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जानिए कैसे लोगों पर बरसती है मां लक्ष्मी की कृपा?

By पं.गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। शानदार लाइफ स्टाइल, लग्जरी गाडि़यां, बड़े बंगले, महंगे कपड़े और कीमती जेवर, ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन पर शायद ही किसी का मन ना आता हो। पूरी दुनिया इन चीजों को पाने के लिए ही भाग रही है। इस संबंध में नई पीढ़ी को हमेशा पुराने लोगों से कुछ रटी रटाई बातें सुनने को मिलती हैं, जिनका सार सादा जीवन उच्च विचार में निहित होता है।

अखंड लक्ष्मी प्रदान करता है 'वरलक्ष्मी-व्रत'अखंड लक्ष्मी प्रदान करता है 'वरलक्ष्मी-व्रत'

लेकिन क्या आप जानते हैं कि धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को भी वही लोग पसंद आते हैं, जो अच्छा रहन सहन रखते हैं? साफ स्वच्छता से रहते हैं।

कैसे, आज की कथा से जानते हैं-

युद्ध से शक्तिहीन हो चुके देवों ...

युद्ध से शक्तिहीन हो चुके देवों ...

यह उस समय की बात है, जब लगातार युद्ध से शक्तिहीन हो चुके देवों और दानवों ने थक हारकर हथियार डाल दिए थे। सृष्टि की लय को बनाए रखने के लिए देवों और दानवों दोनों का सक्रिय होना आवश्यक था। दोनों ही पक्षों को पूरी तरह शक्तिहीन देखकर देवताओं के गुरु बृहस्पति और दानवों के गुरु शुक्राचार्य ने समुद्रमंथन का प्रस्ताव रखा। इस समुद्र मंथन से वह समस्त शक्तियां उत्पन्न होने वाली थीं, जो देवों और दानवों को नई ऊर्जा से भर सकती थीं। गुरुओं की बात से सहमत होकर देवों और दानवों ने आखिरकार हाथ मिला लिया और पहली बार किसी काम को मिलकर करने पर सहमत हो गए।

समुद्र मंथन

समुद्र मंथन

समुद्र मंथन में निकली समस्त संपदा का विभाजन देवों और दानवों में बराबरी से किया जाएगा, इसी कथन के आधार पर अब यह समस्या सामने आई कि देवी लक्ष्मी किसके हिस्से में जाएंगी? कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं था। ऐसे में दोनों गुरुओं ने देवी लक्ष्मी से स्वयं ही अपने लिए वर चुनने का निवेदन किया, जिस पर सभी सहमत हो गए।

दानवों के प्रलयंकारी स्वरूप

दानवों के प्रलयंकारी स्वरूप

जैसा कि स्वाभाविक था, दानवों के प्रलयंकारी स्वरूप के कारण देवी लक्ष्मी ने उन्हें देखना तक पसंद ना किया, देवों में उन्होंने किसी को अपने समकक्ष ना पाया। ऐसे में ब्रह्मांड के कर्ता धर्ता त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, शंकर ही शेष रह गए थे। देवी लक्ष्मी से उन्हीं तीनों में से किसी को अपना वर चुनने को कहा गया। इस पर देवी लक्ष्मी ने सर्वप्रथम ब्रह्मा जी पर नजर डाली। उनकी सफेद दाढ़ी और अधिक आयु से देवी निराश हो गईं। इसके बाद शंकर जी की बारी आई। भस्मापूरित शरीर, नागमाल और व्याघ्रचर्म से सुसज्जित शंकर जी को देखकर लक्ष्मी जी भयभीत हो गईं।

पीतांबर और सुंदर आभूषणों से सुसज्जित..

पीतांबर और सुंदर आभूषणों से सुसज्जित..

इसके बाद उनकी नजर पीतांबर और सुंदर आभूषणों से सुसज्जित, मोहक रंग रूप वाले भगवान विष्णु पर पड़ी, उनका मनोहारी रूप देखकर लक्ष्मी जी तुरंत ही आकर्षित हो गईं और वरमाला उनके गले में पहना दी। इस तरह अपने शानदार रहन सहन और लुभावने व्यक्तित्व के कारण विष्णु जी सारे संसार की संपदा के स्वामी बन गए।

सादे जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना जाए

सादे जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना जाए

तो देखा आपने, भले ही सादे जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना जाए, पर शानदार रहन सहन का अपना अलग प्रभाव होता है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। व्यावहारिक जीवन में भी इस सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि खूबसूरत व्यक्तित्व और बेहतर साज सज्जा सोने पर सुहागे का काम करती है और संसार में ऐसा कोई नहीं, जो इससे प्रभावित नहीं होता हो।

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English summary
Maa Laxmi gives us Money and Prosperity. so Varalakshmi Vratham is an auspicious festival in India celebrated by the married hindu women.
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