जानिए मंत्रों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मंत्र एक प्रकार का विचार है, जिसके जप या बार-बार स्मरण करने से ’मन’ प्रगतिशील होकर अपने लक्ष्य पर केन्द्रित होता है। मंत्र का शाब्दिक अर्थ है- मन पर नियन्त्रण करना। हृदय और मन में सामंजस्य बिठाकर ध्यान मग्न होकर चिन्तन एंव मंथन करना। समाज के प्रबुद्ध वर्ग के मन व दिमाग में एक शंका सदा ही मंत्र शक्ति के मनुष्य पर प्रभाव के विषय में भ्रम पैदा करती है।
अतः मंत्र का वैज्ञानिक आधार पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह बताने का एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूं। मंत्र शक्ति रूढीवादिता या अन्धविश्वास नहीं, अपितु ध्वनि की अनन्त तरंगों का सुख, शान्ति, समृद्धि, अरोग्यता और सम्पन्नता आदि से उत्पन्न करने वाला विज्ञान है। मंत्र जाप से उत्पन्न होने वाली तरंगों से वातावरण में कम्पन्न होता है। और यह कम्पन वतावरण के व्यापक क्षेत्र को कम्पन का संचार कराता है।
कंपन की विशेषता एंव प्रकार पर एक सम्पूर्ण ग्रन्थि की रचना की जा सकती है। इस ध्वनि का जितनी तीव्र गति में वातावरण में कम्पन होगा और उसकी जितनी आवृत्तियां होगी एंव इन ध्वनि तरंगों का जितना स्क्षूम व दीर्घ आकार होगा। उतना ही उस व्यक्ति के जीवन में उर्जा का संचरण होगा। ध्वनि तरंगों से उत्पन्न होने वाला यह कम्पन एक विशेष प्रकार की सकारात्मक उर्जा में रूपानतरित हो जाता है, जो अपने अन्तिम चरण तक कम्पन के प्रभाव को संजोये रखती है।
प्रत्येक मंत्र में अनेक शब्द एंव स्वर होते है। इन शब्दों के कम्पन, मन व शरीर पर विशेष प्रकार का सकारात्मक प्रभाव डालते है। जिससे मानशिक व शारीरिक शक्ति में दृढ़ता प्रदान होती है। स्वर और लयबद्ध होकर किया जाने वाला "मनत्रोचार" जिस कार्य के सफल हेतु किया जाता है। वह विभिन्न ध्वनि तरंगों के प्रभाव से अद्भुत फल प्रदान करता है। मंत्र जप हमेशा शुद्ध वातावरण, शुद्ध आचरण, सात्विक आहार, लयबद्ध तथा आरोह एंव अवरोह के साथ करने की विधि के ज्ञान के बिना मंत्र जाप करने से मनोकूल लाभ की सम्भावना भी नहीं करनी चाहिए। अगले लेख में मैं आपको बताउॅगा कि मंत्र जप करने में क्या सावधानी बरती जायें।