विश्व सूफी-फोरम का हिस्सा होंगे पीएम नरेन्द्र मोदी
नई दिल्ली। जिहादी ताकतों के हाथों आतंकवाद के कारण आज पूरा विश्व परेशान है जिस पर विचार करने के लिए विश्व सूफी फोरम का आयोजन हो रहा है। जिसमें 20 देशों के 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस फोरम का हिस्सा हमारे देश के पीएम नरेन्द्र मोदी भी होंगे।
पहले विश्व सांस्कृतिक उत्सव की मेजबानी करेगा दिल्ली
दिल्ली में 17 से 20 मार्च तक चार दिन के इस समारोह का आयोजन आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड कर रहा जिसमें विश्व स्तर के प्रमुख सूफी विद्वान, शिक्षाविदों एवं सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे।
क्या होगा खास?
- बढ़ती हुए वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने में सूफीवाद के रोल पर विचार करने के लिए नई दिल्ली में वर्ल्ड सूफी फोरम का आयोजन हो रहा है।
- देश-विदेश के 200 से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी की उम्मीद है।
- 17 से 20 मार्च तक नई दिल्ली में चार दिवसीय समारोह में भाग लेंगे।
- इस समारोह में इस्लाम के नाम पर आतंकवाद के उपयोग और कट्टरवाद की बढ़ती घटनाओं का मुकाबला करने के लिए दीर्घकालिक विकल्पों पर भी बात की जाएगी।
सूफी लीडर हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ
भारत में एक बहुत बड़े वैश्विक समारोह के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के संस्थापक एवं अध्यक्ष और देश के एक बेहद प्रभावशाली सुन्नी सूफी लीडर हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ ने कहा, '' हम इस बात पर यकीन करते हैं कि समय का तकाजा यह है कि राजनीतिक फायदों के के लिए आतंकवादी समूहों द्वारा इस्लाम की कट्टरवादी व्याख्याओं पर गंभीरता हेतु एक मंच स्थापित करें।
उद्घाटन 17 मार्च को विज्ञान भवन में
चार दिवसीय वर्ल्ड सूफी फोरम का उद्घाटन 17 मार्च को विज्ञान भवन में होगा। इसके बाद इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, दिल्ली में दो दिन का सेमिनार होगा। आखिरी दिन 20 मार्च को इस्लाम के एक लाख से अधिक फरज़नदान भारत के कोने-कोने से दिल्ली पहुंचेंगे और राम लीला मैदान, दिल्ली में फोरम के समापन सत्र में भाग लेंगे।
ऑल इंडिया उलमा व मशाइख
AIUMB भारत की एक गैर लाभकारी संस्था है जिसका उद्देश्य सूफी सिलसिलों और रूहानी बुजुर्गों की शिक्षाओं का. प्रसार प्रचार करना है सुंदर, इंसाफ़ पसन्द रूहानी अक़ीदों पर आधारित इस संस्था का विशेष ध्यान कट्टरवाद के फैलाव को रोकना है। ये संस्था इस पर विश्वास रखती है कि धार्मिक उन्माद, कट्टरवादी विचारधारा एवं धर्म से शक्ति प्राप्त करने वाली ऐसी फासीवादी शक्तियों से आम मुसलमानों को काट कर बिलकुल अलग कर दिया जाये क्योंकि ये लोग कट्टरवाद एवं असहिष्णुता को जायज़ करार देने के लिए धार्मिक शिक्षाओं की गलत व्याख्या पेश कर रहे हैं।