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जानिए क्या है मकर संक्रान्ति का सही मतलब?

By पं. अनुज के शुक्ल
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बैंगलोर। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रान्ति कहा जाता है। संक्रान्ति का समय निश्चित नहीं होता है, वह दिन अथवा रात्रि में किसी समय हो सकती है। संक्रान्ति के नाम राशियों के नाम से होते है। पूरे वर्ष में 12 संक्रान्तियां होती है। इन 12 संक्रान्तियों में से सबसे अधिक महत्व मकर संक्रान्ति को दिया जाता है। इसका कारण है कि इस दिन (मकर संक्रान्ति के दिन ) पृथ्वी भ्रमण करती हुयी इस स्थिति में आ जाती है कि भारत में दिन बड़े और रातें छोटी होना प्रारम्भ हो जाता है। इसे सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण भी कहा जाता है।

Makar Sankranti

यदि संक्रान्ति अर्द्धरात्रि से पहले हो तो उस दिन के दो पहर पुण्य काल माने जाते है। यदि संक्रान्ति अर्द्धरात्रि के उपरान्त हो तो दूसरे दिन का पूर्व भाग पुण्य काल होता है। यदि कर्क संक्रान्ति सूर्योदय से पूर्व हो तो पहला दिन पुण्य काल होता है और यदि मकर संक्रान्ति सूर्यास्त के बाद हो तो दूसरा दिन पुण्य काल होता है। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में रात्रि 7: 26 मिनट पर गोचर करना प्रारम्भ करेगा इसलिए 15 जनवरी को मध्यान्ह 11:40 मिनट तक संक्रान्ति का पुण्य काल माना जायेगा।

मकर संक्रान्ति से देवताओं का प्रभात काल शुरू होता है

भारतीय ज्योतिष के अनुसार कर्क से लेकर धनु राशि तक सूर्य दक्षिणायन रहता है एंव मकर से मिथुन तक सूर्य उत्तरायण में भ्रमण करता है। धर्म शास्त्र के अनुसार दक्षिणायन के 6 माह देवताओं की रात्रि होती है, और उत्तरायण के 6 मास देवताओं के दिन माने गये है। यानि मकर संक्रान्ति से देवताओं का प्रभात काल शुरू हो जाता है। इस शुभ काल में स्नान, दान, जप आदि किये गये कर्मो का विशेष फल मिलता है।

संक्रान्ति के प्रवेश से अनन्तर की चालीस घडि़या ( 16 घं0) पुण्य काल माना जाता है। यदि रात्रि में संका्रन्ति का प्रवेष हो तो, दूसरे दिन मध्यान्ह तक स्नान-दान किये जाते है, किन्तु सूर्योदय से 5 घड़ी ( 2 घं0 ) अत्यन्त पवित्र होता है। यह स्मरण रहे कि संक्रान्ति के जितने समीप स्नान-दान किया जाये, उतना ही उत्तम माना जाता है।

या याः संनिहिता नाडयस्तास्तः पूण्ययतमाः स्मृतः

दान पुण्य का शुभ मुहूर्त- 15 जनवरी को सूर्योदय से लेकर मध्यान्ह 11: 40 मिनट तक।

संक्रान्ति का स्वरूप

वर्ष 2015 में मकर संक्रान्ति की हाथी पर सवार होकर आयेगी। इस बार मकर संक्रान्ति गोरोचन लगाकर लाल वस्त्र पहन कर व गले में पुष्प की माला पहन कर आयेगी। मकर संक्रान्ति हाथ में धनुष लेकर लोहे के बर्तन में दुग्ध का पान करती हुयी हाथी पर प्रौढ़ा अवस्था में विराजमान नजर आयेगी।

सूर्य सिद्धान्त के अनुसार पृथ्वी की गति 50 विकला है और सूर्य प्रति दिन 1 अंश घूमता है। सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता रहता है। हालांकि लीप ईयर में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करने में हर चैथे वर्ष में लगभग 22 से 24 मि0 का अन्तर आ जाता है। यह अन्तर बढ़ते-2 लगभग 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। जिस कारण मकर संक्रान्ति की तिथियां बदलती रहती है।

दो वर्ष बाद बदलता क्रम

मकर संक्रान्ति का पर्व अयन गति से होता है इसलिए हर दो वर्ष बाद ये क्रम बदलता रहता है। वर्ष 2016 में मकर संक्रान्ति 15 जनवरी को मनाई जायेगी वर्ष 2017 में लीप ईयर पड़ जाने के कारण 17 और 2018 में फिर 14 जनवरी मकर संक्रान्ति मनाई जायेगी। 19 व 20 में 15 जनवरी को मनाई जायेगी। ये दो वर्ष बाद बदलने वाला क्रम 2030 तक चलता रहेगा।

