मिली ओबामा-मोदी की कुंडलियां, जानिए कैसे फल मिलेंगे भारत को
[पंडित अनुज के शुक्ल] अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत आने के पीछे खास वजह है भारत के पास एक व्यापक बाजार। इसी बाजार के कारण वह आर्थिक वैश्विक खेल के वर्तमान दौर में दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। अमेरिका को यह भी पता है कि भारत जिस पलड़े पर बैठेगा वह देश आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो जायेगा।
ओबामा की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत और के लिए कितनी फायदेमन्द साबित होगी और ओबामा का भारत आना अमेरिका के लिए कितना कारगर सिद्ध होगा? आइये जानने की काशिश करते हैं।
नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर सन् 1950 को सुबह 11 बजे गुजरात में हुआ था। आपकी वृश्चिक राशि है जिसका स्वामी मंगल काफी मजबूत अवस्था में है। ओबामा का जन्म 04 अगस्त सन् 1961 को रात्रि 7:19 मि0 होनूलूलू में हुआ था। ओबामा की चन्द्र राशि वृषभ है। वृश्चिक का स्वामी मंगल है और वृषभ का मालिक शुक्र है।
इन दोनों ग्रहों में समभाव के विचारों की समानता है। इसलिए मोदी और ओबामा के विचार एक दूसरे से मिलते-जुलते है। मोदी की वृश्चिक राशि ओबामा की कुण्डली में लाभ भाव में स्थिति है और ओबामा की वृषभ राशि मोदी की जन्मपत्री में सप्तम भाव में बैठी है। यानि मोदी को ओबामा का साथ मिलने से विश्व की राजनीति में बड़े खिलाड़ी बने रहने की मोदी की महत्वकांक्षा में चार-चांद लग जायेंगे।
ओबामा के ग्रह
ओबामा का जन्म नक्षत्र रोहिणी तथा मोदी का जन्म नक्षत्र अनुराधा है। तारा चक्र के अनुसार ओबामा के नक्षत्र रोहिणी से गिनने पर 14 वें नम्बर अनुराधा नक्षत्र आता है, जो प्रत्यरि नक्षत्रों की श्रेणी में आता है। प्रत्यर नक्षत्र को शुभ नहीं सामान्य कहा जा सकता है।
मोदी के ग्रह
मोदी के जन्म नक्षत्र अनुराधा से गिनने पर रोहिणी नक्षत्र 15वें नम्बर पर आता है, जो साधक नक्षत्रों की श्रेणी में गिना जाता है। अतः ओबामा की भारत विजिट से मोदी बतौर वल्र्ड लीडर अपनी छवि बनाने में सफल होंगे। अमेरिका से रिश्ते अच्छे होने के कारण मोदी आतंकवाद, सीमा पर फायरिंग जैसे मुद्दों पर पड़ोसियों से ज्यादा दमदार तरीके से पेश आ सकेंगे।
जिस वक्त ओबामा पहुंचे
जिस वक्त ओबामा पहुंचे उस वक्त यानी 25 जनवरी को सुबह 9:50 मि0 से 11:10 बजे के बीच क्षितिज पर मीन लग्न उदित हो रहा था। मीन राशि एक द्विस्वभाव राशि है, जिसका मालिक गुरू लग्नेश व दशमेश होकर पंचम भाव में उच्च का होकर बैठा है। मीन राशि की आकृति मछली जैसी होती है। मछली को देखना शुभता की श्रेणी में आता है। यानि जिस वक्त ओबामा भारत की भूमि पर कदम रखा वह बेहद शुभ था।
ओबामा की राशि वृष तत्कालिक कुण्डली में पराक्रम भाव में पड़ी है एवं मोदी की राशि वृश्चिक भाग्य भाव में है। 180 अंश पर दोनों की राशियां आमने-सामने हैं।
कारक और भविष्यवाणी
- सप्तम भाव मारक भी होता है और परिवर्तन का कारक भी, इसलिए ओबामा के ढलते राजनैतिक करियर में थोड़ी उछाल आ सकती है, किन्तु कुछ फैसलों से अमेरिका की जनता सहमत नहीं होगी।
- लग्न में चन्द्र व केतु एक साथ स्थित है। इस कारण ओबामा अपने व्यक्तिगत सम्बन्धों से ज्यादा अमेरिका के हित साधने की कूटनीति अपनायेंगे।
- बातचीत के टेबल पर जबरदस्त मुद्दे आर्थिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, कृषि एंव रक्षा के क्षेत्र में सहयोग का दायरा काफी बढ़ेगा।
- ओबामा भारत में 25, 26 व 27 जनवरी तक रहेंगे। 26 जनवरी का दिन ओबामा और मोदी दोनों के लिए महत्वपूर्ण और सार्थक साबित होगा। क्योंकि मोदी का मूलांक 08 है और ओबामा का अंक 04 है। इन दोनों अंको की आपस में मित्रता है।
- 26 जनवरी को चन्द्रमा मेष राशि में रहेगा एंव क्षितिज पर रेवती नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। रेवती नक्षत्र ओबामा के लिए साधक है तो मोदी के लिए सम्पत कारक है।
- 27 जनवरी दोनों के लिए सामान्य ही कही जा सकती है। इस दिन केतु के नक्षत्र अश्वनी का प्रभाव रहेगा। यह नक्षत्र मोदी और ओबामा के लिए हितकारी नहीं है।
- केतु के कारण कोई अशुभ समाचार मिलने की आशंका भी है। निष्कर्षतः ओबामा की यह भारत यात्रा एक ओर अमेरिका के हित साधने में काफी हदतक कामयाब होगी तो दूसरी ओर मोदी का वैश्विक राजनीति में कद ऊंचा होने के संकेत है।