शरद पूर्णिमा पर बहुत फलदायी है शिव रुद्राभिषेक, जानें विधि
लखनऊ। भगवान शिव अपने शीश पर चन्द्र धारण करते हैं। यदि आप की कुंडली में चन्द्र, राहु, केतु या शनि युक्त है अथवा वृश्चिक राशि में पड़कर नीच का हो गया है, तो शरद पूर्णिमा के दिन शिवजी का रुद्राभिषेक करवाएं या साधारण जल दूध से स्वयं शिवजी का अभिषेक करें।
चन्द्र की दिव्य आभा में शिवजी को एक चांदी का चन्द्रमा समर्पित कर दें। चूंकि चन्द्र दोष से अस्थमा जैसी व्याधि होती है। शरद पूर्णिमा चन्द्र को समर्पित पर्व है इसलिए जो भी जातक आज के दिन चन्द्रमा की विधिवत पूजा करेगा वह पूरे वर्ष निरोगी रहेगा।
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पूजन विधि-
शरद पूर्णिमा को प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठें। पश्चात नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें। स्वयं स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देव को स्नान कराकर उन्हें सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करें। इसके बाद उन्हें आसन दें। फिर, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से अपने आराध्य देव का पूजन करें।
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इसके साथ गाय के दूध से बनी खीर में घी तथा मिश्री मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान का भोग लगाएं। एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें।
तत्पश्चात गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। अंत में लोटे के जल से रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करें और रात्रि जागरण कर भगवद् भजन करें। चांद की रोशनी में सुई में धागा अवश्य पिरोएं।
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निरोग रहने के लिए पूर्ण चंद्रमा जब आकाश के मध्य में स्थित हो, तब उसका पूजन करें। रात को ही खीर से भरी थाली खुली चांदनी में रख दें। दूसरे दिन सबको उसका प्रसाद दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें।
ऐसे करें पूजन-
चन्द्रोदय के पश्चात श्री सूक्त का पाठ करते हुए दूध और चावल से बने खीर से अभिषेक करें। इसके पश्चात शुद्ध जल से स्नान कराकर लक्ष्मी जी को एक पीले आसन पर स्थापित कर हल्दी, कुंकुम, लाल चन्दन वस्त्र इत्यदि अर्पित करते हुए पूजन करें।
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अभिषेक किए हुए खीर को चन्द्र की रोशनी में रखने के पश्चात प्रसाद स्वरूप वितरण करें। स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।