हमेशा के लिए छोड़कर चली गईं 'मां'
लखनऊ। जिन्होंने मां को बेहद करीब से समझा, जाना, पहचाना और तमाम कलाम मां के नाम कर दिए। जी हां हम बात कर रहे हैं चर्चित शायर मुनव्वर राना की। दरअसल मुनव्वर राना की मां का लखनऊ में मंगलवार को सहारा अस्पताल में निधन हो गया। 84 वर्षीय आयशा खातून गुर्दे की बीमारी से जूझ रहीं थीं।
मां की तमाम खूबियों पर जब मुनव्वर राना की कलम चली, तो न जाने कितनी आंखों में आंसुओं का दरिया उतर आया। न जाने कितने लोगों ने कलामों को सुनकर मां को गले लगा लिया। आज मुनव्वर राना की मां का इंतकाल हो गया। जिसकी खबर खुद मुनव्वर राना के सोशल मीडिया के अकाउंट के जरिए मिली। मुनव्वर राणा ने लिखा कि आज अम्मी जान हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चली गईं।
मुनव्वर राना द्वारा लिखी मां के लिए गज़लों में से चर्चित एक गजल
मैं
जब
तक
घर
न
लौटूं
मेरी
मां
सजदे
मे
रहती
है
इस
तरह
मेरे
गुनाहों
को
वो
धो
देती
है
मां
बहुत
गुस्से
में
होती
है
तो
रो
देती
है
बुलंदियों
का
बड़े
से
बड़ा
निशान
छुआ
उठाया
गोद
में
माँ
ने
तब
आसमान
छुआ
घेर
लेने
को
मुझे
जब
भी
बलाएं
आ
गईं
ढाल
बनकर
सामने
मां
की
दुआएं
आ
गईं
जरा-सी
बात
है
लेकिन
हवा
को
कौन
समझाये
दिये
से
मेरी
मां
मेरे
लिए
काजल
बनाती
है
लबों
पे
उसके
कभी
बद्दुआ
नहीं
होती
बस
एक
माँ
है
जो
मुझसे
खफा
नहीं
होती
ये
ऐसा
कर्ज
है
जो
मैं
अदा
कर
ही
नहीं
सकता
मैं
जब
तक
घर
न
लौटूं
मेरी
मां
सजदे
में
रहती
है
जहां सोशल मीडिया के जरिए मुनव्वर राना के फेसबुक पेज पर सैकड़ों लोगों ने मुनव्वर राना की मां के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की।