गणेश चतुर्थी - एकदंत दयावंत चार भुजाधारी, लड्डुअन का भोग...
भगवान गणेश की उपासना के लिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी के 10 दिन मनोकामना और दुःखों को दूर करने के लिए अति शुभ है। इस उत्सव का समापन अनन्त चतुर्दशी के दिन श्री गणेश की मूर्ति को समुद्र में विसर्जित करने के पश्चात होता है। इस बार 29 अगस्त से लेकर 08 सितम्बर तक गणेश जी का उत्सव मनाया जायेगा।
गणेश चतुर्थी की कथा
एक दिन गणेश चूहे की सवारी करते समय फिसल गये तो चन्द्रमा को हॅसी आ गयी। इस बात पर गणेश काफी क्रोधित होकर चन्द्रमा को श्राप दे दिया कि चन्द्र अब तुम किसी के देखने के योग्य नहीं रह जाओगे और यदि किसी ने तुम्हें देख लिया तो पाप का भागी होगा। श्राप देकर गणेश जी वहां से चले गये। चन्द्रमा दुःखी व चिन्तित होकर मन नही मन अपराधबोध महसूस करने लगा कि सर्वगुण सम्पन्न देवता के साथ ये मैंने क्या कर दिया ? चन्द्रमा के दर्शन न कर पाने के श्राप से देवता भी दुःखी हो गये। तत्पश्चात इन्द्र के नेतृत्व में सभी देवताओं ने गजानन की प्रार्थना और स्तुति प्रारम्भ कर दी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वर मांगने को कहा।
सभी देवताओं ने कहा- प्रभु चन्द्रमा को पहले जैसा कर दो, यही हमारा निवेदन है। गणेश जी ने देवताओ से कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता हूॅ। किन्तु उसमें कुछ संशोधन कर सकता हूं। देवताओं ने चन्द्र से कहा तुमने गणेश पर हॅसकार उनका अपमान किया है और हम लोगों ने मिलकर तुम्हारे अपराध को माफ करने की क्षमा-याचना की है, जिससे प्रसन्न होकर गजानन से सिर्फ एक वर्ष में भाद्र शुक्ल चतुर्थी को अदर्शनीय रहने का वचन देकर अपना श्राप अत्यन्त आशिंक कर दिया है। आप भी गणेश जी की शरण में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शुद्ध होकर संसार को शीतलता प्रदान करें।
आईये जानते हैं गणेश उत्सव के इस महान व्रत के बारे में नीचे की स्लाइडों से..
चन्द्र दर्शन कलंक निवारण हेतु उपाय
गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र दर्शन निषेध बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति आज के दिन चन्द्र का दर्शन भूलवश कर लेता है तो उसे वर्ष भर के अन्दर उस पर किसी भी प्रकार का मिथ्या कलंक लगनें की आशंका रहती है।जो व्यक्ति जाने-अनजाने में भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रमा के दर्शन कर लेगा, वह अभिशप्त होगा और उस पर झूठे आरोप लगाये जायेंगे। यदि इस दिन दर्शन हो जाये तो इस पाप से बचने के लिए निम्न मन्त्र का पाठ करे- 1- सिंह प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्रोष स्यमन्तकः।।
-चन्द्र दर्शन कलंक निवारण हेतु उपाय
यदि अनिच्छा से चन्द्र दर्शन हो जायें तो उसके निवारण हेतु श्रीमत भागवत के दशवें स्कन्ध में 76वें व 77वें अध्याय में उल्लेखित स्यमंतक मणि की चोरी की कथा का श्रवण करने से चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।
गणेश उत्सव में विशेष कामना की पूर्ति लिए क्या करें-
1-
बुधवार
या
गणेश
चतुर्थी
के
दिन
स्नान
व
ध्यान
करके
गणेश
जी
को
चोला
व
सिन्दूर
चढ़ाने
से
आप
पर
आने
वाली
बाधायें
दूर
होगी
एंव
सुख
एंव
सौभाग्य
की
वृद्धि
होगी।
गणेश
जी
को
सिन्दूर
चढ़ाते
समय
निम्न
मन्त्र
का
उच्चारण
अवश्य
करें।
सिन्दूर
शोभनं
रक्त
सौभाग्यं
सुखवर्द्धनम्।
सुभदं
कामदं
चैव
सिन्दूरं
प्रतिगृहयताम।।
गणेश उत्सव में विशेष कामना की पूर्ति लिए क्या करें
गणेश को अर्पित सिन्दूर को घर के सभी सदस्यों के मस्तक पर लगायें एंव उसी सिन्दूर से घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनायें। ऐसा करने से घर के सभी सदस्यों की प्रगति होगी तथा घर का वास्तु दोष भी दूर होगा।
धन प्राप्ति हेतु
-पूजा घर में कुबेर यन्त्र स्थापित करें तथा निम्न मन्त्र ''ऊॅ श्रीं ऊॅ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः'' की कम से कम 5 माला का जप करें।
सम्पत्ति प्राप्ति हेतु
गणेश चतुर्थी के दिन कनकधारा स्त्रोत एंव तथा लक्ष्मीसूक्त का पाठ करने से सम्पत्ति प्राप्ति में आने वाले बाधायें समाप्त होती है।
मकान की प्राप्ति हेतु
जो लोग स्वंय के मकान में जाने के लिए काफी कोशिशे कर रहें है, उसके बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही है, तो आप गणेश चतुर्थी के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भुवनेश्वरी स्त्रोत की कम से कम 5 माला का जप करें।
ऋण मुक्ति हेतु
जिन जाताकों के उपर ऋण का बोझ लदा रहता है और बहुत कोशिश करने के बावजूद भी आप ऋण से छुटकारा नहीं पाते है। ऐसे लोग गणेश चतुर्थी के दिन ऋणमोचन मंगल स्त्रोत के कम से कम 7 पाठ करें।
विवाह के लिए
यदि किसी लड़के या लड़की के विवाह में देरी हो रही हो या फिर किसी भी प्रकार अड़चन आ रही हो तो गणेश चतुर्थी के दिन पूरी श्रद्धा भाव से निम्न मन्त्र '' श्री ग्लौम गणपते नमः'' की 11 माला का जप करने से सफलता प्राप्त होती है।
शिक्षा में टॉप करने के लिए
गणेश चुतर्थी के दिन स्नान व ध्यान करके विधिवत गणेश जी का पूजन करें तत्पश्चात गणेश जी को सिन्दूर लगाकर गणेश स्त्रोत का पाठ करें। गणेश जी पर अर्पित सिन्दूर को किसी डिब्बी में रखकर उसको नियमित पूजन करके प्रातःकाल मस्तक पर लगायें।