क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कविता: है बजा चुनाव का बिगुल आया वक्त देश बचाने का

By कवि ''चेतन'' नितिनराज खरे 'चित्रवंशी''
Google Oneindia News

है बजा चुनाव का बिगुल आया वक्त देश बचाने का
अन्याय और अनीति के खातिर घमसान मचाने का
कुछ चिकनी चुपड़ी बातें करते दर दर नेता भटक रहे
'चेतन' करें काज सच्चाई जन जन तक पहुंचाने का

वो लोक लुभाने वादे करके इस सत्ता में आ जाते हैं
वो दो चार दिवस बाँटकर नकदी कुर्सी फिर पा जाते हैं
क्या करें राष्ट्र की सेवा वो जिनने खैरात लुटायी हो
वो अपना धनधान्य बढाने में ही पांच साल खा जाते हैं

वो वादे पर वादे करते हैं नित ऊंचे ख़्वाब दिखाते हैं
जहां नहीं गए कई वर्षों से उन गलियों में भी आते हैं
मजलूमों की देख दुर्दशा घडियाली अश्रु वहां बहाते हैं
दिल में जगह बनाने को सूखी रोटी तक खा जाते हैं

कोई बालक दिखा गरीब का झट उसको गले लगाते हैं
बेबस और असहाय से गजब सहानभूति दिखलाते हैं
हर पांच साल के बाद ये उनसे रिश्ते नये बनाते हैं
अब ये अम्मा चाचा ताऊ कहते गली-गली लहराते हैं

इनके बहकावे में आकर सत्ता के विषधर मत बोना
ये आया है वक्त आज फिर पांच वर्ष को मत खोना
इस चन्द चुनावी नकदी से नहीं उम्र पार हो जायेगी
बगुलों के संग संग चलकर तुम हंसों को मत खोना

मैं तो समाज का सेवक हूँ कुर्सी से मुझको प्यार नहीं
न झूंठे स्वप्न दिखाता हूँ व कुछ देने को उपहार नहीं
जो भी करना हो तुमको अपने विवेक से तुम करना
याद रहे है प्रश्न राष्ट्र का इसमें करना व्यापार नहीं

मैं तो समाज का सेवक हूँ कुर्सी से मुझको प्यार नहीं

Comments
English summary
Oneindia Special: A Impressive Poetry on Election written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare Chitravanshi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X