अगले सौ साल तक नहीं होगी 14 जनवरी को मकर संक्रांति
नई दिल्ली। हम में से बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें मंकर संक्रांति की तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है,आधे लोग 14 जनवरी को संक्रांति मना चुके हैं तो आधे लोग आज मकर संक्रांति मना रहे हैं।तो लीजिये हम आप लोगों का कन्फ्यूजन दूर कर देते हैं। दरअसल आज ही मकर संक्रांति मनाना उचित है क्योंकि सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की शाम 7 बजकर 20 मिनट पर किया है जिसके कारण संक्रांति रात में लगी है और रात में ना तो स्नान होता है और ना ही दान-पुण्य इसलिए संक्रांति आज मनायी जा रही है।
यहां आपको एक और खास बात बताते हैं और वो यह कि आज के बाद पूरे सौ वर्षों तक मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनायी जायेगी क्योंकि सूर्य की गति में परिवर्तन हुआ है जो कि हर साल बढ़ती ही जायेगी इसलिए आज के बाद आने वाली हर मकर संक्रांति 14 जनवरी की जगह 15 जनवरी को ही मनायी जायेगी।
इस साल 14 को नहीं 15 जनवरी को मनेगी मकर संक्रांति
संक्रांति के इस पावन पर्व पर देश के कई क्षेत्रों में गंगा सहित कई नदियों, जलाशयों में हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। इस मौके पर श्रद्घालुओं ने गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य किए। कड़कड़ाती ठंड के बावजूद सुबह से ही गंगा के विभिन्न घाटों में पहुंचकर लोगों ने स्नान किए। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने और गंगा तट पर तिल का दान करने से सारे पाप कट जाते हैं।
जानिए क्या है मकर संक्रान्ति का सही मतलब?
पंडितों का कहना है कि सूर्य के धनु से मकर राशि में जाने से खरमास भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। आज की संक्रांति बहुत खास है और आज के दिन किये गये दान-पुण्य हर जातक के लिए शुभ है। इस दिन को गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पतंग महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।