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जानिये कैसे करें शिवलिंग की पूजा?

By ज्‍योतिषाचार्य पं. अनुज के शुक्‍ला
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Shivalinga
हिन्दुओं का लिंग पूजन परमात्मा के प्रमाण स्वरूप सूक्ष्म शरीर का पूजन है। शिवलिंग दो शब्दों से बना है, शिव और लिंग। शिव का अर्थ है- परम कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है- सृजन अथवा निर्माण। दूसरे शब्दों में शिवलिंग का अर्थ होता है- भगवान शंकर का यौन अंग। शिव के वास्तविक स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है- प्रमाण, वेदों और वेदान्त में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आता है।

यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है। 1- मन, 2- बुद्धि, 3- पांच ज्ञानेन्द्रियां, 4- पांच कर्मेन्द्रियां और पांच वायु। इस लिंग के शरीर से आत्मा की सत्ता का प्रमाण मिलता है। स्कन्द पुराण में लिंग का अर्थ लय लगाया गया है। लय ( प्रलय) के समय अग्नि में सब भस्म होकर सब शिवलिंग में समाहित हो जाता है। लिंग के मूल में ब्रह्रमा, विष्णु और उपर जाग्रत अवस्था में भोले नाथ विराजमान है।

शिवलिंग की वेदी, महावेदी और लिंग भगवान शंकर है। सिर्फ लिंग की ही पूजा करने से त्रिदेव एंव आदि शक्ति की पूजा हो जाती है। शान्ति और परम आनन्द का प्रमुख स्रोत है, ईश्वर सभी उत्कृष्ण गुणों से परिपूर्ण है। प्रत्येक मनुष्य अपना कल्याण चाहता है, यह उसकी स्वाभाविक प्रकृति है। सारी सृष्टि ही शिवलिंग है। इसका एक-एक कण शिवलिंग में समाहित है।

ईश्वर ने अपने समस्त पृ्रकृति में फैले हुये अपने दिव्य गुणों का लघु रूप दिया तो पहले मानव की उत्पत्ति हुयी। शिवलिंग को लिंग और योनि के मिलन के रूप में नहीं अपितु इसे सृष्टि सजृन के प्रतीक रूप में देखना चाहिए।

भारत में द्वादश ज्योर्तिलिंगों की स्थापना है। जो निम्नलिखित है। 1- सोमनाथ, 2- वैद्यनाथ, 3- काशी विश्वनाथ, 4- मल्लिकार्जुन, 5- भीमशंकर, 6- त्रिंबकेश्वर, 7- महाकालेश्वर, 8- रामेश्वर, 9- केदारनाथ, 10- ओंकेश्वर, 11- नागेश्वर, 12- घृष्णेश्वर। ऐसी मान्यता है कि इन 12 ज्योर्तिलिंगो के दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के पाप व कष्ट दूर होकर आनन्दमयी जीवन गुजारा जा सकता है।

क्यों करें शिवलिंग की आधी परिक्रमा-

हमेशा शिवलिंग की परिक्रमा बांयी ओर से प्रारम्भ कर जलधारी के निकले हुए भाग यानि स्रोत तक फिर विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। जलधारी या अरघा को पैरों से लाघना नहीं चाहिए क्योंकि माना जाता है कि उस स्थान पर उर्जा और शक्ति का भण्डार होता है।

जलधारी को लांघते समय पैरों के फैलने से वार्य या रज इनसे जुड़ी विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाओं पर शक्तिशाली उर्जा का दुष्प्रभाव पड़ता है। अतः इस देव-दोष से बचना चाहिए। शिवलिंग का विधिवत पूजन व अर्चन करना चाहिए क्योंकि इसमें दैवीय शक्ति होती है, जो हमारी सभी प्रकार से रक्षा करके मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।

क्लिक करें NEXT और पढ़ें घर में क्‍यों नहीं होना चाहिये शिवलिंग?

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English summary
There are certain restrictions in worshiping Shivalinga. Acharya Pandit Anuj K Shukla from Lucknow is telling here how to do prayer of lord Shiva.
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