जानिए जेठ के मंगल की महिमा होगा मंगल ही मंगल
दुनिया रचने वाले को भगवान कहते है और संकट हरने वाले को हनुमान कहते है। राम के अनन्य भक्त हनुमान जी संकट हरने वाले देवता माने जाते है। संकट कैसा भी पर हनुमान जी उसे पल भर में दूर करने की क्षमता रखते है। किन्तु भक्ती, श्रद्धा और प्रीति वैसी ही होना चाहिए जैसी हनुमान जी रामचन्द्र जी से करते थे। जॅहा न कोई स्वार्थ है, न आडम्बर, न आकांक्षा न किसी भी प्रकार की आशंका जॅहा है सिर्फ प्रेम व पूर्ण समर्पण की भक्ति है।
05 मई को ज्येष्ठ मास की कृष्ण प्रतिपदा से बड़े मंगल की शुरूआत हो रही है। इस दिन चन्द्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा, जो मंगल की राशि है। विशाख गुरू का नक्षत्र है। गुरू सबका कल्याण करता है। इसलिए ज्येष्ठ के बड़े मंगल की शुरूआत काफी शुभ रहेगी। दूसरा मंगल 12 मई को धनिष्ठा नक्षत्र में पड़ेगा। धनिष्ठा मंगल का नक्षत्र है। अतः दूसरे बड़े मंगल का भी खास प्रभाव रहेगा। 19 मई को शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ रोहिणी नक्षत्र पर उच्च का चन्द्र रहेगा। रोहिणी चन्द्रमा का नक्षत्र है और मंगल व चन्द्र आपस में मैत्री भाव रखते है। यह भी एक शुभ संकेत है। चैथा मंगल 26 मई को अष्टमी पर मघा नक्षत्र के साथ सिंह राशि रहेगी। ज्येष्ठ मास का अन्तिम मंगल दो जून को पड़ेगा। वो भी खास रहेगा क्योंकि पूर्णिमा के साथ शनि का नक्षत्र अनुराधा और शिव योग का अद्धभुत संयोग बन रहा है। इस बार के ज्येष्ठ मंगल में खास बात यह है कि पहला बड़े मंगल के दिन चन्द्रमा वृश्चिक में रहेगा और अन्तिम बड़े मंगल 02 जून को भी चन्द्रमा वृश्चिक राशि में ही गोचर करेगा। यानि शुरूआत और समापना दोनों ही शुभ रहेंगे।
क्यों है जेष्ठ के मंगल खास ?
कहा जाता है कि एक बार नवाब सआदत अली खां बहुत बीमार हो गये थे। और काफी इलाज कराने के बाद जब वह ठीक नहीं हो रहे थे। तब उनकी माॅ छतर कुॅवर-जनाबे आलिया ने नवाब के ठीक होने के लिए मन्नत मांगी और हुनमान जी की कृपा से नवाब सआदत अली स्वस्थ्य हो गये। उनके ठीक होने पर माॅ ने अलीगंज का पुराना मन्दिर 1798 में जेठ माह के मंगल में स्थापित करवाया। अलीगंज के मन्दिर स्थापना में एक रोचक तथ्य और है कि जब मन्दिर की स्थापना हो रही थी तो जाटमल नाम के व्यवसायी ने स्वंय प्रकट हुयी हनुमान जी की प्रतिमा के सामने प्रार्थना की थी। यदि मेरा इत्र और केसर बिक जायेगा तो वह मन्दिर बनवायेंगे। नवाब वाजिद अली शाह ने कैसरबाग को बसाने के लिए जाटमल से इत्र और केेसर खरीद् लिया। इस तरह मन्नत पूरी होने पर जाटमल ने 1848 में जेठ के पहले मंगलवार को अलींगज के नये हुनमान मन्दिर की प्रतिमा स्थापित करवायी थी। शायद उसी समय से लखनऊ में जेठ के मंगलो में बजरंग बली का विशेष पूजन कर लोगों को मीठा शरबत और ठंडा जल पिलाने की परम्परा प्रचलित है।
मेरे विचार से एक दूसरा कारण भी हो सकता है कि गर्मी के मौसम में सबसे अधिक गर्म महीना जेठ का होता है। आयुर्वेद में भी जेठ के महीने में पैदल चलना वर्जित बताया गया है। पहले संसाधन न होने के कारण लोग पदयात्रा ही करते थे और उस दौर में नलकूप, पानी की टंकी आदि की व्यवस्था नहीं थी। जिस वजह से लोगों को जेठ की चिलिचिलाती गर्मी में पदयात्रा के दौराना अपनी प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ता था। वैसे तो पूरे सप्ताह गर्मी रहती है किन्तु मंगल अग्नि कारक है, इसलिए मंगलवार को प्रचंड गर्मी पड़ती है। इसी कारणवश मंगलवार के दिन राह चलते लोगों को मीठा जल व मीठे के साथ ठण्डा जल पिलाया जाता है। पुराणों में वर्णित है कि अन्न दान और जल दान से बड़ा कोई भी दान नहीं है।