चन्द्र के कारण भारत में वर्षा रूक-रूक के होगी किन्तु अच्छी वर्षा होने के संकेत नजर आ रही है। पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में बाढ़, भूकम्प या तूफान आने की आशंका है।

English summary
Hindus are learning Hindi in Pakistan. They learn Hindi through Sindhi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X