रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुर्हूत
रक्षाबंधन के महत्व का अंदाजा आपको इसी से हो जायेगा कि भारत के चार त्योहार- 1- रक्षा बन्धन, 2- विजय दशमी, 3- दीपावली, 4- होली हैं। प्राचीन काल से ही भारतीय समाज चार भागों में विभक्त रहा है। जिनको चार वर्ण कहते है- ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। इन चारों वर्णो में ब्राहमण का प्रधान त्यौहार रक्षा बन्धन है। विजयदशमी क्षत्रियों का प्रधान त्यौहार है, क्योंकि इसमे अस्त्र-शस्त्रादि का पूजन किया जाता है। दीपावली वैश्यों का त्यौहार है, क्योंकि इसमे लक्ष्मी पूजन की प्रधानता है तथा होली शूद्रों का प्रधान त्यौहार माना जाता है क्योंकि इसमे मनोविनोद को और सब वर्णों के पारस्परिक सम्पर्क की मुख्यता है।
रक्षा बन्धन हिन्दू पंचाग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाना वाला यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार को जताने का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी दीर्घायु व प्रसन्नता के लिये प्रार्थना करती है। और भाई अपनी बहन की हर विपत्ति पर रक्षा करने का वचन देते है। इन राखियों के मध्य भावनात्मक प्रेम भी छिपा होता है। इस बार रक्षा बन्धन का त्यौहार 2 अगस्त दिन गुरूवार श्रवण नक्षत्र एंव मकर राशिस्थ चन्द्रमा में पड़ रहा है।
विधि-विधानः पूर्णिमा के दिन प्रातः काल हनुमान जी व पित्तरों को धोक देकर जल, रोली, मोली, धूप, फूल, चावल, प्रसाद, नारियल, राखी, दक्षिणा आदि चढ़ाकर दीपक जलाना चाहिए। भोजन के पहले घर के सब पुरूष व स्त्रियां राखी बांधे। बहने अपने भाईयों को राखी बांधकर तिलक करें व गोला नारियल दें। भाईयों को चाहिए कि वे बहन को प्रसन्न करने के लिये रूपया अथवा यथाशक्ति उपहार दें। राखी में रक्षा सूत्र अवश्य बांधें।
राखी बांधने का का शुभ मुहूर्त- प्रातः 8:57 बजे तक है किन्तु 11:30 बजे तक समय भी शुभ रहेगा।
येन
बद्धो
बली
राजा
दानवेन्द्रो
महाबलः।
तेन
त्वामानुवध्नामि
रक्षे
मा
चल
मा
चल
बहने राखी बांधते समय उपरोक्त मन्त्र का उच्चारण करें।