सुभाष चंद्र बोस की 120वीं जयंती: युवा शक्ति के प्रतीक नेताजी थे कारों के शौकीन
नेताजी कारों के बेहद शौकीन थे, हालांकि दिलचस्प बात यह भी है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी कोई कार नहीं खरीदी।
बैंगलोर। आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन हैं, वो केवल लोगों के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं बल्कि रोल मॉडल भी हैं। आज भी युवावर्ग उनकी बातों से काफी प्रेरित हैं और उनके जैसे बनने की कोशिश करता है। उनके विचारों और कामों के जानकर लोग आज भी ऊर्जावान हो जाते हैं। अपने फैसले और हिम्मत से दुनिया का नक्शा बदल सकने का दम रखने वाले सुभाष चंद्र बोस की इन्हीं बातों उन्हें लोगों का आदर्श बनाया है।
आइए एक नजर डालते हैं महान नेताजी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक बातों पर...
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हुआ था।
- उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था।
- उनका नारा 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा' भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है।
- कहा जाता है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था।
1920 में बोस ने आईएस की वरीयता सूची
1920 में बोस ने आईएस की वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए पास कर ली।
'दिल्ली चलो'
- 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में नेता जी ने अपनी सेना को सम्बोधित करते हुए 'दिल्ली चलो' का नारा दिया था।
- 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी।
साइमन कमीशन के खिलाफ
1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस ने उसे काले झंडे दिखाए थे, कोलकाता में सुभाष ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
भगत सिंह को ना बचा पाने का दुख
जब सुभाष जेल में थे तब गांधीजी ने अंग्रेज सरकार से समझौता किया और सब कैदियों को रिहा करवा दिया। लेकिन अंग्रेज सरकार ने भगत सिंह जैसे क्रान्तिकारियों को रिहा करने से साफ इंकार कर दिया।
गांधी और कांग्रेस से नाराज
सुभाष चाहते थे कि इस विषय पर गांधी जी अंग्रेज सरकार के साथ किया गया समझौता तोड़ दें। लेकिन गांधी अपनी कसम तोड़ने को तैयार नहीं थे जिसके कारण सुभाष चंद्र बोस गांधी और कांग्रेस से नाराज हो गए थे। उन्हें अपने क्रांतिकारी जीवन में 11 बार जेल जाना पड़ा था।
प्रेम हुआ
सन् 1934 में उनकी मुलाकात एमिली शेंकल से हुई और इस दौरान दोनों में प्रेम विवाह हो गया। दोनों ने सन् 1942 में बाड गास्टिन में हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया।वियेना में एमिली ने पुत्री अनिता बोस को जन्म दिया।
कार के शौकीन थे नेताजी
नेताजी से जु़ड़े ऐसे तमाम दिलचस्प किस्से हैं, उन्हीं में से एक है नेताजी का कारों के प्रति खास लगाव, नेताजी कारों के बेहद शौकीन थे, हालांकि दिलचस्प बात यह भी है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी कोई कार नहीं खरीदी। नेताजी के पौत्र चंद्र कुमार बोस ने इस बात का खुलासा किया, उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि नेताजी कारों के शौकीन थे. जहां तक मुझे पता है नेताजी ने कभी कोई कार नहीं खरीदी थी।