नवरात्रि में दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन
दधांना
कर
पहाभ्यामक्षमाला
कमण्डलम।
देवी
प्रसीदतु
मयि
ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
इस मंत्र के साथ मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार व संयम जैसे गुणों की प्राप्ति होती है जो उसको जीवन में आगे ले जाने में मदद करते हैं। आपको पता है कि ब्रह्मचारिणी का मतलब ही है तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली। तो जो लोग इस रूप की पूजा करते हैं तो उन्हें साधक होने का तो फल मिलेगा ही। आज के दिन मां को पूजने के लिए जातकों को इस श्लोक से पूजा की शुरूआत करनी चाहिए। जो लोग भवानी के इस रूप का पूरी श्रद्धा के साथ पूजन करते हैं उनके जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी हिमालय भगवान की पुत्री हैं। मां के इस रूप को माता पारवती के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव की पत्नी थीं।
भारत में मां ब्रह्मचारिणी के मंदिरों की बात करें तो वाराणसी के दुर्गा घाट पर मां के इस रूप का सबसे पुराना मंदिर है। यहां हर रोज भक्तों की भीड़ लगती है, लेकिन नवरात्रि के दूसरे दिन मेला सा लग जाता है, जब हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन के लिये आते हैं। कहा जाता है कि बचपन से ही जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी का पूजन नियमित रूप से करता है वो आगे चलकर बुद्धिमान होता है और उच्च शिक्षा ग्रहण करता है।