इस करवाचौथ पर करें..16 श्रृंगार...जानिए महत्व और खास बातें...
बैंगलोर। अक्सर कहा जाता है कि करवा चौथ में सुहागिनों को 16 श्रृंगार करके पूजा करनी चाहिए, लेकिन क्या आपको पता है कि 16 श्रृंगार सही में होते क्या हैं।
आईये जानते हैं 16 श्रृंगार के बारे में...
- मांग टीका: यह पति द्वारा प्रदान किये गये सिंदूर का रक्षक होता है।
- बिंदिया: इसे इस तरह से लगाया जाता है कि मांगटीका का एक छोर इसे स्पर्श करे।
- काजल: काजल अशुभ नजरों से बचाव करता है वहीं ये आपकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
- नथुनी: नाक में पहना जाने वाला यह आभूषण अपनी अपनी परंपरा व रस्मों रिवाज में छोटा-बड़ा होता है।
- सिंदूर: इस श्रृंगार के माध्यम से प्रथम बार कोई पुरूष किसी स्त्री को अपनी संगिनी बनाता है।
- मंगलसूत्र: ये भी सुहाग सूचक है, जिसके बिना हर शादी अधूरी है।
- कर्णफूल: श्रृंगार नंबर 7 को कर्णफूल या ईयर रिंग कहते हैं।
- मेंहदी: श्रृंगार में नंबर 8 का स्थान 'मेंहदी' का है।
- कंगन या चूड़ी: इसके बिना हर श्रृंगार अधूरा है।
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गजरा
बालों को संवार कर उसमें गजरा सजानेे के पीछे कारण ये है कि जब तक बालों में सुगंध नहीं होगी तब तक आपका घर नहीं महकेगा। दुल्हन वो ही अच्छी मानी जाती है जिसके बाल पूरी तरह से व्यवस्थित होते हैं।
बाजूबंद
कुछ इतिहासकारों ने बाजूबंद मुगलकाल की देन माना है लेकिन पौराणिक कथाओं में इसकी खूब चर्चा है। यह बड़ी उम्र में पेशियों में खिंचाव और हड्डियों में दर्द को नियंत्रित करता है।
'अंगुठी'
हम आपको बताते हैं श्रृंगार नंबर 12 यानी 'अंगुठी' के बारें में। वैसे 11 वां श्रृंगार 'आरसी' के रूप में जाना जाता है। आरसी आइने को कहते हैं लेकिन यहां ये भाव नहीं है। आरसी एक सीसा लगी हुई अंगुठी होती है जो कि दायें हाथ की अनामिका में पहनीं जाती हैं।
कमरबंद
कमरबंद को तगड़ी भी कहते हैं। काम में उत्साह और शरीर में स्फूर्ति का संचार बना रहे। उत्तम स्वास्थ्य के लिए कमरबंद स्वास्थ्य कारकों से भी आवश्यक और उत्तम माना जाता है।
पायल या पाजेब
श्रृंगार में 14 वां नंबर है पायल या पाजेब का। दुल्हन अपने घर की गृहलक्ष्मी होती है। उसका संचारण और सुभागमन बहुत शुभ माना जाता है।
बिछिया
पैरों में अंतिम आभूषण के रूप में बिछिया पहनी जाती है। दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है।
परिधान यानी कपड़ा
अंतिम और 16वां सबसे महत्वपूर्ण श्रृंगार होता है परिधान। शारीरिक आकार प्रकार के अनुसार परिधान में रंगो का चयन स्त्री के तंत्रिका तंत्र को मजबूत और व्यवस्थित करता है।