शताब्दी के अनुसार मकर संक्रान्ति मनायें जाने का क्रम कुछ इस प्रकार है-

  • 16 वी 17 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 9 व 10 जनवरी को मनाई जाती थी।
  • 17 वी 18 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 11 व 12 जनवरी को मनाई जाती थी।
  • 18 वी 19 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 12 व 13 जनवरी को मनाई जाती थी।
  • 19 वी 20 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 14 व 15 जनवरी को मनाई जायेंगी।
  • 21 वी 22 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 14, 15 व 16 जनवरी को मनाई जायेंगी।

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने पर द्वादशः राशियों पर प्रभाव-

मेष- आपके दशम भाव में सूर्य होने से धर्म-कर्म में रूचि बढ़ेगी। कुछ लोगों को पिता से सहयोग मिलेगा। सम्बन्धों में प्रगाढ़ता आयेगी। नयें कार्यो को करने के लिए मन लालायित रहेगा।

वृष- नवम का भाव का सूर्य कुछ अच्छे काम कराने के लिए प्रेरित करेगा। मन में सकारात्म विचारों के भाव उत्पन्न होंगे। विदेश जाने के इच्छुक व्यक्तियों की मुराद पूरी हो सकती है। आॅफिस की गतिविधियों पर पैनी नजर बनायें रखें अन्यथा विरोधी षड़यन्त्र रच सकते है।

मिथुन- मकर राशि का सूर्य अष्टम भाव में बैठा है। प्रेमी वर्ग को सावधान रहने की जरूरत है वरना बदनामी का शिकार होना पड़ सकता है। इस समय पाइल्स रोगियों को अपने खान-पान पर विशेष सावधानी बरतनी होगी।

कर्क- सप्तम भाव का सूर्य आपके खर्चो में वृद्धि करायेगा और कुछ लोगों को नींद में कमी आने की सम्भावना है। कुछ लोगों को जीवन साथी के साथ मनमुटाव होने के संकेत नजर आ रहें है। राय-मशविरा लेकर कार्य करना लाभकारी साबित होगा।

सिंह- छठें खाने का सूर्य कुछ लोागों को सर्दी से सम्बन्धित कोई रोग उत्पन्न करा सकता है। पहले की अपेक्षा आपके कार्य करने के तरीका में निखार आयेगा एंव चीजों को समझने में आप देरी नहीं करेंगे। कुछ लोगों का मामा पक्ष से तनाव हो सकता है।

कन्या- पंचम भाव का सूर्य आपकी पाचन शक्ति को मजबूत करेगा। प्रेम-प्रसंग में मजबूती आयेगी। घर गृहस्थी के कामों में अड़चने आ सकती है। शय्या सुख में कमी बनी रह सकती है। सोंच-समझकर लिये गये फैसलों में सफलता मिलेगी।

तुला- चैथे स्थान का सूर्य वाहन पर खर्च करायेगा एंव कुछ लोगोें को वाहन चलाते समय सावधानी बरती होगी। सूर्य लाभेश होकर चैथे भाव में बैठा है, इसलिए पराक्रम व साहस में वृद्धि होगी। माता के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। ह्रदय रोगियों को इस समय अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी होगी।

वृश्चिक- तीसरे स्थान का सूर्य आपके आत्म-विश्वास में वृद्धि करायेगा। जिन लोगों के अपने भाईयों से सम्बन्ध खराब है, उनके सम्बन्धों में मजबूती आयेगी। नौकरी वाले जातकों के लिए मकर का सूर्य लाभकारी साबित होगा। राजनीति से जुड़े लोगों के लिए यह समय अच्छा रहेगा।

धनु- दूसरे स्थान का सूर्य कुछ लोगों की वाणी में तीखापन ला सकता है, जिससे उनके रिश्तों में खटास पैदा हो सकती है। कुछ लोगों का ससुराल पक्ष से मन खिन्न हो सकता है। धन से सम्बन्धित लम्बित मामलों में कुछ प्रगति हो सकती है।

मकर- लग्न का भाव का सूर्य कुछ लोागें के वैवाहिक सम्बन्धों में तनाव पैदा कर सकता है। सूर्य अष्टमेश होकर लग्न भाव में बैठा है, इसलिए गुप्त सम्बन्धों में विशेषकर सावधानी बरतें वरना बेवजह बदनामी का शिकार हो सकते है। कुछ लोागें को स्थान परिवर्तन भी करना पड़ सकता है।

कुम्भ- 12वें भाव का सूर्य कुछ लोगों को तनाव पैदा कर सकता है जिस वहज से उनको नींद न आने की शिकायत बनी रहेगी। किसी विषय को लेकर ज्यादा मन्थन करना इस समय उचित नहीं है। धार्मिक कार्यो में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।

मीन- 11वें भाव का सूर्य इस राशि वालों के लिये अनेक प्रकार की खुशियाॅ लेकर आयेगा। मित्रों के साथ मनोरंजन करने का अवसर प्राप्त होगा। कुछ लोगों का नौकरी में प्रमोशन आदि भी सकता है। सामाजिक पद,प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जीवन साथी के साथ तीखी-मीठी नोंक-झोंक हो सकती है।

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English summary
Makara Sankranti is a Hindu festival celebrated in almost all parts of India and Nepal in a myriad of cultural forms. It is a harvest festival.
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