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क्यों सात्विक जीवन शैली का महीना है सावन?

By पं. गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। सावन का महीना 10 जुलाई से शुरू हो चुका है। सभी भारतीय धार्मिक जन सावन के माह के निश्चित नियमों का पालन करने की परंपरा सदियों से निभाते आए हैं।

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यूं तो धर्म और आस्था को किसी समय या माह से बांधा नहीं जा सकता और नई पीढ़ी इन सब नियमों को पुराने जमाने के बंधन मानकर नकारती रहती है, पर सावन माह के नियम धार्मिक रूढि़ मात्र नहीं हैं।

आइए, जानते हैं सावन के महीने में अपनाए जाने वाले नियमों और उनके वैज्ञानिक कारणों को...

धार्मिक ग्रंथों में सावन माह को विशेष स्थान प्राप्त

धार्मिक ग्रंथों में सावन माह को विशेष स्थान प्राप्त

सावन के महीने के सबसे आम नियम शराब और मांसाहार के निषेध को लेकर हैं। भारतीय परिवारों में इस नियम का पालन अवश्य ही किया जाता है। इसकी वजह यह है कि धार्मिक ग्रंथों में सावन माह को विशेष स्थान प्राप्त है और इसे सर्वाधिक पवित्र महीना माना जाता है। शराब और मांसाहार को धर्म की दृष्टि से तामसिक वर्ग का माना जाता है। इसीलिए धार्मिक दृष्टि से इस परम पवित्र माह में तामसिक आहार त्याज्य माना गया है।

संक्रमण की आशंका

संक्रमण की आशंका

अब इन निषेधों के वैज्ञानिक कारणों को जानते हैं। जहां तक शराब की बात है, तो वह किसी भी माह या मौसम में निषिद्ध ही होती है। कोई भी व्यक्ति शराब पिए जाने या किसी भी तरह का नशा करने का पक्ष नहीं ले सकता। दूसरी बात मांसाहार की है, तो चिकित्सा विज्ञान यह प्रमाणित करता है कि बारिश के मौसम में सारे ही माहौल में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इस कारण से संक्रामक रोगों की भी भरमार हो जाती है। ऐसे में मनुष्य के साथ ही पशु भी इन संक्रमणों से अछूते नहीं रह जाते।

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संक्रमण फैलता है

संक्रमण फैलता है

किसी संक्रामक रोग से ग्रस्त पशु का मांस खाने से मनुष्य का बीमार पड़ना स्वाभाविक है। आयुर्वेद में भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि बारिश के दौरान मांस में संक्रमण बहुत जल्दी होता है। इसका एक कारण यह भी है कि इस मौसम में कीट पतंगे एकदम से सक्रिय हो जाते हैं। इनके खाद्य पदार्थों पर बैठने से भी संक्रमण फैलता है, जो मांसाहारियों को जल्दी बीमार कर सकता है।

अनेक पशु-पक्षियों का प्रजनन काल

अनेक पशु-पक्षियों का प्रजनन काल

मांसाहार ना ग्रहण करने का एक कारण यह भी बताया गया है कि वर्षाकाल अनेक पशु-पक्षियों का प्रजनन काल होता है। इस मौसम में अनेक पशु- पक्षी, जलीय जीव गर्भ धारण करते हैं। हिंदू शास्त्रों में गर्भित पशु की हत्या को पाप माना गया है। यदि इस मौसम में मांसाहार ग्रहण किया जाए, तो यह तय करना मुश्किल है कि मांस गर्भित पशु का तो नहीं है। बारिश का महीना सभी जीवों के फलने-फूलने के लिए बनाया गया है। ऐसे में यदि गर्भवती मादा की ही हत्या हो जाए, तो नए जीवों के जन्म लेने की संभावना ही ना रहेगी। इसीलिए जीवों की रक्षा के उद्देश्य से सावन में मांसाहार को त्याज्य माना गया है।

क्या करें सावन माह में?

क्या करें सावन माह में?

  • सावन का महीना हर दृष्टि से हर देव की उपासना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। विशेष रूप से शिव परिवार के किसी सभी सदस्यों यानि महादेव, पार्वती, कार्तिकेय और गणपति की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय यही माना जाता है क्योंकि इस समय सृष्टि का भार शिव परिवार पर ही रहता है और माना जाता है कि इस समय शिव परिवार जाग्रत रूप से धरती पर भ्रमण करता है। श्री कृष्ण की पूजा के लिए भी यह काल उपयुक्त माना गया है।
  • सावन का महीना व्रत और उपवास के लिए सबसे सार्थक माना गया है। विज्ञान भी मानता है कि इस मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में व्रत आदि के द्वारा भोजन पर संयम रखकर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखना आसान हो जाता है।
  • शिव की आराधना का विशेष महत्व

    शिव की आराधना का विशेष महत्व

    सावन के महीने में शिव की आराधना का विशेष महत्व है। विशेष रूप से भगवान शिव को जल चढ़ाए जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे भी पुराणों में एक कथा मिलती है। इस कथा के अनुसार सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकले विष का पान भगवान शंकर ने किया और इसे अपने गले में धारण कर लिया था। इस हलाहल विष का प्रभाव इतना मारक था कि शिव का सिर उसके ताप से जलने लगा। इस ताप को कम करने के लिए शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया। इसके बाद भी जब विष का ताप कम ना हुआ, तो समस्त देव शिव पर जल चढ़ाने लगे। यह देख इंद्रदेव ने मूसलाधार वर्षा कर शिव को शांति देने का प्रयास किया, जिससे ताप कम हुआ और शिव प्रसन्न हुए। यही वजह है कि सावन के महीने में शिव भक्त कांवड़ में विभिन्न नदियों का जल भर अपने प्रभु का जलाभिषेक कर उन्हें शांति पहुंचाने का प्रयास करते हैं। सावन के सोमवार पर इसीलिए शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। सावन में मूसलाधार बारिश भी शिव के ताप को हरने के लिए ही होती है।

    धार्मिक गतिविधियां

    धार्मिक गतिविधियां

    कहा जाता है कि जिस तरह सावन में कीट पतंगे अपनी सक्रियता कई गुना बढ़ा देते हैं, ठीक इसी तरह मनुष्यों को भी अपनी धार्मिक गतिविधियां इस काल में बढ़ा देना चाहिए। सावन का महीना है ही इतना फलदायक कि हर धार्मिक कार्य का सहस्त्र गुना फल मिलता है। यदि आप धार्मिक नहीं भी हैं तो भी इन आसान नियमों का पालन कर शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।

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English summary
It is believed that the month of Sawana is very dear to Lord Shiva. People observe fast on every monday of shravan month and worship Lord Shiva with enthusiasm and faith.
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