कहीं आपके घर में भी ऐसी स्त्री तो नहीं....वरना...
आज के संदर्भ में भी देखा जाए तो पुरुषों की मूल प्रकृति आमतौर पर लगभग समान ही होती है, लेकिन स्त्रियों के अनेक रूप सामने आते हैं।
नई दिल्ली। संसार की रचना के समय ब्रह्मा ने स्त्री और पुरुष दो प्राणी बनाए और उनसे मैथुनी सृष्टि का निर्माण हुआ। अनादिकाल से स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक रहे हैं और अनादिकाल तक रहेंगे। दोनों का एक-दूसरे के बिना स्वतंत्र कोई अस्तित्व नहीं है, लेकिन हम अक्सर पौराणिक कहानियां देखते-सुनते हैं कि उनमें कोई स्त्री बहुत बहादुर, साहसी रही तो कोई कोमलांगी, सुकुमारी, सुंदर और विभिन्न कार्यों में निपुण। किसी में तीव्र यौन उत्कंठा है तो कोई बिलकुल जीवन से निरापद नजर आती है।
सिर्फ रेखाएं नहीं, हाथ की बनावट भी है महत्वपूर्ण
आज के संदर्भ में भी देखा जाए तो पुरुषों की मूल प्रकृति आमतौर पर लगभग समान ही होती है, लेकिन स्त्रियों के अनेक रूप सामने आते हैं। शायद इसीलिए स्त्रियों के स्वभाव, गुण, धर्म, प्रकृति पर अनेक काव्य रचे गए। कई लेखकों ने अपने-अपने अनुभवों के आधार पर स्त्रियों को व्यक्त करने का प्रयास किया।
लक्षण विज्ञान, हस्तरेखा शास्त्र, रमल शास्त्र
कुछ पौराणिक ग्रंथों की बात करें तो उनमें शरीर लक्षण विज्ञान, हस्तरेखा शास्त्र, रमल शास्त्र आदि अनेक ग्रंथों में स्त्रियों के अनेक प्रकार बताए गए हैं। अपने गुण के अनुरूप ही वह स्त्री व्यवहार करती है और उसी के अनुरूप उसका एक नाम रखा गया है।
आइये स्त्रियों के कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में जानें
हस्तिनी
ये वे स्त्रियां होती हैं जो पुरुष के मनोनुकूल होती है। हालांकि इनका शरीर थोड़ा स्थूल होता है, लेकिन इनमें भोग की इच्छा प्रबल होती है। इस प्रकार की स्त्रियों का स्वभाव आलसी होता है और इनमें लज्जा, धर्म जैसे गुण कम ही पाए जाते हैं। इनके कपोल, नाक, कान तथा गर्दन मोटे होते हैं। आंखें छोटी, होंठ मोटे होते हैं चाल हाथी के समान होती है। इनकी प्रकृति लड़ने की होती है। छोटी-छोटी बातों पर लोगों से झगड़ बैठती हैं। अक्सर देखा गया है कि इस प्रकार की स्त्री विवाहेत्तर संबंधों में लिप्त रहती है।
पद्मिनी
ऐसी स्त्रियों के मन में दूसरों के लिए दया और प्रेम की भावना सदैव रहती है। इनके प्रत्येक व्यक्ति आकर्षित हो जाता है। हंस के समान चाल चाली ये स्त्री माता-पिता तथा सास-ससुर की सेवा करती हैं। इनके शरीर से कमल के समान सुगंध फैलती रहती है। इनके नाक, कान तथा होंठ छोटे होते हैं। ऐसी स्त्री सौभाग्यवती, पतिव्रता तथा कम संतान उत्पन्न करने वाली होती है। धन संग्रह करने में इनके समान दूसरी कोई नहीं हो सकती। अनेक ऐश्वर्य और सुख भोगने वाली होती है पद्मिनी प्रकार की स्त्रियां।
शंखिनी
आमतौर पर इस श्रेणी की स्त्रियां लंबी होती हैं तथा इनके चलते समय पृथ्वी पर धम्म-धम्म की आवाज आती है। ये अपने कूल्हे हिला-हिलाकर चलती है। इनकी आंखें टेढ़ी और शरीर बेडौल होता है। इनमें क्रोध की अधिकता होती है। अपनी मर्जी चलाने वाली और किसी अन्य की बात नहीं सुनती है। इस प्रकार की स्त्री कामुक भी पाई जाती है। यहां तक कि मादक प्रदार्थों, धूम्रपान, व्यसन की आदत इन्हें होती है। अपने बुरे आचरण की वजह से समाज और परिवार में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है।
चित्रणी
