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कविता: उठो देश के नौजवानों शिव राणा की ललकार उठो

By कवि ''चेतन'' नितिनराज खरे 'चित्रवंशी''
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उठो देश के नौजवानों शिव राणा की ललकार उठो
उस हल्दीघाटी के वीर उठो व दिल्ली की हुंकार उठो
उठो भरत वंश के वीरो पार्थ गाण्डिव की टंकार उठो
उठो मात्रभूमि के रक्षक रानी झांसी की तलवार उठो

इस भरत भूमि भारत की शक्ति पुनः बताने आया हूँ
इस आर्यावर्त के स्वाभिमान की गाथा गाने आया हूँ

कश्मीर से कन्या तक घर घर के वीर जवान उठो
उन ध्वनिभेदक दशरथ व प्रथ्वी के तीर महान उठो
उस भगीरथी की तपोपावनी माँ गंगे की संतान उठो
परसुराम के परस और चाणक्य शिखा की शान उठो

तुम धीर वीर व ग्यानी हो बस यही दिखाने आया हूँ
इस भरत भूमि भारत की शक्ति पुनः बताने आया हूँ
इस आर्यावर्त के स्वाभिमान की गाथा गाने आया हूँ

उठो राजवंश के शावक धाय पन्ना के बलिदान उठो
वीर बुंदेलों की शान उठो उन छ्त्रशाल की आन उठो
दुर्गा,कर्मा सी ललनाओं लक्ष्मी अमिट निशान उठो
उठो देश के युवा रक्त अभिमन्यु सिंह समान उठो

इस माटी के ही वीरों की सौगंध याद दिलाने आया हूँ
इस भरत भूमि भारत की शक्ति पुनः बताने आया हूँ
इस आर्यावर्त के स्वाभिमान की गाथा गाने आया हूँ

सिंहों की गर्जन तुममे हो भावी इतिहास तुम्हारा हो
भू शैल गगन तक शोभित हो सबमें वास तुम्हारा हो
सागर सा उफनता लहू रहे ऐसा उल्लास तुम्हारा हो
तेरे पदचाप से दुश्मन थर्राए ऐसा आभास तुम्हारा हो

इस युवा रक्त के राष्ट्रभक्ति का विगुल बजाने आया हूँ
इस भरत भूमि भारत की शक्ति पुनः बताने आया हूँ
इस आर्यावर्त के स्वाभिमान की गाथा गाने आया हूँ

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English summary
A Impressive Poetry on india by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare Chitravanshi
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