इतिहास कहता है कि कंस देवकी का सगा भाई नहीं था...
नई दिल्ली। कंस हमारी भारतीय पौराणिक कथाओं के सबसे बड़े खलनायकों में से एक है। उसके पापकर्म इतने प्रबल, निष्ठुरता इतनी गहन और अत्याचार इतने अमानवीय थे कि द्वापर काल उसके नाम से कांप गया था। अपनी ही बहन देवकी की सात संतानों की निर्मम हत्या कर उसने इतिहास में कंस मामा का नाम पाया। आज भी जब कोई मामा अपने रिश्तों की मर्यादा लांघता है, तो उसे कंस मामा की उपाधि दी जाती है।
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यह बात भी जगत प्रसिद्ध है कि कंस वास्तव में अपनी बहन देवकी से बहुत ज्यादा स्नेह करता था। देवकी के प्रति उसका प्रेम इतना गहन था कि विवाह के बाद उसकी विदाई के समय स्वयं कंस ने अपनी बहन की डोली अपने कंधों पर उठाई थी। देवकी की संतानों द्वारा मृत्यु को प्राप्त होने की आकाशवाणी के बाद कंस भयभीत हुआ और उसने ऐसे अत्याचार किए, जिनकी इतिहास में किसी से ना तुलना की जा सकती है ना ही कल्पना।
आखिर कैसे कंस इतना राक्षसी आचरण कर सका?
धर्मप्रिय माता-पिता की संतान होते हुए भी उसमें ऐसी आसुरी प्रवृत्तियां कैसे जागृत हुई? जिस बहन को वह प्राणों से अधिक प्यार करता था, उस पर ही अत्याचार कैसे कर सका? इन समस्त प्रश्नों का उत्तर एक ही है और हैरान कर देने वाला है- कंस देवकी का सगा भाई था ही नहीं! कैसे,
आइए, जानते हैं-
राज्य का वातावरण धर्म के अनुकूल
पौराणिक कथाओं के अनुसार कंस मथुरा के राजा उग्रसेन और रानी पद्मावती का पात्र था। मथुरा नरेश उग्रसेन स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थे। अनेक साधु-संत उनके आश्रय में शांति से अध्ययन, मनन, चिंतन किया करते थे। सभी धार्मिक कार्यों यज्ञ, हवन आदि की व्यवस्था करने, साधुजनों के हित के लिए कार्य करने और उन पर अत्याचार करने वाले को दंडित करने के लिए राजा उग्रसेन हमेशा उपलब्ध रहते थे। उनके राज्य का वातावरण हर तरह से धर्म के अनुकूल था। राजा उग्रसेन का विवाह विदर्भ के राजा सत्यकेतु की पुत्री पद्मावती के साथ हुआ था। दोनों में बहुत प्रेम था और वे धर्मानुकूल आचरण करते हुए सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे थे।
पद्मावती अत्यंत सुंदर, चंचल और मनमोहक
कहा जाता है कि रानी पद्मावती अत्यंत सुंदर, चंचल और मनमोहक थीं। एक बार वे अपने मायके गई हुई थीं। मायके में वह अपनी सखियों के साथ उद्यान में खेल रही थीं, तभी एक गंधर्व की दृष्टि उन पर पड़ी। पुराणों में इस गंधर्व का नाम द्रमिला या गोदिला बताया गया है। रानी पद्मावती को देखते ही गंधर्व उन पर आसक्त हो कर उन्हें पाने के लिए संकल्पित हो गया। पौराणिक कथाओं में गंधर्वों को कुछ अनुपम शक्तियों से युक्त बताया गया है। अपने मायावी प्रभाव से गंधर्व ने रानी पद्मावती को सम्मोहित कर लिया। इस तरह संसार से गोपनीय रहते हुए द्रमिला और रानी पद्मावती का संबंध स्थापित हुआ और इसी के फलस्वरूप रानी पद्मावती गर्भवती हुईं।
अपने पति राजा उग्रसेन के साथ
सम्मोहन की अवस्था में होने से उन्हें स्वयं भी कुछ याद नहीं रहा और वे मथुरा जाकर अपने पति राजा उग्रसेन के साथ सामान्य जीवन व्यतीत करने लगीं।
पुत्र कंस का जन्म
समय आने पर उनके पुत्र कंस का जन्म हुआ, जो संसार की दृष्टि में तो राजा उग्रसेन का पुत्र था, पर असल में उसका पिता द्रमिला था। द्रमिला हर तरह से एक दुष्ट, पापी और निकृष्ठ गंधर्व था। अपने पिता के दुर्गुणों के अनुकूल ही अति धार्मिक वातावरण में रहने के बावजूद कंस हर तरह की दुष्ट वृत्तियों का स्वामी बना।
स्वयं को राजा घोषित कर दिया
उसने अपने पिता से राजगद्दी छीन स्वयं को राजा घोषित कर दिया। अपने अभिभावकों को कारावास में डाल दिया और हर तरफ आतंक और अत्याचार का वातावरण बना दिया। सब दुर्गुणों के बावजूद कंस अपनी छोटी बहन देवकी से अपार स्नेह रखता था। यदि देवकी केे विवाह के समय आकाशवाणी ना हुई होती, तो वह कभी अपनी बहन पर मर्मांतक अत्याचार नहीं कर सकता था।