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पथ प्रदर्शक है मां ..ममता की मूरत है मां

By अनुज कटारा
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मां शब्द में है वात्सल्य
मां शब्द में है करुणा
मां शब्द में छिपा हुआ दर्द
मां शब्द में है खुशी का खजाना
समाधान भी छिपा है मां के विचारों में
पथ प्रदर्शक है मां
ममता की मूरत है मां
रोती हूँ तो चुप कराती है मां
अठखेलियों की सहेली है मां
सुख दुःख की सहेली है मां
मैं रोती हूँ तो हँसाती है मां
लोरियाँ हमें सुनाती है मां
गीले में सोती है वो,सूखे में सुलाती है मां
चाँद माँगता हूँ मैं, दर्पण दिखती है मां
चाँद है दर्पण में,कहकर चुप कराती है मां
परियों की कहानी सुनाती है मां
देर अगर हो जाती है आने में,तनाव में नजर आती है मां
दुःख का आभास हो अगर,सबसे पहले घबराती है मां
खुशियाँ आए जो आँगन में,सबसे पहले दामन फैलाती है मां
तभी तो ईशवर का प्रतिरूप कहलाती है मां
मेरी मां ..

कवि परिचय-अनुज कटारा, व्यवसाय:छात्र(राजकीय अभियांत्रिकी कॉलेज)
वर्तमान पता: H.N. 548/12 महुकलां,गंगापुर सिटी,सवाई माधोपुर,राजस्थान
Pin code-322202

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English summary
A Heart Touching Poetry on Mother written by Oneindia Reader and Poet Anuj Katara.
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