ऐसी स्त्रियों को श्रंगार करने का बेहद शौक होता है। ज्यादा परिश्रम और घर-गृहस्थी के कार्य करना इन्हें पसंद नहीं होता, लेकिन होती बुद्धिमान है। इनका मस्तिष्क गोल, चेहरा गौर वर्ण तथा नेत्रों में चमक होती हैं। अपनी आंखों की अदाओं से हर किसी को मोहित कर लेती हैं। मोर के समान इनका स्वर होता है। गायक, नृत्यांगना, चित्रकार भी इसी श्रेणी की महिलाएं देखी गई हैं। चित्रणी प्रकृति की स्त्रियां अपने पति को पूरी तरह संतुष्ट करने में सक्षम होती हैं और उनका पूरा ध्यान रखती है।
आतुरा
इस तरह की स्त्रियां हमेशा जल्दबाजी में ही रहती हैं। प्रत्येक कार्य को जल्दी से जल्दी पूरा करने का इनमें जुनून होता है। इस चक्कर में कई बार इनके काम बिगड़ भी जाते हैं। ये होती तो साधारण रूप-रंग वाली हैं लेकिन पति से बहुत प्रेम करती हैं। यदि इनके मन की कोई बात पूरी न हो तो पति से लड़ाई भी कर लेती हैं। इन्हें नए-नए मित्र बनाने की आदत होती है। इनके ज्यादातर मित्र स्त्री ही होते हैं। धन संचय करने में कमजोर होती है। अपने मित्रों पर अधिक खर्च कर बैठती हैं।
डाकिनी
इस प्रकार की स्त्रियां मीठी-मीठी बातें करके अपना काम निकालना खूब अच्छी तरह जानती है। लोगों को धोखा देना इनकी प्रकृति में होता है। ये उपर से प्रत्येक व्यक्ति से बहुत निकटता और अपनापन दिखाती हैं लेकिन भीतर ही भीतर उन्हें धन ऐंठने की योजना बनाती रहती हैं। यहां तक कि पति को भी धोखा देने में संकोच नहीं करती। धन की विशेष लालसा होती है और धन पाने के लिए ये अपराध तक कर बैठती हैं। देखने में सुंदर, वाणी में मधुरता इनका सबसे बड़ा गुण होता है।
प्रेमिणी
प्रेमिणी श्रेणी की स्त्रियां अत्यंत सुंदर, गौर वर्ण, चंचल नेत्र, गुलाबी पतले होंठ, सुराही जैसी गर्दन और लंबे केश की मालकिन होती हैं। इनकी सुंदरता के दीवाने सैकड़ों होते हैं। जो केाई एक बार इन्हें देख ले वह भूल नहीं पाती। जितना आकर्षक इनका रूप होता है, उनका सौम्य इनका स्वभाव भी होता है। इनका आचरण शुद्ध होता है। परोपकार और प्रेम की भावना इनमें प्रबल होती है। ये अपने परिवार और पति-बच्चों के लिए समर्पित होती हैं। इन्हें भोग-विलास के समस्त साधन प्राप्त होते हैं। स्वर्ण विशेष प्रिय होता है।
कृपिणी
ऐसी स्त्रियां कमजोर शरीर वाली, सांवली त्वचा वाली, कंजूस और निर्लज्ज होती हैं। अपनी गलत हरकतों की वजह से परिवार, समाज में बदनाम होती है। इन्हें अपनी संतान और पति से कोई मोह नहीं रहता। इस कारण इनका घर-परिवार अक्सर टूट भी जाता है। प्रत्येक पुरुष को अपनी ओर आकर्षित करने की चेष्टा करती है और धन पाने के लिए किसी भी पुरुष के साथ हो लेती हैं। इनके दिमाग में अपराध का कीड़ा भी पनपता रहता है। भोग-विलास पाने के लिए ये अपराध की राह पकड़ लेती हैं।
स्वर्गिणी
ऐसी स्त्री धर्मपरायण होती है। धार्मिक कार्यों में शामिल होना इन्हें पसंद होता है। इनका परिवार व्यवस्थित तरीके से चलता रहता है। न किसी चीज की अधिक लालसा होती है और न कुछ अधिक पाने का प्रयास करती हैं। जितना होता है उसी में खुश रहती हैं। इनका अपनी संतान से विशेष लगाव होता है। धन संचय करने का गुण इनमें होता है। इस प्रकार की स्त्रियां किसी बड़े ओहदे पर भी देखी गई हैं। रूप-रंग सामान्य किंतु आकर्षक होता है। परोपकार करने में आगे रहती हैं।
बहुवंशिनी
इन स्त्रियों का रंग गेहुआ होता है और पूरी तरह से गृहस्थ धर्म को निभाने वाली होती हैं। ये कभी झूठ नहीं बोलती और दिल की साफ होती है। पति और परिवार इनके लिए सबसे उपर होते हैं। समाज में सम्मानित होती हैं तथा उच्च पदों पर आसीन होती है। हां, इनका स्वभाव थोड़ा गर्म होता है, लेकिन जल्दी ही मान भी जाती है। दूसरों की बुराई करने वाले और दूसरों पर दोषारोपण करने वालों से ये दूर रहना पसंद करती हैं। ये अनेक संपत्तियों की मालकिन होती है। प्रेम इनका विशेष गुण होता है।